रिसर्च में खुलासा: कोरोना पहुंचा रहा स्पर्म को नुकसान, पापा बनने में हो सकती हैं मुश्किलें

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एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि कोविड-19 के कारण स्पर्म को भी नुकसान पहुंचता है। बताया गया कि जो किसी पुरुष की बच्चे पैदा करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।

नई दिल्ली। कोरोना को लेकर मचे हाहाकार के बीच नया खुलासा हुआ है। इसने पुरूषों की चिन्ता बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना वायरस से उबरने के बाद पोस्ट कोविड बीमारियों की वजह से कई दिक्कतें सामने आती हैं। बताया गया कि एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि कोविड-19 के कारण स्पर्म को भी नुकसान पहुंचता है।

बताया गया कि जो किसी पुरुष की बच्चे पैदा करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। अध्ययन के मुताबिक चिंताजनक बात ये है कि कोविड-19 से उबरने के कई माह बाद भी स्पर्म काउंट घटता नजर आया है।

कोरोना यूं पहुंचाता है स्पर्म को नुकसान

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में बेल्जियम में हुई एक नए अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना वायरस पुरुषों के स्पर्म काउंट को घटा सकता है। बताया गया कि फर्टिलिटी एंड स्टर्लिटी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बेल्जियम के 120 पुरुषों के सैंपल लिए गए थे,

जिनकी औसत उम्र 35 वर्ष थी और कोरोना से उबरे कम से कम एक हफ्ते और औसतन 53 दिन हो चुके थे। जानकारी के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि जिन पुरुषों को कोविड-19 से संक्रमित हुए एक माह से कम हुआ था, उनका स्पर्म काउंट 37 फीसदी घट गया था। वहीं जिन पुरुषों को कोरोना संक्रमित हुए एक से दो माह हुए थे,

उनके भी स्पर्म काउंट में 29 फीसदी कमी देखी गई। बताया गया कि दो माह बाद स्पर्म काउंट में 6 फीसदी कमी देखी गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस अध्ययन में शामिल पुरुषों में कोरोना की वजह से न केवल उनके स्पर्म काउंट बल्कि स्पर्म मोटिलिटी (शुक्राणु गतिशीलता) भी प्रभावित हुई है।

कोरोना यौन संबंध के जरिए नहीं फैलता

बताया गया कि जिन पुरुषों को कोरोना संक्रमित हुए एक माह से कम हुआ था, उनकी स्पर्म मोटिलिटी 60 फीसदी तक घट गई थी। इसी क्रम में जिन पुरुषों को कोविड से संक्रमित हुए एक से दो माह हुए थे उनकी स्पर्म मोटिलिटी 37 फीसदी और कोविड इंफेक्शन से उबरे हुए दो माह बाद भी स्पर्म मोटिलिटी में 28 फीसदी की कमी देखी गई।

रिसर्च के मुताबिक इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि कोरोना यौन संबंध के जरिए नहीं फैलता। यानी कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति के सीमन से वायरस नहीं फैलता। बताया गया कि कोरोना संक्रमित हो चुके व्यक्ति के सीमन में कोरोना की मौजूदगी यानी, वायरस का RNA नहीं पाया गया।

बताया गया कि इस बात के लिए अभी और अध्ययन किए जाने की जरूरत है कि क्या कोरोना बच्चे पैदा करने की क्षमता पर दीर्घकालिक असर डाल सकता है या नहीं।

पुरुष पार्टनर के स्पर्म का स्वस्थ होना सबसे जरूरी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अध्ययन में कोरोना संक्रमित पुरुषों के स्पर्म पर प्रभाव को लेकर दो बातें सामने आईं हैं। एक उनका स्पर्म काउंट घटा और दूसरा उनकी स्पर्म मोटिलिटी भी प्रभावित हुई। बताया गया कि जिन पुरुषों को कोरोना से ठीक हुए दो माह से भी अधिक हो चुके थे, उनके भी स्पर्म पर इसका प्रभाव दिखा।

