- ~राम नरेश ‘उज्ज्वल’
होशियार चंद्र बहुत होशियार थे। अपनी होशियारी के कारण वे पूरे गांव में मशहूर थे । मशहूर होने के कारण उनका सम्मान भी बहुत था । आस-पास के नेता उनका बड़ा सम्मान करते थे। वे सम्मान पाकर कुप्पे की तरह फूल जाते थे । उनका सीना 56 इंच चौड़ा हो जाता था । इस बार प्रधानी जिताने में होशियार चंद ने बहुत होशियारी से मेहनत की थी। इसलिए प्रधान ने एक समारोह में कार्यकर्ताओं को सम्मानित करने का निर्णय लिया था। इसमें होशियार चन्द्र को एक एंड्राइड मोबाइल दिया गया था। मोबाइल पाकर वे बड़े खुश हुए । माचिस की डिबिया जैसा मोबाइल रखने में उन्हें शर्म भी बहुत आती थी पर मजबूरी का नाम महात्मा गांधी ? क्या करते ?
अब पूरे गांव में मोबाइल दिखाते फिर रहे थे, लेकिन मोबाइल चलाना नहीं आता था । वे मजनू से बोले,” देखो पच्चीस हजार का मोबाइल प्रधान ने मुझे खुश हो कर दिया है।”
” हां आपने काम ही ऐसा किया है । अगर आप ना होते तो शायद वे प्रधान भी ना बनते ।”
“शायद ” होशियार चंद ने कंधे उचका कर कहा।
” शायद नहीं, पक्का ।” मजनू बोला ।
“अच्छा-अच्छा ।”
“आप बहुत भोले हैं।”
” हां, यही तो दिक्कत है । मोबाइल मिल गया, पर चलाना नहीं आता।”
” क्या ?”
“हां, क्या तुम मुझे मोबाइल चलाना सिखा दोगे ? मुझे इसके विषय में कुछ भी नहीं पता । ”
मजनू ने कहा,” इसमें कौन सी बड़ी बात है? आइए घंटे भर मेरे साथ बैठिए। मैं सिखा देता हूं । आप सब कुछ जान जाएंगे ।”
फिर कई दिनों तक होशियार चन्द्र मजनू के आगे-पीछे लगे रहे और मोबाइल चलाना सीखते रहे। धीरे-धीरे वे भी मोबाइल के कीड़े हो गए । अमेरिका, रूस,कनाडा, जापान, लंदन हर जगह मेल-ईमेल के माध्यम से संबंध बना लिए। फेसबुक,व्हाट्सएप पर बड़े-बड़े लोगों से दोस्ती कर ली । वे दिन-रात मोबाइल में ही व्यस्त हो गए। गांव मोहल्ले से भी दूर हो गए । एक दिन मैसेज मिला । दस करोड़ का इनाम होशियार चन्द्र के नाम । मैसेज पढ़कर चौंक गए । “मैंने कौन-सा अपराध किया है जो मेरे सर पर इनाम रखा गया है ?” दौड़ कर मजनू के पास गए । मैसेज दिखाया । मजनू ने मैसेज पढ़ कर कहा,” मुबारक हो, आपको इनाम दिया जा रहा है ?”
“पर किसलिए ”
“क्या पता ?” मजनू ने कहा,”इसमें पूरी बात नहीं लिखी है ।”
“फिर…!”
“क्या पता फ्रॉड हो ?”
“फ्रॉड मतलब”
“मतलब धोखा ।”
“फिर पूरी बात कैसे पता चलेगी ?” होशियार चन्द्र ने पूछा ।
“नीचे संपर्क सूत्र भी दिया है ।”मंजनू ने बताया।
होशियार चन्द्र ने तुरंत होशियारी दिखाई । फटाक से मोबाइल लेकर फोन मिलाया । फोन मिलाते ही उठ गया । शहद सी मीठी आवाज सुनाई दी,”अंतर्राष्ट्रीय सम्मान संस्थान में होशियार चन्द्र का स्वागत है । बताइए आपकी क्या सेवा कर सकती हूं ?”
“जी..जी… आप मेरा नाम कैसे जानती हैं ?”
” आपके सामाजिक कार्यों की वजह से । आपके कार्यों की समीक्षा अमेरिका में की जा रही है । आपके अच्छे कार्यों को देखते हुए आपको एक समारोह में दस करोड़ का पुरस्कार दिया जाएगा। इसमें आप की उपस्थिति अनिवार्य है ?”
“क्या ?”
“हां ।”
“यह समारोह कहां होगा ?”
” अमेरिका में ।”
“वहां मैं कैसे आ सकता हूं ?”
