आगरा। योगी सरकार भले ही अपने सख्त कानून व्यवस्था के लिए जानी जाती हो, लेकिन महिलाओं और बेटियों को सुरक्षा देने में यह सरकार नाकामयाब रही है। यह हम नहीं कह रहे है,बल्कि इसका खुलासा एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा प्रदेश भर की पुलिस से आरटीआई की तहत मांगी गई जानकारी के आधार पर हुआ।
आपकों बता दें कि प्रदेश की विभिन्न जिलों से जानकारी आई उसके अनुसार रोज घरों से तीन बेटियां गायब हो रही हैं यह चिंता का विष्य है,हालांकि प्रदेश सरकार बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति को लेकर आई थी, इसके तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई सारे कार्यक्रम होने थे, इसके बाद भी प्रदेश में महिलाएं प्रदेश में सुरक्षित नहीं है। बात चाहे बेटियों से हिंसा या दुष्कर्म की करें हर जगह इनका शोषण हो रहा है।
आपकों बता दें कि आगरा एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सरकार से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी, सरकार से जो जानकारी आई है वह किसी भी माता पिता के लिए रूला देने वाला हो सकती है। प्रदेश की विभिन्न जिलों की पुलिस द्वारा दिए गए जवाब केअनुसार प्रदेश में रोज तीन बेटियां घर से गायब होती है।
यह जानकारी 50 जिलों से मिले आरटीआई के जवाब में उत्तर प्रदेश पुलिस ने दी। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश से कुल 1,763 बच्चे लापता हुए। जिसमें 1,166 लड़कियां हैं। 1,080 लड़कियां 12-18 वर्ष की आयु की हैं। कुल लापता लड़कियों में से 966 लड़कियों को बरामद कर लिया गया है। दो सौ लड़कियां आज भी लापता हैं।
302 बच्चे अभी भी है लापता
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आगरा के आरटीआई एवं चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट नरेश पारस ने वर्ष 2020 में लापता बच्चों की जानकारी उत्तर प्रदेश पुलिस से मांगी थी जिसमें 50 जिलों से जवाब मिला। कुल 1,763 बच्चे लापता हुए। जिसमें 597 लड़के और 1,166 लड़कियां हैं। अब तक 1,461 बच्चों को बरामद किया गया है। 302 बच्चे अभी लापता हैं। जिसमें 102 लड़के और दो सौ लड़कियां हैं। 50 जिलों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि उत्तर प्रदेश से हर रोज लगभग पांच बच्चे लापता हो रहे हैं। कुछ जिलों की पुलिस ने आरटीआई का जबाव देने से सीधे इंकार कर दिया है, इससे पूरे प्रदेश का विश्लेषण नहीं हो पाया है अन्यथा यह संख्या और भी बढ़ सकती है।
12-18 वर्ष की लड़कियां ज्यादा गायब हो रहीं
नरेश पारस ने लापता बच्चों पर चिंता जताते हुए कहा कि आखिर बच्चे कहां जा रहे हैं। हर रोज पांच बच्चों का लापता होना चिंता का विषय है। लापता बच्चा चार माह तक बरामद न होने पर विवेचना मानव तस्करी निरोधक शाखा में स्थानांतरित करने का प्रावधान है। उसके बावजूद भी लापता बच्चों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। लड़कियों की संख्या और अधिक चिंतित करती है। 12-18 वर्ष की लड़कियां ज्यादा गायब हो रहीं हैं। या तो लड़कियां प्रेमजाल में फंस रही हैं या फिर उनको देह व्यापार में धकेला जा रहा है।
वही नरेश पारस ने कहा कि हर जिले में पुलिस मुख्यालय पर लापता बच्चों की जन सुनवाई कराई जाए। जिसमें थाने के विवेचक और परिजनों को बुलाकर केस की समीक्षा की जाए। चार महीने तक बच्चा न मिलने पर मानव तस्करी निरोधक थाने से विवेचना कराई जाए। यह थाने हर जनपद में खोले गए हैं, इसके बाद भी हमारी पुलिस बच्चों को तलाशने में नाकामयाब हो रही है।
मेरठ में सबसे ज्यादा बच्चे हो रहे गायब
- मेरठ – 113
- गाजियाबाद – 92
- सीतापुर – 90
- मैनपुरी – 86
- कानपुर नगर – 80
इसे भी पढ़ें..