मैनपुरी उपचुनाव:शिवपाल के करीबी को टिकट देकर बीजेपी ने डिंपल की राह की मुश्किल

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Mainpuri by-election: BJP made Dimple's way difficult by giving ticket to Shivpal's aide
अब शाक्य मैनपुरी में डिंपल यादव के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं ?

मैनपुरी। यूपी की मैनपुरी सीट पर होने वाला मुकाबला अब काफी रोचक हो गया है। यहां से बीजेपी ने शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीबी रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतार दिया, इससे डिंपल यादव के चुनाव जीतना काफी मुश्किल हो गया।विधायक रघुराज सिंह शाक्य फरवरी तक वह शिवपाल यादव की पार्टी में थे। शिवपाल और अखिलेश में समझौता होने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। अब शाक्य मैनपुरी में डिंपल यादव के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं ?

शाक्य सपा से रह चुके है सांसद

आपकों बता दें कि रघुराज सिंह शाक्य को शिवपाल सिंह याादव का काफी करीबी माना जाता था। 1999 और 2004 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर इटावा लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। 2004 में सपा ने इटावा लोकसभा से शाक्य को प्रत्याशी बनाया था, तब उन्हें 367,807 वोट मिले थे। 2009 में फतेहपुर सीकरी से शाक्य को सपा ने टिकट दिया था। हालांकि, तब वह चौथे नंबर पर रहे थे।

2012 में इटावा विधानसभा से टिकट मिला और शाक्य चुनाव जीत गए।2017 में जब शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच अनबन शुरू हुई तो शाक्य भी शिवपाल के साथ प्रगतिशील समाज पार्टी में आ गए। इस बार 2022 का विधानसभा चुनाव प्रसपा-सपा गठबंधन से लड़ने की तैयारी में थे। उन्हें भरोसा भी दिया गया था कि इटावा से उन्हें टिकट दिया जाएगा, लेकिन आखिरी वक्त में सपा ने वहां से सर्वेश शाक्य को मैदान में उतार दिया। सर्वेश पूर्व सांसद रामसिंह शाक्य के बेटे हैं। इससे नाराज रघुराज ने आठ फरवरी 2022 को प्रसपा छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।

बीजेपी ने चली रामपुर वाली चाल

रघुराज सिंह शाक्य समाजवादी पार्टी के पुराने नेता रहे हैं। मुलायम-शिवपाल सिंह यादव के करीबी रहे। यादव परिवार में उनकी अच्छी दखल थी। ऐसे में उनका सपा के खिलाफ चुनाव लड़ना बड़ा सियासी संदेश है। समाजवादी पार्टी को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है।’ अब डिंपल को चुनाव में इन तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आपकों बता दें कि ‘रामपुर में भी भाजपा ने आजम खान के करीबी रहे घनश्याम लोधी को टिकट दिया था और वह जीत भी गए। यही रणनीति मैनपुरी लोकसभा चुनाव उप-चुनाव में भाजपा ने अपनाई है। उसे रामपुर जैसे नतीजों की उम्मीद होगी।’

शाक्य समाज के वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। इसके साथ ही अगर शिवपाल पर्दे के पीछे से भी रघुराज का समर्थन करते हैं तो डिंपल को इसका नुकसान हो सकता है। भाजपा इस सीट पर प्रचार करने के लिए मुलायम की छोटी बहू अपर्णा को भी उतारने की तैयारी में है। इसके जरिए भाजपा परिवार की फूट को दिखाकर उसे भुनाने की कोशिश करेगी।’

Mainpuri by-election: BJP made Dimple's way difficult by giving ticket to Shivpal's aide
अब डिंपल को चुनाव में इन तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

मैनपुरी का यह है समीकरण

अभी करीब 17 लाख वोटर्स हैं। इनमें 9.70 लाख पुरुष और 7.80 लाख महिलाएं हैं। 2019 में इस सीट पर 58.5% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मुलायम सिंह यादव को कुल 5,24,926 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य के खाते में 4,30,537 मत पड़े थे। मुलायम को 94,389 मतों के अंतर से जीत मिली थी।

जातीय समीकरण की बात करें तो ये सीट पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की बहुलता वाली सीट है। यहां सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं। इनकी संख्या करीब 3.5 लाख है। शाक्य, ठाकुर और जाटव मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। इनमें करीब एक लाख 60 हजार शाक्य, एक लाख 50 हजार ठाकुर, एक लाख 40 हजार जाटव, एक लाख 20 हजार ब्राह्मण, एक लाख लोधी राजपूतों के वोट हैं। वैश्य और मुस्लिम मतदाता भी एक लाख के करीब हैं। कुर्मी मतदाता भी एक लाख से ज्यादा हैं।

शिवपाल कर सकते है खेला

मैनपुरी लोकसभा सीट में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। इनमें चार सीटें- मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल मैनपुरी जिले की हैं। इसके साथ ही इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट भी इस लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले की दो सीटों पर भाजपा, जबकि दो पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।

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