राम नरेश ‘उज्ज्वल’
लखनऊ। मुरारीलाल घर पर बैठे टीवी देख रहे थे और अपने लाल-पीले-नीले कटोरा छाप बालों पर स्टाइल से हाथ फेर रहे थे। टीवी पर विज्ञापन चल रहा था । विज्ञापन में सरकार की उपलब्धियां नमक-मिर्च लगाकर गिनाई जा रही थीं । उपलब्धियों को सुनकर मुरारी लाल ने कहा, “वाह! सरकार हो तो ऐसी। वाकई वर्तमान सरकार बड़ा अच्छा काम कर रही है। हर बार यही सरकार आनी चाहिए ।”
कमरे में मुरारी के पिता भी बैठे थे । उन्होंने मुरारी की टांग पकड़ कर खींच ली । मुरारी लाल धम्म से नीचे गिर पड़े । जैसे उठे पिता ने जोरदार थप्पड़ रसीद किया । बोले ,” बेवकूफ । मैं शिक्षामित्र की नौकरी करते-करते थक गया । पर अभी तक स्थाई नौकरी नहीं मिली । केवल दस हजार पर मर कर किसी तरह परिवार का खर्च वहन कर रहा हूं। और तुझे ये सरकार अच्छी लग रही है।”
पिता ने एक थप्पड़ और मारा। मुरारी लाल जोर-जोर से रोने लगे । उनके रोने की आवाज सुनकर चाचा आ गए । पूछा, “क्या हुआ ? क्यों शोर शराबा मचा रखा है?”
पिता ने उन्हें सारी बात बताई। चाचा अनुदेशक पद पर कार्यरत थे । उनकी सैलरी का आदेश 17000 का हुआ था, किंतु उन्हें मात्र ₹7000 मिल रहे थे । उन्होंने मुरारी के बाल पकड़कर पीठ पर दो घूसे धम्म से मारे। मुरारीलाल चिल्लाकर कमरे से बाहर निकले। तभी छुटकी चाची आ गईं। ” क्या हुआ बेटे ?” चाची ने पूछा,” क्यों रो रहे हो?”
मुरारी लाल ने रोते हुए सारी बात बताई। चाची ने कहा, ” बेवकूफ के नाना । तुझे कुछ मालूम भी है। मैं कस्तूरबा गांधी में अध्यापक हूं । मुझे पहले 30,000 मिल रहे थे और अब 7000 मिल रहे हैं । मेरी तनख्वाह कम हो गई और तू बता रहा है, कि सरकार अच्छा कर रही है?”उन्होंने भी मारने के लिए झाड़ू उठाई।
मुरारीलाल रोते हुए अपनी दादी के पास चले गए और सारी बात बता दी । सब कुछ जान कर दादी ने भी तड़ातड़ चार-पांच थप्पड़ जड़ दिए । कहा,” मैंने एक गाय पाली है और उसका दो-तीन लीटर दूध अडोस-पड़ोस में बेच देती हूं । अब उसके लिए भी जीएसटी पिएसटी का रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ेगा । तू कह रहा है कि यह सरकार बहुत अच्छी है ,बहुत अच्छा काम कर रही है ।” एक डंडा उठाकर उन्होंने भी उनकी कमर पर मारा और वे और तेज रोने चिल्लाने लगे।
उनके रोने-चिल्लाने की आवाज सुनकर 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल मंझले चाचा भी आ गए। पिछले दो सालों से वे नौकरी का इंतजार कर रहे थे, किंतु नौकरी न मिली थी। बोले,” क्या मामला है मुरारी ? ”
मुरारी लाल ने रोते-रोते अपनी आपबीती बताई। सारा मामला जान कर मंझले चाचा ने चार तमाचे जड़ दिए। कहा,” मैं 69000 शिक्षक भर्ती में शामिल हूं और अब अखबार के पहले पन्ने पर खबर आ रही है, कि पहले पांच साल तक संविदा पर नौकरी करनी पड़ेगी, तब कहीं जाकर स्थाई नौकरी मिलेगी ? और तू बकवास कर रहा है कि यह सरकार अच्छा काम कर रही है ।” वे जूता उतारकर मारने दौड़े ।
मुरारीलाल भाग पड़े और पड़ोस के शुक्ला जी से टकरा गए । मुरारी लाल ने उन्हें सारी बात बताई। वे टी.ई.टी 2011 के अभ्यर्थी थे । उन्होंने बहुत धरना प्रदर्शन किया पर नौकरी नहीं मिली। सरकार से केवल कोरा आश्वासन ही मिलता रहा। उन्होंने कहा,”कितना हम झेल चुके हैं । सरकार से लाठी-डंडा भी खा चुके हैं पर आज तक नौकरी का मुंह नहीं देखा और तुम कह रहे हो कि यह बहुत अच्छी सरकार है । वे भी चप्पल उतार कर मुरारी लाल को मारने दौड़े।
मुरारी लाल भागकर छत पर चले गए । वहां भैया टहल रहे थे । वे एल.आई.सी में सरकारी नौकरी कर रहे थे। मुरारी ने कहा,” भैया …भैया देखो ये लोग मुझे मार रहे हैं!” उन्होंने पूछा,” क्यों मार रहे हैं ?” मुरारी ने कहा,” मैंने वर्तमान सरकार को अच्छा क्या कह दिया कि लोग मारने लगे । ” उन्होंने जैसे ही यह बात सुनी। मुरारी के जोरदार तमाचा जड़ा। कहा,” मैं एल.आई.सी में सरकारी नौकरी कर रहा हूं और अब एल.आई.सी ही बेची जा रही है । मेरी नौकरी खतरे में पड़ रही है और तू बता रहा है, यह सरकार अच्छा कर रही है?”
वहीं पर मामा योगनाथ योगा कर रहे थे । आवाज सुनकर उनका ध्यान भंग हुआ । वे भाग कर आए। पूछा,” क्या चल रहा है ? क्यों शोरगुल मचा रखा है ?” मामा को जब सारी बात पता चली,तो गुस्से से आगबबूला हो गए। बोले, “अब पचास साल पर रिटायरमेंट किया जाएगा। मेरी दस साल की नौकरी सरकार खा रही है। और तुम कहते हो, सरकार अच्छा कर रही है ।” उन्होंने भी मुरारी लाल को मारने के लिए दौड़ा लिया।
मुरारी लाल दौड़ते-दौड़ते ताऊ के घर में घुस गए। ताऊ ने कहा,” क्या हुआ? कौन सी आफत आन पड़ी है ?” मुरारी लाल ने उन्हें भी सारी बात बताई । वे बोले,” बेटा मारूंगा तो मैं भी तुम्हें, क्योंकि मैं रेलवे में हूं और रेलवे भी बिकने वाला है । पहले पेंशन मिलती थी तो उससे खर्चा चल जाता था, लेकिन अब तो पेंशन भी बंद कर दी है । लगता है बुढ़ापे में भीख ही मांगनी पड़ेगी । और तू कहता है,सरकार….”
तभी सारे लोग आ गए । अब कहीं भागने का मौका ना था । अंत में मुराली लाल ने कान पकड़ कर उठक-बैठक लगाई। कहा,”भैया मुझे नहीं पता था, कि इस सरकार ने इतने कांड किए हैं । अब मैं कभी इसका नाम ना लूंगा । मुझे माफ कर दो। मैं तो मजाक कर रहा था ।”अब मुरारीलाल ना किसी पार्टी को अच्छा बता रहे है, ना बुरा । मजाक करना भी वह पूरी तरह से भूल चुके, मालूम पड़ता है।
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