” हवाई जहाज से ।”
“हवाई जहाज से ?” होशियार चन्द्र ने आश्चर्य के साथ पूछा।
“क्यों क्या दिक्कत है ? आप तो मशहूर हैं और होशियार भी ।”
“सो तो है ।” होशियार चन्द्र ने गर्व से कहा ।
“तो फिर अमेरिका आने की तैयारी कीजिए ।”
“पर मेरे पास बीजा नहीं है।” होशियार चन्द्र ने मायूस होकर कहा ।
” तो बनवा लीजिए ।”
“पर मुझे कुछ पता नहीं है ।”
“अगर आपको बनवाने में दिक्कत हो तो संस्था ही बीजा बनवा देगी।”
“अच्छा तो बनवा दीजिए।”
“ठीक है । मैं संस्था का खाता नंबर एवं अन्य विवरण आपको भेज देती हूं । आप शीघ्र से शीघ्र सारी चीजें हमें भेज दीजिए।”
“ठीक है ।”
फोन कट गया । होशियार ने कहा,” मेरे अच्छे काम के लिए अमेरिका से सम्मान दिया जा रहा है। कोई धोखा नहीं है । बीजा भी संस्था बनवाएगी।”
“फिर क्या है ? लड्डू बांटो । खुशी मनाओ।” मजनू ने कहा।
“हां, सही कहते हो ।” यह कहकर होशियार चन्द्र चले गए। पूरे गांव में सम्मान की खबर देने लगे। गांव के लोग भी होशियार चन्द्र के लिए सम्मान की व्यवस्था करने लगे।
कुछ लोगों ने होशियार चन्द्र को सनकी कहा। कुछ लोगों ने समझाया कि” ये या तो मजाक होगा या धोखा होगा। आप इस चक्कर में न पड़ें।”
होशियार ने मन में सोचा,’शायद ये लोग मेरी उपलब्धि से जलते हैं।’
वे वहां से चले गए। कुछ लोग इसको सच मान कर गांव द्वारा होशियार चन्द्र को सम्मानित करने की बात कहने लगे।
होशियार चन्द्र के पास संदेश फिर आया । संदेश में बीजा के लिए दो लाख मांगे गए थे । संदेश पढ़ कर वे दंग रह गए । उन्हें कुछ शंका हुई। तुरंत सम्पर्क सूत्र पर फोन मिलाया। “हेलो मैं होशियार…”
“यस.. यस.. माननीय होशियार चन्द्र जी आपका स्वागत है । अमेरिका आने की तैयारी हो गई ।”
“अभी नहीं।” उन्होंने कहा।
“क्या ? आपको सम्मान नहीं चाहिए ।”
“चाहिए..लेकिन…मेरे पास …” वे रुक गए।
“लेकिन क्या ? साफ-साफ बताइए।”
“दरअसल मेरे पास बीजा के लिए इतने पैसे नहीं है ।”
“तो क्या करें । सम्मान कैंसिल करा दें ।” उसने सख्त लहजे में कहा।
“नहीं.. नहीं..!”
“फिर क्या चाहते हैं?”
“आप बीजा बनवा दीजिए और दस करोड़ में से काट लीजिए ।” होशियार चन्द्र ने होशियारी दिखाई।
“देखिए, आप किसी से उधार ले लीजिए,जब दस करोड़ मिलेगा तो उसे वापस कर दीजिएगा।”
“मैने कोशिश करके देख लिया । व्यवस्था नहीं हो पा रही है ।” उन्होंने मजबूरी बताई।
” तो फिर सम्मान रद्द करना होगा।”
“अगर कोई और रास्ता हो… तो बताइए । वरना सम्मान रद्द कर दीजिए ।”
“ठीक है । मैं संस्था के अध्यक्ष को आपकी सूचना भेजती हूं । अगर आप के पास कुछ व्यवस्था…”
“जी मैं कोशिश कर चुका हूं। अब आप ही मदद कर सकती हैं। मैं मजबूर हूं।”
“सुनिए एक रास्ता और भी है।” उसने प्यार से कहा।
“क्या ?” उन्होंने पूछा।
“आप अपने खाते में पांच लाख रुपए डाल दीजिए। पासबुक में इंट्री करा दीजिए । फिर पासबुक एवं एटीएम कार्ड के दोनों तरफ की फोटो खींच कर भेज दीजिए। इतना होते ही मैं कार्यवाही कर दूंगी । आपका बीजा बन जाएगा। आने जाने का खर्च भी संस्था ही देगी।.. आपका खाता न हो तो किसी और का खाता दे दीजिए…।”
“फिर ठीक है। मैं प्रधान जी का खाता दे दूंगा।”
“पर याद रखिए संस्था उसी खाते में रुपए जमा कराएगी।”
“क्या ?”
