मर्ज ढूंढिए और इलाज करके सफल होइए अखिलेश जी !

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हार का एक हार पुराना नहीं होता तो हार का दूसरा ताज़ा हार आ जाता हैं हालांकि हार की अपनी अलग एहमियत है।

नवेद शिकोह-लखनऊ। आज डॉक्टर दिवस है और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का जन्मदिन भी। सत्ता या जीत आपके साथ हो तो लोग आपकी खूबियों और प्रशंसा का हार आपको बार—बार पहनाते है। आपकी हार हों तो वही लोग आपकी कटु आलोचना भी सबसे अधिक करते हैं। ऐसी मानव प्रवृत्ति दुनिया का नियम सा बन गई है। हार आपकी कमियों की शिनाख्त कर दे तो हार नेमत है। उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े विपक्षी दल के सबसे बड़े विपक्षी नेता अखिलेश यादव के गले से हार के कांटों का हार उतर ही नहीं रहा है। हार का एक हार पुराना नहीं होता तो हार का दूसरा ताज़ा हार आ जाता हैं हालांकि हार की अपनी अलग एहमियत है। ये आईना है, खुद की कमियों और दूसरों की फितरत जानने का। अपनों और परायों को पहचानने का। कमियों की शिनाख्त कर दे तो हार तो जीत से भी बड़ी नेमत है।

कमियों को दूर करने वाले को डॉक्टर कहते है

डॉक्टर को इसीलिए भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि वो आपके जिस्म की कमियों की पहचान करता है और फिर दवा देता है। अखिलेश जी आज आपका जन्मदिन है और डॉक्टर दिवस भी है, आज से आप प्रण कीजिए की आप अपनी कमियों को स्वीकारेंगे और इसे खत्म कर देंगे। फैसला कीजिए कि आप को लेकर हो रही आलोचनाओं की बौछारों की एक-एक बूंद पर आप विचार करेंगे। निश्चित तौर पर सफलता आपके क़दम चूमेगी।

आपकी बुराईयों को निडर होकर आपके सामने रखते है

एक तरह देखिए तो किसी बड़े राजनेता के लिए सत्ता से बाहर रहने के वक्त सुधार का स्वर्ण काल होता है। यही वो दौर है जब आलोचक आपकी खुल कर आलोचना करते हैं, आपकी कमियां निकालते हैं। आपकी बुराईयों को निडर होकर आपके सामने रखते हैं। विपक्षी जब सत्ता में आ जाता है तो आलोचक का कलम आलोचना छोड़ प्रशंसा के मोड में आ जाता है। (मैं भी इनमें से ही हूं) ये उसकी पेशेवर मजबूरी मान लीजिए या कमजोरी, ये अलग विषय है।

लोकप्रिय नेता अखिलेश यादव तमाम कारणों से जाने जाते हैं। वो खुशमिजाज और मिलनसार हैं। वो समाजवादी पार्टी के संस्थापक और यूपी में कई बार मुख्यमंत्री रहने वाले खाटी समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के पुत्र हैं।दूसरी बहुत सारी पहचानें हैं- पूर्व मुख्यमंत्री हैं। यूपी के सबसे बड़े सूबे के सबसे बड़े विपक्षी दल के सुप्रीमों हैं, यहां के सबसे बड़े विपक्षी नेता हैं। भाजपा जैसे सत्तारूढ़ और ताकतवर पार्टी को सीधी टक्कर देने की ताकत रखते हैं। समाजवादी नेताओं की सामाजिक लड़ाई की विरासत संभाल रहे हैं।

अपने ही कर रहे आलोचना

जब वो मुख्यमंत्री थे तो इतने विकास कार्य किए थे वो अपने आप में मिसाल है। फिलहाल अखिलेश जी की कमियों, खामियों और लापरवाहियों की चर्चाएं आजकल उनके अपने ही कर रहे हैं।आलोचकों का तकिया कलाम है- अखिलेश ट्वीट वाले, एसी वाले नेता हैं। जमीनी संघर्ष नहीं करते, आंदोलन नहीं करते‌। अक्सर मीडिया के साथ मिसबिहेव करते हैं। पांच-सात सलाहकारों कि गलत सलाह उनको बार-बार नाकाम कर रही है।

लोगों से मिलते नहीं, अपने पिता के साथ के पुराने समाजवादियों को मुंह नहीं लगाते।सबसे बड़ा इल्जाम तो ये है कि उन्होंने अपने चाचा के साथ न्याय नहीं किया।आजमगढ़ और रामपुर के चुनाव में प्रचार पर न निकल कर तो उन्होंने हद कर दी। टिकट कटने या किसी दूसरे कारणों से नाराज़ रूठों को मनाने की कोशिश भी नहीं की। हार के बाद भी घमंड बढ़ता जा रहा है।विरोधियों या भाजपाइयों, कांग्रेसियों, बसपाइयों, विश्लेषकों, राजनीतिक पंडितों, पत्रकारों या आम जनता के ही आरोप नहीं ऐसी बातें अब समाजवादी भी करने लगे हैं।

गुडृडू जमाली को परखने में गलती

आजमगढ़ और रामपुर में सपा की हार पर एक टीवी चैनल पर मैं अखिलेश जी की कमियों को गिना रहा था, डिबेट में सपा प्रवक्ता मेरी बात पर असहमति जता रहा थे। डिबेट खत्म हुई और हम स्टूडियो से निकले तो लिफ्ट में सपा प्रवक्ता मेरे साथ थे। बोले- सर आप सही बात रख रहे थे, भईया (अखिलेश यादव) वाक़ई बार-बार गलती पर गलती कर रहे हैं। गुड्डू जमाली मिलना चाहते थे, नहीं मिले। अब भाजपा से मुकाबला करना आसान नहीं है..

ये बातें अपनी जगह है, पूरी सही हैं या ग़लत नहीं कहा जा सकता। पर ये सच है कि मुलायम सिंह यादव जैसे समाजवादिया का मूल स्वभाव और आधार ज़मीनी संघर्ष था, जेल से डरना नहीं जेल भरना था।ख़ैर अखिलेश यादव जी में बहुत सारी खूबियां भी हैं, विज़न है। उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री यूपी को बहुत कुछ दिया। यूपी के 2022 विधानसभा चुनाव में उन्होंने खूब मेहनत भी की, पसीना बहाया और भाजपा जैसे ताकतवर और जबरदस्त जनाधार वाले सत्तारूढ़ दल से वो डट कर लड़े। यदि सपा मे वन मैंन के बजाय सेकेंड लीडरशिप तैयार की जाए, शिवपाल यादव जैसे संगठन मास्टर परिपक्व तमाम नेताओं पर विश्वास क़ायम किया जाए। सभी कार्यो़ की मोनीटरिंग खुद करें लेकिन संगठन के लोगों को फैसला करने का हक दें।

दूसरों पर करें विश्वास

भाजपा से संगठनात्मक ढांचा तैयार करने का सलीका सीखें। संगठन की अलग-अलग लेयर तैयार करें। जिम्मेदारियां बांट दें। और दूसरे सपा नेताओं पर विश्वास करने का सलीका सीखें तो समाजवादियों को असफलताओं से छुटकारा मिल सकता है।ख़ैर,अखिलेश यादव जी को जन्मदिन की मंगलकामनाएं। आप खूब मेहनत कीजिए सफल होइए और उत्तर प्रदेश में विपक्ष को हाशाए पर आने या शून्य की ओर जाने से बचाइए लोकतंत्र में जनता के हितों के लिए विपक्ष का मज़बूत होना बेहद ज़रूरी है ।पुनः शुभकामनाएं।

 

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