लखनऊ। भारतीय रेलवे ने कोरोना काल में बंद की गई बहुत सी योजनाओं को अभी तक बहाल नहीं किया इन्हीं योजनाओं में एक थी बुजुर्गों के सफर में रियायती टिकट की। रेलवे ने इस योजना को बंद करके अभी तक 182 करोड़ रुपये की बचत की। सरकार की इस बेरूखी से 80 लाख वृद्धों को समस्या का सामना शुरू करना पड़ा हैं, उन्हें अन्य लोगों की तरह सामान्य टिकट लेकर सफर करना पड़ रहा है।
मालूम हो कि रेलवे बुजुर्गों, दिव्यांगों, खिलाड़ियों सहित 53 श्रेणियों में यात्रियों को रियायती टिकट देता है। इस पर उसे सालाना करीब दो हजार करोड़ रुपये का खर्च आता है। कोरोना फैला तो रेलवे ने ट्रेनों का संचालन बंद करने के साथ बुजुर्गों के रियायती टिकट पर भी पाबंदी लगा दी। साथ ही जनरल टिकटों के लिए भी रिजर्वेशन की बाध्यता कर दी। इधर, हालात सामान्य हुए तो धीरे-धीरे रेलवे ने सारी पाबंदियां हटा लीं, लेकिन रियायती टिकटों की सुविधा अब तक नहीं बहाल की है।
नहीं मिला मंत्रालय से जवाब
रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इस पाबंदी से उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे ने अब तक करीब 182 करोड़ रुपये की बचत कर ली है। दैनिक यात्री एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस उप्पल ने बताया कि रेलवे बोर्ड के सदस्यों व रेलमंत्री से रियायती टिकट की सुविधा दोबारा शुरू करने को लेकर कई चरणों में पत्राचार हुआ, लेकिन जवाब नहीं मिला। ऐसे में आशंका है कि रेलवे इस सुविधा को पूरी तरह से बंद करने की फिराक में तो नहीं है।
50 फीसदी तक मिलती थी रियायत
बुजुर्गों को रेलवे टिकटों पर 50 प्रतिशत तक की रियायत मिलती थी, इसमें न्यूनतम 58 वर्ष की महिलाओं को 50 तो 60 वर्ष के पुरुषों को 40 प्रतिशत की छूट दी जाती थी। फिलहाल दिव्यांगों की चार तथा मरीजों व छात्रों की 11 श्रेणियों में ही रियायती टिकट मिल रहा है।
7.31 करोड़ बुजुर्गों से बचाए डेढ़ हजार करोड़
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रेलवे बोर्ड ने 20 मार्च 2020 को रियायती टिकटों पर रोक लगाई थी। बोर्ड अधिकारी ने बताया कि मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 तक रेलवे ने कुल 7.31 करोड़ बुजुर्ग यात्रियों को यह सुविधा नहीं दी। इसमें 2.84 करोड़ महिलाएं, 4.46 करोड़ पुरुष व 8310 ट्रांसजेंडर हैं। इस बीच रेलवे ने 3464 करोड़ रुपये की आय की। इसमें डेढ़ हजार करोड़ रियायती टिकट की सुविधा बंद करने से अतिरिक्त रूप से कमाए।
‘गिव इट अप’ योजना को बढ़ावा देने में लगा
रेलवे बोर्ड के अधिकारी ने यह भी बताया कि रेलवे ने सुविधाएं ड्रॉप करने के लिए ‘गिव इट अप’ योजना चलाई। इसके तहत कुल 4.41 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों में से 7.53 लाख ने 50 प्रतिशत और 10.9 लाख ने 100 प्रतिशत रियायत छोड़ी। रेलवे योजना को बढ़ावा देने के प्रयास में है। रेलवे लगातार यात्री सुविधाओं की अनदेखी कर रहा है, वह लगातार अपने राजस्व वृद्धि पर ही ध्यान दे रहा है।
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