
9 अगस्त 2024, लखनऊ। काकोरी के शहीदों तथा स्वाधीनता आंदोलन को याद करना हमारे वर्तमान के संघर्ष का हिस्सा है। क्रांतिकारियों का स्वप्न समाजवादी भारत का था। वे शक्तियां जो ब्रिटिश साम्राज्यवादियों के साथ थी, वे आज सत्ता में हैं। इस फासीवादी निजाम के दौर में लूट, फूट, विभाजन और नफ़रत से देश ग्रस्त है। आम आदमी का जीना दूभर हो गया है। ऐसे में जन पहलकदमी को बढ़ाना है।
यह विचार आज लखनऊ के जन संगठनों की पहल पर गठित काकोरी एक्शन स्मृति आयोजन समिति के तत्वावधान में काकोरी ट्रेन एक्शन के शताब्दी वर्ष पर ‘स्मरण : साझी शहादत – साझी विरासत’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उभर कर आए। आयोजन गांधी भवन के लाइब्रेरी हाल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गांधी स्मारक निधि के सचिव लाल बहादुर राय ने की व संचालन पीपुल्स यूनिटी फोरम के संयोजक एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी ने किया।

काकोरी एक्शन स्मृति आयोजन समिति द्वारा वर्षभर प्रत्येक माह काकोरी एक्शन व शहीदों की स्मृति में आयोजन किये जायेंगे।
इस संगोष्ठी में सामाजिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता शामिल हुए और शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित की गई। संगोष्ठी की शुरुआत वीरेन्द्र त्रिपाठी के पर्चे से हुई।
राम किशोर ने काकोरी के संघर्ष को आज के संदर्भों से जोड़ते हुये एक जमीनी आंदोलन की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान लिखे गए गीत व कविताएं सुनाईं।
कार्यक्रम को पत्रकार आनन्द वर्धन सिंह, आल इंडिया वर्कर्स कौंसिल के ओ. पी. सिन्हा, कवि व चिंतक भगवान स्वरूप कटियार, जसम लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष असगर मेहदी, जसम लखनऊ के सह सचिव राकेश कुमार सैनी, जसम उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर, नागरिक परिषद के संयोजक के. के. शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता भगवती सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता आशीष यादव, आकांक्षा, रुप राम गौतम, रवि उपाध्याय, उदय सिंह, वन्दना सिंह, राम कुमार, सतीश श्रीवास्तव, पूनम राठौर, वी. एन. सान्याल, जय प्रकाश, प्रभात कुमार, राजू पटेल, आकांक्षा, राकेश सैनी, आशुतोष कुमार आदि ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता के. के. शुक्ला के 87 वें जन्मदिवस पर उन्हें अंगवस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया।