लखनऊ। आज गोमती नगर स्थित यूनिसेफ के प्रदेश कार्यालय के मुख्य गेट पर समाज की ओर से संयुक्त राष्ट्र को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। यूक्रेन में हो रहे युद्ध को टालने में संयुक्त राष्ट्र की बड़ी भूमिका हो सकती थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
कार्यक्रम के तहत अंबेडकर पार्क के सामने शिरोज़ हैंगआउट से यूनिसेफ कार्यालय तक की मौन यात्रा निकली। यूनिसेफ कार्यालय के गेट पर गुलाब और गेंदे के फूलों से यूएन लिखा गया। उसके सामने तीन महिलाओं ने रजनीगंधा के फूल श्रद्धांजलि स्वरूप अर्पित किये। कार्यक्रम का अंत दो मिनट के मौन के साथ हुआ।चाहे प्राकृतिक आपदा हो या युद्ध की विभीषिका- उसका शिकार सबसे पहले और सबसे ज़्यादा बच्चे और महिलाएं होती हैं।
यूक्रेन में युद्ध का उन्माद नाच रहा है। मानवता कराह रही है। विश्व समुदाय लगभग चुप है, बीच-बचाव और युद्ध विराम का निर्णायक दबाव नहीं है। दुखद है कि संयुक्त राष्ट्र भी तमाशबीन की भूमिका अदा कर रहा है, विश्व का प्रतिनिधित्व करने के बजाय विश्व की बड़ी ताकतों के साथ खड़ा हुआ है। याद रखने की ज़रूरत है कि उसका यही रवैय्या फ़िलिस्तीन से लेकर ईराक, अफ़ग़ानिस्तान, लीबिया आदि मामलों में भी रहा था। यूक्रेन ताज़ा उदाहरण है जिसमें संयुक्त राष्ट्र ने एक बार फिर अपनी निष्क्रियता की गवाही दी है।जो निष्क्रिय होता है, वह मर जाता है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना पवित्र मक़सद के लिए हुई थी और उसका शानदार अतीत रहा है। इस नाते उसे श्रद्धांजलि देना सबका दायित्व है।कार्यक्रम में अलका प्रभाकर, सहर फातिमा, अज़रा मोबिन्, गुल सईद, उज्मा परवीन, इमरान हसन सिद्दीकी, प्रो धर्मेंद्र कुमार, अनूप अवस्थी, सृजनयोगी आदियोग आदि सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।