कपिल सिब्बल ने हाथ का साथ छोड़कर साइकिल से की दोस्ती, 2024 में बनेंगे विपक्ष का सेतु

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Kapil Sibal left his hand and made friendship with a bicycle, in 2024, the bridge of opposition will be built
वह हर हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व में पर ठीकरा फोड़ने से पीछे नहीं हटते थे, वहीं सपा उन्हें राज्यसभा भेजकर एक तीर से कई शिकार करने की योजना बना रही है।

नई दिल्ली। कांग्रेस के पुराने नेता और बड़े वकील में शुमार कपिल सिब्बल ने आखिरकार कांग्रेस का हाथ छोड़ सपा से नजदीकी बढ़ाकर राज्यसभा जाने का रास्ता साफ किया। कांग्रेस उन्हें किसी भी हाल में राज्यसभा भेजने के पक्ष में नहीं थी,क्योंकि वह हर हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व में पर ठीकरा फोड़ने से पीछे नहीं हटते थे, वहीं सपा उन्हें राज्यसभा भेजकर एक तीर से कई शिकार करने की योजना बना रही है।

सपा के समर्थन से कपिल सिब्बल ने बुधवार को निर्दलीय नामांकन भी कर दिया। सिब्बल ने 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। राज्यसभा के लिए नामांकन करने के बाद सिब्बल ने कहा, ‘हम विपक्ष में रहकर एक गठबंधन बनाना चाहते हैं, ताकि हम मोदी सरकार का विरोध करें। हम चाहते हैं कि 2024 में हिंदुस्तान में एक ऐसा माहौल बने जिससे मोदी सरकार की खामियां जनता तक पहुंच सके। मैं इसके लिए पूरी कोशिश करूंगा।’कपिल सिब्बल के कांग्रेस छोड़ने और सपा की तरफ आने के कई मायने निकाले जा रहे है।

निर्दलीय नामांकन भी कर दिया

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कपिल सिब्बल ने नामांकन भरने के बाद कहा, ‘आज मैंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन भरा है। मैं धन्यवाद दूंगा अखिलेश यादव, आजम खां और प्रोफेसर राम गोपाल यादव का, जिन्होंने मुझे मौका दिया। अब मैं कांग्रेस का सीनियर लीडर नहीं रहा। मैंने 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया हैं। मैं राज्यसभा में यूपी की आवाज बिना किसी दल के उठाता रहूंगा। हर अन्याय के खिलाफ सदन में आवाज बनता रहूंगा।’कपिल सिब्बल के राज्यसभा की उम्मीदवारी पर अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘राज्यसभा चुनाव में कपिल सिब्बल सपा के समर्थन से जा रहे हैं। वह वरिष्ठ अधिवक्ता रहे हैं। देश के जाने-माने केस लड़े हैं। लोकसभा और राज्यसभा में उन्होंने काफी अच्छे मुद्दे उठाए हैं। उनका राजनीतिक करियर भी अच्छा रहा है। वह कई मुद्दों को खुलकर उठाएंगे।’

इसलिए कांग्रेस से हुए नाराज

आपकों बता दें कि सिब्बल लंबे समय से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। सिब्बल कांग्रेस से नाराज नेताओं के जी-23 टीम में भी शामिल थे। उन्होंने लगातार चुनावों में मिल रही हार का ठीकरा भी कांग्रेस नेतृत्व पर ही फोड़ा था। हालांकि, पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने कांग्रेस पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। सिब्बल ने कहा, ‘जब तक मैं पार्टी का हिस्सा था तब तक मैं वहां के लिए बोल सकता था। अब मेरा उस पार्टी से नाता नहीं है। इसलिए मेरा बोलना ठीक नहीं है।’

आसानी से मिला सपा का साथ

कांग्रेस में रहते हुए कपिल सिब्बल जब पार्टी की खिलाफत करते तो उन्हें पार्टी के प्रोटोकॉल की दुहाई दी जाती थी। यही कारण है कि सिब्बल ने निर्दलीय राजनीति करने का प्लान बनाया। इन दिनों वह समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान का केस लड़ रहे हैं। इस दौरान वह लगातार अखिलेश यादव और आजम खान के संपर्क में रहे। यही कारण है कि आसानी से उन्हें सपा का समर्थन मिल गया।

आजम को मनाने की बड़ी कोशिश

इन दिनों आजम खान और अखिलेश यादव के रिश्ते अच्छे नहीं बताए जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आजम खान सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं। आजम की नजदीकियां शिवपाल सिंह यादव की तरफ ज्यादा बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव आजम को मनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दो दिन पहले अखिलेश यादव ने आजम खां के बेटे और सपा विधायक अब्दुल्ला आजम से भी मुलाकात की। अब अखिलेश कपिल सिब्बल के जरिए आजम को साधने की कोशिश करेंगे। बताया जाता है कि सिब्बल ही वह शख्स हैं, जिन्होंने अब तक आजम खान को समाजवादी पार्टी के साथ जोड़ रखा है।

एक सेतु का काम करेंगे सिब्बल

आपकों बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कपिल सिब्बल एक सेतु का काम करेंगे वह देश की कई पार्टियों को एक साथ लाकर एक मजबूत विपक्ष बनाने की भूमिका में काम करेंगे। ​सिब्बल एक कांग्रेस नेता के साथ—साथ एक वरिष्ठ वकील के रूप में देश में ख्याति अर्जित की है। उनकी पकड़ सपा के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टॉलिन, आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से काफी अच्छे हैं।

एक्सपर्ट कहते हैं कि कपिल सिब्बल 2024 में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक नया विपक्ष खड़ा करना चाहते हैं। यह कांग्रेस में रहते हुए नहीं हो सकता था। यही कारण है कि सिब्बल ने समाजवादी पार्टी से अपनी नजदीकियां बढ़ाईं। सपा के सहारे वह देश के कई क्षेत्रीय दलों को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट कर सकते हैं। यह ऐसा गठबंधन होगा जो भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस का भी विकल्प होगा

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