‘छठी मैया की बिटिया’ में अहम रोल में दिखेंगी अभिनेत्री जया भट्टाचार्य, यूं बताई सात साल काम न करने की वजह

लखनऊ। अभिनेत्री जया भट्टाचार्य किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। फिल्म ‘देवदास’ से लेकर ‘मिमी’ तक और ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ और ‘थपकी प्यार की’ जैसे टीवी शोज़ में अपने उत्कृष्ट अभिनय से वे भारतीय मनोरंजन इंडस्ट्री में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुकी हैं। अब वे सन नियो के नए शो ‘छठी मैया की बिटिया’ में एक नए किरदार के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार हैं।

सौतेली माँ के रोल में नजर आएंगी जया

जया शो में उर्मिला की भूमिका निभा रही हैं, जो मुख्य किरदार कार्तिक (आशीष दीक्षित द्वारा अभिनीत किरदार) की सौतेली माँ हैं। उर्मिला का किरदार कई जटिलताओं से भरा हुआ है, जो कहानी में कई नए तार जोड़ेगा। टीवी पर नकारात्मक भूमिकाओं को निभाने के लिए जानी जाने वालीं अभिनेत्री ने हाल ही में खुलासा किया कि उन्होंने सात साल तक काम क्यों नहीं किया।

नकारात्मक भूमिकाओं के करण सात साल काम छोड़ा

जया भट्टाचार्य ने इस पर खुलकर चर्चा करते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है जैसे मेरे माथे पर ‘नकारात्मक’ शब्द लिखा हुआ है। अब तक के करियर में मुझे अधिकतर नकारात्मक भूमिकाएँ ही मिली हैं, क्योंकि मैंने ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ में पायल की जो पहली नकारात्मक भूमिका निभाई थी, वह बहुत प्रसिद्ध हुई। लोगों ने सोचा कि मैं कोई और भूमिका नहीं कर सकती। इसी कारण से मैंने सात साल तक काम नहीं किया।

हर तरह की निभाना चाहती थी भूमिका

मुझे अपने अभिनय पर संदेह होने लगा, मैं खुद से सवाल करने लगी कि क्या मैं वाकई एक अभिनेत्री हूँ? क्या लोग नहीं समझते कि मैं अन्य भूमिकाएँ भी निभा सकती हूँ? इसलिए, मैंने सात साल तक काम नहीं करने का फैसला किया। मैं केवल नकारात्मक किरदार नहीं निभाना चाहती थी, मैं विविध भूमिकाएँ निभाना चाहती थी और एक पूर्ण चरित्र को प्रस्तुत करना चाहती थी, जिससे एक कलाकार को खुशी और संतुष्टि मिलती है।

समान भूमिकाओं से ऊब से जाता कलाकार

अगर समान भूमिकाएँ मिलती हैं, तो कलाकार ऊब जाता है, क्योंकि उसमें कुछ नया करने को नहीं होता। यदि पूरी तरह से अलग-अलग किरदार नहीं, तो कम से कम नकारात्मक भूमिकाओं में प्रयोग करने का मौका तो मिलना ही चाहिए। उदाहरण के लिए, गुलशन ग्रोवर अपने किरदारों में विभिन्न स्वाद और रंग लाते हैं। जब विविधता मिलती है, तभी किरदार को पहचान मिलती है और एक अभिनेता दर्शकों के बीच अपनी जगह बना पाता है।”

कलाकारों को नए कॉन्टेंट मिलने चाहिए

उन्होंने आगे कहा, “यदि बार-बार वही चीज़ दोहराई जाती है, किरदार में कोई नवीनता नहीं होती और समान शैली और गुणों के साथ समान किरदार निभाने की अपेक्षा की जाती है, तो अभिनेता कितने समय तक अपने किरदारों को सही ठहरा पाएगा? आखिरकार वह ऊब ही जाएगा न? कलाकारों को हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की भूख को मिटाने के लिए नए कॉन्टेंट मिलने चाहिए।

‘छठी मैया की बिटिया’ में मिला बहुत अच्छा किरदार

उनके द्वारा निभाए गए किरदारों में कुछ अंतर होना चाहिए, तभी हम संतुष्ट होंगे और अपने किरदारों को सही ठहरा पाएँगे और महसूस कर पाएँगे कि हमने अपनी पूरी कोशिश की। मैं खुश हूँ कि मुझे सन नियो के ‘छठी मैया की बिटिया’ में एक बहुत अच्छा किरदार मिला है।”‘छठी मैया की बिटिया’ एक भावनात्मक पारिवारिक ड्रामा है, जो वैष्णवी (बृंदा दहल द्वारा अभिनीत किरदार), एक अनाथ लड़की की कहानी है, जो छठी मैया (देवोलीना भट्टाचार्य द्वारा अभिनीत किरदार) को अपनी माँ मानती है।

बुराई पर अच्छाई की जीत दिखाता है यह शो

हिंदी टेलीविज़न पर पहली बार छठी मैया का चित्रण किया गया है, जो बिहार और यूपी में व्यापक रूप से पूजी जाने वाली देवी हैं। यह शो बुराई पर अच्छाई की विजय को प्रस्तुत करता है, जिसमें छठी मैया में उनके भक्तों की आस्था और भक्ति को प्रस्तुत किया गया है, जो हमेशा अपने भक्तों का मार्गदर्शन करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं। इस शो में देवोलीना भट्टाचार्जी, सारा खान, जया भट्टाचार्य, बृंदा दहल और आशीष दीक्षित जैसे कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें ‘छठी मैया की बिटिया’ हर सोमवार से शनिवार, शाम 7 बजे, सिर्फ सन नियो चैनल पर।

इसे भी पढ़ें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

आंवला एक फायदे अनेक Ginger tea protects from cold Struggle is necessary to survive Hina