एक पत्रकार जोड़ी की नज़र में योगी आदित्यनाथ

592
Yogi Adityanath in the eyes of a journalist duo
शरत प्रधान और अतुल चंद्रा की किताब "योगी आदित्यनाथ" पाठकों को खींचने वाली हैं।

नवेद शिकोह,लखनऊ। किसी फिल्म की स्टार कास्ट दर्शकों को खींचने के लिए काफी होती है। साथ ही निर्माता,प्रोडक्शन हाउस, डिस्ट्रीब्यूटर और पोस्टर की खूबियां भी सिनेमा घर जाने पर मजबूर कर देती हैं। इसी तरह किसी किताब के लेखक की साख, पब्लिशर का नाम,कवर और विषय वस्तु पाठकों को खींचता है। यूपी के चुनावी समर में देश के दो प्रतिष्ठित पत्रकार शरत प्रधान और अतुल चंद्रा की किताब “योगी आदित्यनाथ” पाठकों को खींचने वाली हैं।

चुनावी चर्चाओं के बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर केंद्रित एक पत्रकार जोड़ी की किताब का शीर्षक ही इसे पढ़ने की बेचैनी पैदा कर रहा है। सब जानते हैं पेंगुइन का प्रकाशन हल्का-फुल्का और रेडीमेड नहीं होता। किताब की लेखक जोड़ी की पत्रकारिता के अतीत से लेकर वर्तमान तक नजर डालिए तो ये वो शख्सियतें हैं जो करीब तीन दशक से ज्यादा वक्त से काजल की कोठरी में रहकार भी बेदाग हैं। इनका कलम किसी भी दौर में समझौतावादी नहीं रहा।

Yogi Adityanath in the eyes of a journalist duo
वो शख्सियतें हैं जो करीब तीन दशक से ज्यादा वक्त से काजल की कोठरी में रहकार भी बेदाग हैं।

टाइम्स आफ इंडिया की ये पुरानी शराब

ये अपने और पत्रकारिता के उसूलों के पाबंद हैं। टाइम्स आफ इंडिया की ये पुरानी शराब जितनी पुरानी होती जा रही है उनके कलम पर पाठकों के विश्वास का नशा बढ़ता जा रहा है। शरत प्रधान और अतुल चंद्रा की ये जोड़ी संगीत के सुरों जैसी है। शरत तीव्र स्वर हैं और अतुल कोमल स्वर के हैं। यूपी की सियासत और यहां के राजनेताओं की रग-रग से वाक़िफ लखनऊ के इन वरिष्ठ पत्रकारों ने योगी आदित्यनाथ की शख्सियत को अपनी किताब में किस तरह पिरोया है ये बात उनकी ये किताब पढ़ने के बाद ही पता चलेगी।

इसे भी पढ़ें..

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here