बरेली। घोर कलयुग में भी कुछ लोग आज भी ईमानदारी रूपी चिड़िया को जिंदा रखे हुए जहां एक तरफ लोग रुपयों और संपत्ति के लालच में पड़कर अपनों का खून बहाने से नहीं पीछे हट रहे है, वहीं बरेली के रहने वाले एक दस साल के लड़के और उसकी मां ने ईमारीदारी की जो मिशाल पेश की, उसे पढ़कर हर कोई उनकी प्रशंसा कर रहा है।
यहां आपकों बता दें कि दस साल के हन्नान और उसकी मां तरन्नुम को रास्ते में पड़े मिले पांच लाख रुपये से भरे बैग के मालिक को हन्नान तलाश नहीं पाया तो उसने यह बैग अपनी मां के हाथ में रख दिया। मां के कहने पर दोबारा वहीं पहुंचा जहां बैग पड़ा मिला था। काफी देर धूप में खड़े होकर इंतजार किया और फिर अपना बैग तलाशते हुए पहुंचे ठेकेदार को सौंप दिया।
बैग उठाकर ऑटो के पीछे दौड़ा
कैंट के गांव ठिरिया निजावत खां में रहने वाली तरन्नुम के पति ऑटो मैकेनिक है। परिवार में आर्थिक समस्या है, किसी तरह से परिवार का गुजारा होता है, फिर भी उन्होंने और उनके बेटे हन्नान ने ईमानदारी की जो मिसाल पेश की, उसके चर्चे पूरे गांव में हैं। साबरी पब्लिक स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ने वाला हन्नान शाम को घर का कुछ सामान लेने बाहर गया था। इस दौरान उसने सड़क से गुजरते हुए ऑटो से एक बैग गिरते देखा। हन्नान बैग उठाकर ऑटो के पीछे दौड़ा, लेकिन तब तक वह निकल चुका था।
हन्नान लौटकर घर आया बैग मां तरन्नुम को दिया और पूरी कहानी बताई। तरन्नुम ने बैग खोलकर देखा तो हैरान रह गईं। उन्होंने हन्नान को वहीं जाकर खड़ा होने को कहा, जहां बैग ऑटो से गिरा था। कहा, बैग का मालिक उसे तलाश करने जरूर लौटेगा। मां के कहने पर मासूम हन्नान काफी देर सड़क पर धूप में खड़ा रहा। कुछ देर बाद मस्जिद ख्वाजा गरीब नवाज से एलान हुआ कि किसी को कोई बैग गिरा मिला हो तो लौटा दे। हन्नान इसके बाद मस्जिद पहुंचा और ठेकेदार फिरासत हैदर खां को उनका बैग लौटा दिया। हन्नान की ईमानदारी का किस्सा इसके बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
स्कूल ने माफ की साल भर की फीस
हन्नान की ईमानदारी का चर्चा आम होने के बाद साबरी पब्लिक स्कूल ने उपहार के तौर पर उसकी एक साल की फीस माफ कर दी है। इसके साथ उसे कोर्स की सारी किताबें और ड्रेस भी मुफ्त में देने का वादा किया है। साबरी पब्लिक स्कूल के प्रबंधक साजिद खां ने हन्नान की तारीफ करते हुए कहा है कि उन्हें फख्र है कि हन्नान उनके स्कूल का छात्र है।
पैसों को हाथ तक नहीं लगाया
वहीं इस विषय में हन्नान की मां तरन्नुम से बात की गई तो बताया कि उन्हें बैग में नोटों के बंडल देखकर लालच नहीं आया बल्कि यह ख्याल आया कि जिसकी रकम गिरी है, उसका क्या हाल हो रहा होगा। यही सोचकर उन्होंने अपने बेटे को दोबारा बाहर भेज दिया ताकि कोई अपने पैसे ढूंढता हुआ पहुंचे तो उसे बैग वापस कर दिया जाए। तरन्नुम ने बताया कि उन्होंने बैग खोलकर जरूर देखा लेकिन नोटों के बंडल देखते ही उसे बंद कर दिया। उन पैसों को हाथ तक नहीं लगाया।
ऐसे गिर गए रुपये
ठेकेदार फिरासत हैदर खां ने बताया कि वह अपनी कार से ही ठिरिया निजावत खां आए थे। जब उन्होंने पतली सड़कें देखीं तो ऑटो पकड़ लिया। रकम का बैग कपड़ों के बड़े बैग में रखा था। रास्ते में कपड़ों के बैग का मुंह खुला रह गया तो उन्होंने नोटों वाला बैग अपने पास रखकर उसे बंद किया। इसी दौरान वह बैग गिर गया। कुछ दूर जाने के बाद जब पता चला तो वह चलते ऑटो से कूूद गए। उन्होंने कहा कि हन्नान की ईमानदारी की जितनी तारीफ की जाए, वह कम है।
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