बताया गया कि पुरुष के पिता बनने में स्पर्म ही सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में कंसीव करने की योजना बना रहे कपल के लिए पुरुष पार्टनर के स्पर्म का स्वस्थ होना सबसे जरूरी है। इस अध्ययन ने प्रेग्नेंसी की योजना बना रहे कपल्स को सावधान करते हुए कहा,

प्रेग्नेंसी की इच्छा रखने वाले कपल्स को चेतावनी दी जानी चाहिए कि कोविड-19 संक्रमण के बाद स्पर्म की गुणवत्ता घट सकती है।

स्पर्म काउंट को यूं समझें

बताया गया कि पुरुष प्रजनन सिस्टम स्पर्म या शुक्राणु बनाता है जो प्रत्येक अंडकोष के भीतर सीमन नलिकाओं में बनता है। स्पर्म के शीर्ष हिस्से पर डीएनए होता है, जो महिला के अंडे के डीएनए के साथ मिलकर बच्चे का निर्माण करता है। वैस तो हेल्दी स्पर्म के लिए 6 क्राइटेरिया हैं, लेकिन उनमें से जो दो सबसे अहम हैं,

वो हैं स्पर्म काउंट और स्पर्म मोटिलिटी। बताया गया कि स्पर्म काउंट, यानी पुरुष के सीमन (वीर्य) में प्रति मिली लीटर (mL) में स्पर्म की संख्या। एक हेल्दी स्पर्म काउंट तब माना जाता है जब सीमन के प्रति mL में 1.5 करोड़ से 20 करोड़ स्पर्म होते हैं। यदि किसी पुरुष में प्रति mL 1.5 करोड़ से कम स्पर्म,

और प्रति इजैक्यूलेशन (वीर्यपात) में 3.9 करोड़ से कम स्पर्म हैं तो वह लो स्पर्म काउंट से पीड़ित है। खास बात ये है कि भले ही महज एक मिली लीटर सीमन में ही करोड़ों की संख्या में स्पर्म मौजूद होते हैं, मगर बच्चा पैदा करने के लिए एक एग से फर्टिलाइज करने के लिए केवल एक ही स्पर्म की जरूरत होती है।

जानिए क्यों जरूरी है स्पर्म मोटिलिटी..

बताया गया कि पिता बनने के लिए पुरुषों में न केवल हेल्दी स्पर्म काउंट जरूरी है बल्कि स्पर्म मोटिलिटी यानी शुक्राणु की गतिशीलता भी उतनी ही जरूरी होती है। बताया गया कि स्पर्म मोटिलिटी फीमेल एग तक पहुंचने के लिए स्पर्म के ठीक तरह से मूवमेंट को दिखाता है। स्पर्म का सबसे अहम गुण उसके तैरते रहने की क्षमता होती है।

स्पर्म तब तक तैरता रहता है जब तक कि वह किसी एग को फर्टिलाइज करने के लिए उसके पास तक नहीं पहुंच जाता। किसी पुरुष में हेल्दी स्पर्म मोटिलिटी के लिए स्पर्म का कम से कम 25 माइक्रोमीटर प्रति सेकेंड की दर से मूव करना आवश्यक होता है।

बताया गया कि यदि स्पर्म 5 माइक्रोमीटर प्रति सेकेंड से कम से मूवमेंट करे तो वह पुरुष लो स्पर्म मोटिलिटी से पीड़ित होता है।

अध्ययन ने बढ़ाई चिन्ता

यह अध्ययन बताता है कोरोना संक्रमित होने वाले व्यक्तियों के स्पर्म पर इसका असर पड़ता है। इतना ही नहीं कोरोना से उबरने के महीनों बाद भी स्पर्म पर असर बरकरार रहता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये स्टडी पुरुषों की बच्चा पैदा करने की क्षमता प्रभावित होने की आशंका की ओर इशारा करती है।

ऐसे में इन हालातों से बचने के लिए पुरुषों को जितना संभव हो खुद को कोरोना संक्रमण से बचाए रखने और वैक्सीनेशन करवाने का प्रयास करना होगा।

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