लखनऊ में ‘महिन्द्रा सनतकदा फेस्टिवल’ का आगाज: एक बार फिर यूं गुलजार हुई सफेद बारादरी

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शुक्रवार सुबह 11 बजे फेस्टिवल का उद्घाटन किया गया। कोविड-19 महामारी के सभी नियमों का पालन करते हुए सुबह 11 बजे से क्राफ्ट बाज़ार खुल गया जिसमें लोगों की चहल क़दमी शुरू हो गई। इस बार क्राफ्ट बाज़ार में कई नये आर्टिज़न को अपने हाथों का कमाल दिखाने का मौक़ा मिला।

लखनऊ। ‘महिन्द्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल’ फिर से सफेद बारादरी, क़ैसरबाग में अपनी नई थीम “लखनवी बावर्ची ख़ाने“ के साथ हाज़िर हुआ। लखनऊ के वे ख़ास लोग जो कला और संस्कृति को ज़िंदा रखने में रूचि रखते हैं, वे लोग बहुत ही शिद्दत से इस जश्न का इंतज़ार कर रहे थे। आखिर वो दिन आज आ ही गया जब क़ैसरबाग स्थित सफ़ेद बारादरी फ़िर से फेस्टिवल की गूंज से रौशन हो गई।

दरअसल शुक्रवार सुबह 11 बजे फेस्टिवल का उद्घाटन किया गया। कोविड-19 महामारी के सभी नियमों का पालन करते हुए सुबह 11 बजे से क्राफ्ट बाज़ार खुल गया जिसमें लोगों की चहल क़दमी शुरू हो गई। इस बार क्राफ्ट बाज़ार में कई नये आर्टिज़न को अपने हाथों का कमाल दिखाने का मौक़ा मिला।

मुख्य आकर्षण रहा हस्तकला और शिल्पकला बाजार

हर बार की तरह इस बार भी फ़ेस्टिवल का मुख्य आकर्षण हस्तकला और शिल्पकला बाज़ार रहा। जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों से अलग- अलग कलाओं को दर्शाया गया। जिसमें कुछ ख़ास कलाएं जैसे- सूंफ, लम्बाडी, फुलकारी, कांथा, चिकनकारी, आरीज़रदोज़ी जैसी कढ़ाईयां, हतकंघे पर बुने हुये कपड़े जैसे- जामदानी, भुजोड़ी, चंदेरी, महेश्वरी, टसर, इक्क्त, साउथ कॉटन, खादी व अन्य राज्यों जैसे- असम, छत्तीसगढ़ और कर्नाटका के वीव्स।

सजने- सवरने से जुड़े ज़ेवर जिसमें हाथ से बने चांदी के बुंदे, हार, चूड़िया, कपड़े से बने हुये ज़ेवर, हैदराबाद की मशहूर मोतियों के ज़ेवर, राजस्थान का पटवा हस्तकला और गोल्ड प्लेटेड व ऑक्सीडाईज़ड मेटल के ज़ेवर। पैरों की शान बढ़ाने के लिए हरियाणवी मोजरी, राजस्थानी कोलापुरी व हाथ से पेन्ट किए हुए जूते। इसके अलावा बाटिक, शिबोरी, बांधनी, हैंड पेन्टेड कलमकारी, मधुबनी और लखनवी टुकड़ी के ग़रारे।

खाने-पीने और ब्युटी केयर से जुड़े ऑरगैनिक प्रोडक्ट। भारत के शिल्पकारों की ख़ास और दिलचस्प घरों की शोभा बढ़ाने वाले सामान जैसे- छत्तीसगढ़ का लोहे का सामान, गुजरात का कॉपर बेल्स, रामपुर की सतरंगी पतंगें, आंध्रप्रदेश की चमड़े पर की गई कलाकारी, उड़ीसा डोकरा क्राफ्ट और लखनऊ का बोन कारविंग आदि मौजूद रहे। इस दौरान खरीदारों ने अपने मनपसंद सामानों खरीदारी की।

यूं मिल रहा स्वाद का जायका

थीम के इर्द-गिर्द दर्शाया गया बावर्ची टोला जो सलेमपुर हाउस में शुरू किया गया। इसमें शादी के तमाम क़िस्म के खाने तैयार करके लोगों के बीच शादी का माहौल व खुशी का ख़ास मंज़र पेश किया। जहां खाने से जुड़े कई अलग-2 मौक़ों के जश्न का वास्तविक झलक लोगों के बीच लाने की एक ख़ास कोशिश दिखाई दी।

जिसके तहत वेज-नॉनवेज खानों से जुड़े वे तमाम पेशेवर लोग, जो लखनऊ शहर के मोहल्लों के बीच मौजूद है। उन्होंने अपने हाथों के पकाये खाने का ज़ायका और खुशबू को लखनऊ के आवाम को चखने का सुनहरा मौका दिया। इस दौरान तमाम क़िस्म के त्योहारी खाना खाने का मज़ा भी मिला।

जैसे- नवरोज़ का हलवा, बैसाखी की रेवड़ी, होली की गुझियाँ, ईद की सेवईं, क्रिस्मस का प्लम केक, दुर्गापूजा का संदेश, मुहर्रम का खिचड़ा, नवरात्र का पंजीरी का हलवा और दिवाली का चीनी के खिलौने, चीनी के गट्टे आदि। मीठे पकवानों के ये अलग-अलग रंगों ने ही लखनऊ के हर सांझे त्यौहार को एक -दूसरे से जोड़ कर रखा हैं, और उसमें मोहब्बत की चाशनी डाली हैं।

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