गांधी जी के शहादत दिवस पर आज़ादी आन्दोलन के उदात्त मानवीय मूल्यों और भारतीय लोकतन्त्र के दिशानिर्देशक संवैधानिक मूल्यों की हिफ़ाज़त का व उन्हें मज़बूत बनाने का संकल्प लिया !

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महात्मा गांधी

30 जनवरी 2022, लखनऊ। महात्मा गांधी जी के शहादत दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में सक्रिय सहमना मानवतावादी संगठनों-समूहों के सदस्यों की (ऑनलाइन) बैठक देर शाम सम्पन्न हुई। बैठक में शामिल लोगों ने गांधी जी की शहादत के साथ-साथ आज़ादी के आन्दोलन के तमाम जाने-अनजाने शहीदों की कुर्बानियों को याद करते हुए आज़ादी के आन्दोलन के उदात्त मानवीय मूल्यों और भारतीय लोकतन्त्र के दिशानिर्देशक संवैधानिक मूल्यों की हिफ़ाज़त का, उन्हें मज़बूत बनाने का संकल्प लिया !

बैठक में आम राय थी कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाला मौजूदा सत्तापक्ष जनता की बुनियादी और ज़रूरी समस्याओं से जुड़े सवालों से बचने की लगातार कोशिश कर रहा है। इन सवालों का जवाब देने के बजाय वह प्रदेश की जनता को धार्मिक-साम्प्रदायिक आधार पर बाँटने, उनकी सामुदायिक एकता को तोड़ने की हर सम्भव कोशिश कर रहा है, ताकि ऐसी साम्प्रदायिक जोड़-तोड़ से वह दुबारा सत्ता पर काबिज़ हो सके।

इस साम्प्रदायिक सियासत से उत्तर प्रदेश की जनता को आगाह करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में मतदाता के फ़र्ज़ को बिना किसी लोभ-लालच, डर-दबाव, झिझक-परेशानी के पूरी ज़िम्मेदारी के साथ निभाने की अपील की गयी। जनता की मौजूदा मजबूरी, लाचारी, बेबसी, और बेजारी की बदहाल तस्वीर को अपने वोट की ताकत से बदल देने का आह्वान किया गया। इसके लिए आम सहमति से एक जन अभियान – ‘चलो, चलें…..बदलें !!’ की शुरुआत की गयी, और अभियान के परचे को जारी किया गया।

बैठक के शुरुआती सम्बोधन में वरिष्ठ कथाकार, रचनाकर्मी नमिता सिंह ने इस अभियान को गांधी विचार और दर्शन के मानवतावादी मूल्यों के आधार पर मज़बूती से चलाने की ज़रूरत पर बल दिया; क्योंकि इन मानवीय मूल्यों को आघात पहुँचाने के लिए ही गांधी विचार को मिटाने की साजिश पिछले 8-10 सालों में तेज़ हुई है। ‘सोशलिस्ट फ़ाउण्डेशन’ के रामकिशोर ने उत्तर प्रदेश के मतदाताओं से समाज को तोड़नेवाली ऐसी हर सियासी, साम्प्रदायिक चाल का मज़बूती के साथ जवाब देने का आह्वान किया। बैठक के समापन-सम्बोधन में ‘जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी’ के प्रदेश संयोजक दिनेश प्रियमन ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जिस कल्पना के साथ देश के किसानों, मज़दूरों, स्त्रियों, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों की व्यापक एकजुटता और समावेशी प्रगति की आधारशिला रखी थी, उसे तोड़नेवाली राज्यसत्ता को हम कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसी जनविरोधी सियासत करनेवालों को वोट के ज़रिए सत्ता से बेदख़ल करना बहुत ज़रूरी है।

बैठक में ‘नफ़रत और हिंसा के ख़िलाफ़ मानवीय एकता’, ‘जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी’, ‘छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी’, ‘सोशलिस्ट फ़ाउण्डेशन’, ‘पीपल्स यूनिटी सेण्टर’, ‘डा.राही मासूम रज़ा साहित्य अकादमी’, ‘जन एकता मुहिम’, ‘सर्वोदय मण्डल’, ‘पीपल्स मीडिया’, ‘बौद्ध कम्यून’, ‘जनपहल’ आदि करीब दर्जनभर सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों-समूहों के सदस्यों सहित अन्य परिवर्तनकारी साथी शामिल थे।

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