लखनऊ: कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज हुए सम्मानित, ठुमरी एवं भजन सुनाकर जीता श्रोताओं का दिल

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कथक के प्रसिद्ध गुरू और नर्तक कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज बुधवार को अपने गृहनगर लखनऊ में सम्मानित होकर अभिभूत हो गए।

लखनऊ। कथक के प्रसिद्ध गुरू और नर्तक कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज बुधवार को अपने गृहनगर लखनऊ में सम्मानित होकर अभिभूत हो गए। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में आयोजित भव्य समारोह में संस्कृति,

पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज को सम्मानित किया। प्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी, संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम और प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना शाश्वती सेन की उपस्थिति में शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिह्म भेंटकर उन्हें सम्मानित किया गया।

इस मौके पर पंडित बिरजू महाराज ने श्रोताओं के अनुरोध पर ठुमरी एवं भजन भी सुनाए। समारोह में संस्कृति, पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहा कि कोरोना के संकट को पूरे विश्व ने झेला। इस संकट से पर्यटन व्यवसाय पर भी बुरा असर पड़ा, लेकिन कलाकारों को बहुत मुश्किल उठानी पड़ी।

उन्होंने कहा कि कलाकार को मंच चाहिए। कलाकार जब तक मंच पर नहीं आता है, उसे संतुष्टि नहीं मिलती। आत्मा कचोटती है, मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। उन्होंने कहा कि संस्कृति विभाग द्वारा कलाकारों को मंच प्रदान करने के लिए अनवरत कार्यक्रम कराए जा रहे हैं।

वाराणसी में नवरात्रि महोत्सव में नगर से जुड़े अधिकतम कलाकारों को मंच प्रदान किया गया। वे मंच पर प्रदर्शन कर बहुत प्रफुल्लित हुए क्योंकि उन्हें संकट के कारण लंबे समय बाद मंच मिल पाया था। उन्होंने कहा कि पंडित बिरजू महाराज सभी कलाकारों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।

हम प्रार्थना करते हैं कि उन्हें लंबी आयु मिले और वे लंबे समय तक हम सबके बीच रहें।

तय था पहले लखनऊ आऊंगा

सम्मान से अभिभूत पंडित बिरजू महाराज ने कहा कि कोरोना संकट के कारण मैं लंबे समय से घर से नहीं निकल सका था लेकिन मन में इरादा था कि जब भी निकलूंगा, फिर से जो सफर शुरू करूंगा लखनऊ से करूंगा। मैं लखनऊ में जन्मा हूं, यहीं खेला हूं। उसी जगह पर जहां आज कथक संग्रहालय बन गया है।

वह याद आज भी बनी हुई है। जब इस भूमि पर आता हूं, प्रणाम करता हूं कि मैं लखनऊ अपने घर आ गया हूं। उन्होंने कहा कि मैं मजबूरी में दिल्ली में फंसा हूं। मैंने मुख्यमंत्री महोदय से भेंटकर उनसे कहा है कि कुछ ऐसी बात करें यहां पर कि हम यहां रह सकें। अपने जीवन का आखिरी वर्ष यहां रहकर बच्चों को सिखाने में बीता सकें।

पंडित बिरजू महाराज ने कहा कि नृत्य केवल मनोरंजन नहीं है, ईश्वर की आराधना है। हर हरकत में ईश्वर की आराधना है। उन्होंने कहा कि मीराबाई, सूरदास सभी ने संगीत के सहारे ही ईश्वर को प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि हम घुंघरू बजाकर ईश्वर को याद करते हैं, उन्हें बुलाते हैं।

कलाकारों की प्रतिमाएं लगाएं

पंडित बिरजू महाराज ने कहा कि विदेश में विभिन्न क्षेत्र के अच्छे कार्य करने वाले लोगों की प्रतिमाएं लगती हैं। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि देश में जगह-जगह कलाकारों की प्रतिमाएं लगाई जाएं। उन्होंने कहा कि मैं उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का अध्यक्ष रहा हूं। मुझे यहां से जोड़े रखें, मुझे अच्छा लगेगा।

उन्होंने कहा कि जितना बनारस को सजाया गया है, उतना ही लखनऊ को भी सजाया जाना चाहिए,ऐसी हमारी इच्छा है। इस मौके पर प्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी ने कहा कि पंडित बिरजू महाराज जी जितना अच्छा नृत्य करते हैं, उतना ही अच्छा गाते हैं और उतना ही अच्छा वादन भी करते हैं।

आरंभ में अकादमी के सचिव तरुण राज ने अतिथियों का स्वागत किया तथा अकादमी की गतिविधियों की जानकारी दी। इस मौके पर प्रशंसकों के अनुरोध पर पंडित बिरजू महाराज ने भक्ति रचना और ठुमरी सुनाकर भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम के क्रम में कथक प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया।

इससे पहले कार्यक्रम के आरंभ में प्रसिद्ध कथक नर्तक मधुकर आनंद के पुत्र आर्यव आनंद ने एकल कथक नृत्य किया। इस मौके कथक केन्द्र के कलाकारों ने सुरभि शुक्ल के निर्देशन में नमामि रामम् नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम में डा. सुरभि शुक्ला, श्रुति शर्मा, नीता जोशी, प्रियम यादव,

अदिति जायसवाल, विधि जोशी,पाखी सिंह,अंतरा सिंह,डिम्पल वीरवानी,सताक्षी मिश्रा,समृद्धि मिश्रा,रश्मि पांडे,सृष्टि प्रताप,अनुष्का यादव,आकृति कपूर,शिवांगी बड़वाल,अनन्या, कृष्ण राज आदि कलाकारों ने अपनी प्रतिभा से सभी का दिल जीत लिया।

वहीं संगत कलाकारों में संगीत एवं गायन – श्री कमलाकांत ,तबला एवं छंद संयोजन – राजीव शुक्ला, पढ़ंत एवं सहलय वाद्य – पार्थ प्रतिम मुखर्जी,बांसुरी – दिपेन्द्र कुंवर, सितार – डॉक्टर नवीन मिश्र रूप सज्जा – शहीर एवं साथी की भूमिका अहम रही।

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