प्रदेश में तत्काल वेज रिवीजन की वर्कर्स फ्रंट ने उठाई मांग

● एजेण्डा यू. पी. मुहिम में मजदूर भी होंगे शामिल
● बेकरी मजदूरों की बैठक में 16 फरवरी के अखिल भारतीय विरोध दिवस का समर्थन

27 जनवरी 2024, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की शेड्यूल इंडस्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के पिछले पांच सालों से वेज रिवीजन न होने पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए बेकरी मजदूरों की बैठक में न्यूनतम मजदूरी के वेज रिवीजन को तत्काल करने और 26000 रुपए मासिक वेतन देने की मांग की गई। बैठक में मजदूरों के सवालों पर केन्द्रीय श्रम संगठनों के 16 फरवरी को आयोजित अखिल भारतीय विरोध दिवस का समर्थन किया गया और प्रदेश में जारी एजेण्डा यू. पी. मुहिम में शामिल होने का निर्णय लिया गया।

लखनऊ के ऐशबाग में बेकरी मजदूरों की बैठक को संबोधित करते हुए वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहा की प्रदेश में 93 प्रतिशत मजदूर दस हजार रूपये से कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर हैं। 2017 में भारत सरकार ने न्यूनतम मजदूरी का वेज रिवीजन किया लेकिन उत्तर प्रदेश में 2014 के बाद से इसे नहीं किया गया परिणामस्वरुप केंद्र सरकार के सापेक्ष प्रदेश में मजदूरी दर बेहद कम है और इस महंगाई में मजदूरों के लिए अपने परिवार का जीवन यापन करना कठिन होता जा रहा है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार और शासन को पत्र दिए गए, वार्ता की गई, विधानसभा में सवाल उठा जिस पर श्रम मंत्री ने कहा कि 6 महीने बाद वेज रिवीजन के लिए कमेटी का गठन किया जाएगा। यह मजदूरों के साथ क्रूर मजाक है क्योंकि पहले ही वेज रिवीजन में पांच साल का विलंब हो चुका है। ऐसी स्थिति में तत्काल प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी का वेज रिवीजन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार नए लेबर कोड लाकर काम के घंटे 12 करने पर आमादा है। जिसके कारण 33 प्रतिशत मजदूरों की अनिवार्य तौर पर छंटनी हो जाएगी और मजदूरों का जीवन बेहद असुरक्षित हो जायेगा। यह लेबर कोड आधुनिक गुलामी का दस्तावेज है। इन लेबर कोड की समाप्ति और मजदूरों की सामाजिक व जीवन सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न विचार समूहों के लोगों ने मिलकर एजेंडा यू. पी. की मुहिम शुरू की हुई है जिसके साथ मजदूरों को भी जुड़ना चाहिए। बैठक की अध्यक्षता बेकरी कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष मोहम्मद कय्यूम और संचालन मंत्री मोहम्मद नेवाजी ने किया। बैठक में मोहम्मद मुबारक, अलाउद्दीन, इजराफिल, मोहम्मद उस्मान, मोहम्मद मुस्ताक, ऐनुल, मोहम्मद जुबेर, जैनुल आदि लोगों ने अपनी बात रखी।

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