एमपी में साइकिल ने पकड़ा कांग्रेस का हाथ, पहली बार दोनों साथ लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

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India alliance on the verge of breaking in by-elections, Congress does not want to contest only on two weak seats.
कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता केवल गाजियाबाद और खैर सीट पर मैदान में नहीं उतरना चाहते हैं।

लखनऊ। लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो गया है, वहीं राजनीतिक दल एक—दूसरे को मात देने के लिए किसी भी तरह की कसर नही छोड़ना चाहते है। इसी क्रम में कांग्रेस और सपा ने हाथ मिलाकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। गठबंधन के तहत दोनों दल पहली बार मध्य प्रदेश में मिलकर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस ने अभी सपा को सात सीट का आफर दिया है, दो और सीटों की मांग चल रही हैं। हालांकि अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

सपा ने मांगी थी 12 सीटें

एमपी में पिछले विधानसभा चुनाव की बात करे तो सपा ने सात सीटों पर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, उसे केवल एक सीट पर जीत मिली थी, बाकि छह सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। हारने वाली सीटों पर उसकी मुख्य लड़ाई भाजपा से हुई थी। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में सपा के सात विधायक जीते थे। इस बार सपा ने गठबंधन के तहत 10-12 सीटें मांगी थीं। इस मुद्दे पर सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव और कांग्रेस के एमपी के प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला के बीच कई राउंड की बातचीत हुई।

सपा को यूपी से लगे जिले रीवा, दतिया, पन्ना और छतरपुर जिलों में सात सीटें दी जाएंगी। दो और सीटों पर सपा ने दावा किया है। यह दावा भी कांग्रेस हाईकमान के सामने प्रस्तुत कर दिया गया है। अंतिम निर्णय वहीं से लिया जाएगा। इंडिया के एक प्रमुख नेता ने बताया कि नवरात्र के पहले दिन कांग्रेस 144 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी, इन नामों पर दिल्ली में गहन मंथन के बाद फैसला किया गया है।

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