लखनऊ। विधानसभा चुना से ठीक पहले अपने कुनबे के साथ सपा में शामिल होने योगी के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी करारी हार के बाद सपा को छोड़ते जा रहे है। इस क्रम में पहला नाम आया है, स्वामी भतीजे प्रमोद मौर्य का उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से इस्तीफा दे दिया हैं, स्वामी को लेकर भी अटकले लगाई जा रही है। मालूम हो कि हार के बाद से ही सपा अंदर की कलह सामने आने लगी थी, पहले शिवपाल यादव (Shivpal yadav) और फिर आजम खां की बगावत के बीच अब स्वामी प्रसाद मौर्य के भतीजे प्रमोद मौर्य ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
वह समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव थे। प्रमोद ने सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजी गए इस्तीफे में कई गंभीर आरोप भी लगाए हैं। प्रमोद मौर्या ने कहा है कि समाजवादी पार्टी में मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी समाज की उपेक्षा की जाती है, ऐसे में ये अटकलें भी तेज हो गई हैं कि क्या आने वाले समय में स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश यादव का साथ छोड़ सकते हैं।
स्वामी से पहले आए थे सपा में
आपकों बता दें कि प्रतापगढ़ के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके प्रमोद मौर्या फरवरी 2018 में भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे, सपा में शामिल होते ही उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने का दावा किया था लेकिन तब उनके इस दावे को खोखला बताया गया था, उनकी कही बात उस वक्त सही साबित हुई जब प्रसाद मौर्य ने चुनाव से ऐन पहले साइकिल की सवार कर ली।
सपा में शामिल होने के बाद से स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा पर वही आरोप लगाए हैं जैसे आरोप उनके भतीजे प्रमोद मौर्या ने अब समाजवादी पार्टी छोड़ने पर लगाए हैंं स्वामी प्रसाद मौर्य खुद अपनी सीट नहीं जीत पाए थे, उन्हें फाजिलनगर से हार का सामना करना पड़ा था, भाजपा को मिट्टी में मिला देने का दावा करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य अक्सर अपने बयान को लेकर चर्चा में रहते हैं लेकिन फिलहाल वह चुनाव के बाद से खामोश नजर आ रहे हैं।
सपा पर यह आरोप लगाए
प्रमोद मौर्य ने सपा अध्यक्ष को भेजे गए इस्तीफे में आरोप लगाया है कि जब मैं सपा में शामिल हो रहा था तो कुछ लोगों ने कहा था कि सपा केवल एक जाति विशेष के लोगों की पार्टी है लेकिन फिर भी मैंने आप से प्रभावित होकर सपा की सदस्यता ग्रहण की थी। पार्टी में काम करते हुए हमने यह महसूस किया कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी केवल अपनी जाति को ही बड़ी जाति मानते हैं, पार्टी की बैठकों में अक्सर मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी, पटेल अन्य पिछड़ी जातियों को छोटा दिखाने की कोशिश करते हैं, सपा में 75 जिलों में से एक भी जिलाध्यक्ष और कुशवाहा सैनी, मौर्य समाज का नहीं है। विधानसभा चुनाव में भी सपा ने इन बिरादरियों के जिन प्रत्याशियों का टिकट काटा उनका नाम भी त्याग पत्र में उल्लेखित किया है।
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