लखनऊ : विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य का दो साल के भीतर ही सपा से मोहभंग हो गया। लोकसभा चुनाव में वह एक कट्टर दुश्मन की तरह चुनौती देने लगे। अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर वह मैदान में कुशीनगर से चुनाव लड़ रहे है। साथ नगीना सीट पर चंद्रशेखर का समर्थन करके सपा मुखिया अखिलेश यादव की चुनौती बढ़ा दी है। उनकी वजह से इन दोनों सीटों का समीकरण गड़बड़ाने लगा है।
राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी
दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन में पीडीए की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बागी रुप अख्तियार कर लिया था, सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने सपा और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद अपनी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी भी बना ली। साथ ही इंडिया गठबंधन को मजबूत करने का एलान भी किया।
फिर समीकरण साधने के लिए कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे ने उनके घर जाकर मुलाकात की तो स्वामी प्रसाद के इंडिया गठबंधन में आने की चर्चाएं तेज हो गईं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव से संपर्क करके कुशीनगर समेत तीन सीटें मांगी। अखिलेश के भी तेवर नरम हुए और उन्होंने मीडिया से बातचीत में यहां तक कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य सपा छोड़कर कब गए। उनका इस्तीफा कभी उनके सामने नहीं आया। हो सकता है कि सपा की कोई कमेटी उस मामले को देख रही है।
नहीं बनी बात तो फिर बगावत
पहले कांग्रेस नेताओं के प्रयास से सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य को कुशीनगर से मैदान पर उतारने को राजी हो गई, लेकिन बात नहीं बनी तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी पार्टी से मैदान में उतरने के साथ ही नगीना से स्वतंत्र उम्मीदवार चंद्रशेखर आजाद को समर्थन देकर इंडिया गठबंधन के लिए टेंशन बढ़ा दी। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि मैंने सपा अध्यक्ष से बात करके दो-तीन सीटें मांगी थीं, लेकिन इन्हीं में से एक कुशीनगर सीट भी मेरे लिए नहीं दी गई। सही बात तो यह है कि कुशीनगर में सपा के फैसले से भाजपा को वॉकओवर मिल गया है। मैं इंडिया गठबंधन के खिलाफ अभी भी नहीं हूं, जहां गैर भाजपा के दूसरे प्रत्याशी मजबूत हैं, वहां उन्हें समर्थन दे रहा हूं। अगर बसपा का प्रत्याशी मजबूत है, तो उसे भी समर्थन दिया जाएगा।
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