“हां..खाता सोच-समझ कर दीजिएगा। पैसा देख कर नियत बदलते देर नहीं लगती। और हां, कार्यवाही करते ही आपके पास ओटीपी आएगा। उसे तुरंत मेरे पास भेज देना.. वरना सम्मान रद्द हो जाएगा। पांच दिन में सारे कागजात संस्थान के पास आ जाने चाहिए.. ।”
“ठीक है।धन्यवाद।”
होशियार चन्द्र मजनू के पास गए। उन्हें बताया कि बीजा संस्था खुद बनवाएगी। ”
मजनू ने कहा, “पैसा अपने खाते में डालना है, तो डाल दो । इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। तुम्हारे खाते से कोई पैसा निकाल नहीं पाएगा । और बीजा के लिए जरूरी कागज भेज देना । अगर बीजा आ जाए तो अमेरिका चले जाना और ना आए तो कोई बात नहीं ।”
होशियार चन्द्र बोले,”बीजा जरूर आएगा।.. लेकिन पैसे नहीं है ।”
मजनू ने कहा,”प्रधान से ले लो ।”
“प्रधान से बात हो चुकी है, उनके पास पैसा नहीं है। मैं जमीन बेच दूं ।”
मजनू ने कहा,”यह ठीक रहेगा।”
होशियार चन्द्र ने अपनी दस लाख की जमीन पांच लाख में बेच दी ।सोचा,’जब दस करोड़ मिलेगा तो कई बीघे जमीन खरीद लूंगा । उन्होंने जमीन बेचकर सारा पैसा अपने खाते में जमा करा दिया। दूसरे का खाता नंबर देना उचित नहीं समझा।
इधर गांव वालों ने होशियार चन्द्र के सम्मान के लिए भव्य समारोह का आयोजन किया । इस आयोजन में कई गांव के लोग इकट्ठा हुए । फूल-मालाओं से होशियार चन्द्र का मान-सम्मान किया गया। मंच पर एक के बाद एक सभी लोग होशियार चन्द्र की होशियारी के किस्से सुना रहे थे। होशियार चन्द्र मन ही मन गदगद हो रहे थे। सारे कागज पहले ही भेज चुके थे । आज फोन भी आया था कि बीजा तैयार हो गया है, हवाई जहाज के टिकट के साथ शाम तक पहुंच जाएगा । कल अमेरिका जाना है।
गांव वालों ने भी इसीलिए आज ही आयोजन कर दिया। कल एयरपोर्ट तक गाजे-बाजे के साथ सब होशियार चन्द्र को छोड़ने भी जाएंगे । मंच पर गाना-बजाना चल रहा था । होशियार चन्द्र ख्यालों में खो गए। वे हवाई जहाज पर बैठ कर उड़ने लगे। हवाई जहाज बादलों को चीरता हुआ सांय-सांय आसमान में उड़ा जा रहा था। अमेरिका में फूल-मालाओं से उनका स्वागत होने लगा। दस करोड़ रुपए खाते में ट्रांसफर कर दिए गए। दस करोड़ का मैसेज मोबाइल पर आ गया । होशियार चन्द्र खुशी से झूम उठे । तभी होशियार चंद का फोन घनघना उठा । उसी लड़की की आवाज आई “मुबारक हो, आपका बीजा भेजा जा चुका है । कल आप अवश्य आ जाइएगा । देखिए आपके फोन पर एक मैसेज आया होगा । वह हमें बता दीजिए । उसके बिना बीजा आपको मिल नहीं पाएगा।” होशियार चन्द्र ने शोर-शराबे से थोड़ा दूर जाकर मैसेज देखा। ओटीपी फटाक से बताया । फिर वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गए। थोड़ी देर में एक मैसेज और आया । यह मैसेज देख कर होशियार चन्द्र की सारी होशियारी निकल गई। वे हड़बड़ा गए । हाथ पैर कांपने लगे। “हाय.. हाय ..” वे फूट-फूट कर रो पड़े । उन्हें रोता हुआ देख कर सब चौंक गए ।
मजनू ने पूछा,”क्या हुआ भाई ।”
उन्होंने मोबाइल दिखाया। “मेरे पैसे.. हाय रे पैसे सब बरबाद हो गया।”
मजनू ने देखा पांच लाख खाते से निकल गए थे।
संस्थान के नम्बर पर फोन किया । फोन बंद था। प्रधान ने पूछा, “ऐसा कैसे हो गया ?”
मजनू ने मैसेज देखा। कहा, “ये ओटीपी कैसा है ?”
मशहूर चन्द्र ने कहा,”यह मैसेज अमेरिका से आया है।”
“इस मैसेज को किसी को बताया है क्या ?”
” हां ” होशियार चन्द्र ने कहा,’ अंतरराष्ट्रीय सम्मान संस्थान को बताया था।”
“एटीएम नंबर भी बताया था क्या ?”
“नहीं, उसकी आगे पीछे की फोटो खींच कर भेजी थी।”
“तभी तो तुम्हारे खाते से पैसे निकल गए। पता है ओटीपी किसी को नहीं बताना चाहिए।”
होशियार चन्द्र ने फिर उसी नंबर पर फोन किया पर फोन स्विच ऑफ था । कई बार फोन किया, लेकिन फोन नहीं लगा। अंतर्राष्ट्रीय सम्मान संस्थान ने होशियार का बैंक खाली कर दिया था। होशियार चन्द्र बैठे माथा पीट रहे थे और गांव के लोग हैरान हो कर होशियार चन्द्र की होशियारी का तमाशा देख रहे थे।