स्वाल ने भारत में सोयाबीन एवं कपास के लिए पेश किया एक वहनीय कीट नियंत्रण समाधान, स्पर्टो

113
Swaal introduces Spurto, an affordable pest control solution for soybean and cotton in India
यह पारिस्थितिकी के लिहाज़ से भी सुरक्षित है और उपयोग करने के लिए हानिरहित है, जो इसे प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले अन्य विकल्पों से अलग करता है।

बिजनेस डेस्क। देश की प्रमुख उन्नत एवं वहनीय कृषि समाधान प्रदाता, स्वाल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने एक किफायती, वहनीय और नवोन्मेषी समाधान, स्पर्टो के लॉन्च की घोषणा की है, जिसे विशेष रूप से सोयाबीन और कपास की फसलों के लिए डिज़ाइन किया गया है।स्पर्टो के तहत पानी में तेजी से घुलने वाले पर्यावरण-अनुकूल डब्ल्यूजी फॉर्मूलेशन के ज़रिये, एसिटामिप्रिड 25% और बिफेन्थ्रिन 25% वेटटेबल ग्रैन्यूल्स (डब्ल्यूजी) को मिलाया गया है, जो सोयाबीन और कपास की फसलों के लिए अनुकूलतम कैनोपी कवरेज और प्रभावशालिता प्रदान करता है।

स्पर्टो एक किफायती समाधान है, जिसमें प्रति एकड़, कम मात्रा की ज़रूरत होती है और यह खेती के वहनीय तरीकों का भी प्रसार करता है। डब्ल्यूजी फॉर्मूलेशन का उपयोग आसान है और उपयोग के दौरान रिसाव, बहाव या धूल जमा होने का खतरा दूर करता है, जिससे हवा तथा मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है। यह पारिस्थितिकी के लिहाज़ से भी सुरक्षित है और उपयोग करने के लिए हानिरहित है, जो इसे प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले अन्य विकल्पों से अलग करता है।

लंबे समय तक प्रभावी

यह पारिस्थितिकी के लिहाज़ से जागरूक समाधान है, जो व्हाईट फ्लाई, एफिड, जैसिड, सेमीलूपर और गर्डल बीटल सहित विभिन्न कीटों के प्रबंधन में उल्लेखनीय रूप से प्रभावी है। इसकी अनूठी दोहरी कार्यप्रणाली कीट प्रतिरोध को प्रभावी ढंग से खत्म कर देती है। इसका बार-बार उपयोग करने की ज़रुरत नहीं होती है। इस तरह, यह कीट प्रबंधन के संबंध में वहनीय और लंबे समय तक प्रभावी ज़रिया प्रदान करता है। बेहतर परिणाम के लिए, खरीफ सीजन के दौरान कपास की बुआई के 40-45 दिन बाद और सोयाबीन की बुआई के 20-25 दिन बाद स्पर्टो के उपयोग की सलाह दी जाती है।

स्वाल के कारोबार प्रमुख (बिजनेस हेड),  पंकज जोशी ने कहा: “स्पर्टो का लॉन्च, किसानों को प्रकृति के अनुकूल अपने खेतों का पोषण करने में मदद करने की दिशा में एक और कदम है। साथ ही यह प्रभावी तरीके से कीट प्रबंधन भी करता है। स्पर्टो के पर्यावरणीय लाभ तो हैं ही, साथ ही इसे अपनाने से किसानों को न केवल बेहतर पैदावार हासिल करने में मदद मिलेगी बल्कि उनकी लाभप्रदता भी बढ़ेगी।”

इसे भी पढ़ें…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here