लखनऊ। सोशलिस्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष और डाॅ. राही मासूम रज़ा साहित्य अकादमी के संस्थापक महामंत्री Ramkishore का अलीगंज, लखनऊ स्थित आवास पर शुक्रवार रात लगभग 8 बजे निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे, उनका अन्तिम संस्कार लखनऊ स्थित भैसाकुंड पर हुआ। मुखाग्नि उनके पुत्र अमित किशोर ने दिया।रामकिशोर पैंक्रियाज कैंसर से पीड़ित थे। जुलाई 2023 से उनका इलाज चल रहा था। पिछले 14 मार्च को बीमारी की गंभीर अवस्था में उन्हें बैंगलोर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उनकी इच्छा पर उन्हें 18 मार्च को लखनऊ के एक निजी अस्पताल के आईस यू में भर्ती कराया गया था। एक अप्रैल को उन्हें अस्पताल से घर लाया गया था।
पत्नी मधु श्रीवास्तव के मुताबिक तीन अप्रैल को उनका स्वास्थ्य अच्छा था। वे लोगों से बातचीत भी कर रहे थे। लेकिन कल से उन्हें नींद नहीं आई थी और 4 अप्रैल की सुबह से वे अस्वस्थ नजर आ रहे थे। शाम लगभग 7 बजे उनका शुगर लेवल 45 था। शुगर लेवल बढ़ाने के लिए उन्हें शुगर का घोल पिलाया गया। रात लगभग 8 बजे अचानक उनकी आंखें बंद होने लगी। उपस्थित लोगों ने सोचा कि उन्हें नींद आ रही है तथा उस दौरान उनकी सेवा में कार्यरत अटेंडेंट ने बताया कि नाड़ी नहीं चल रही है। उक्त सूचना पर पड़ोस के डाक्टर को बुलाया गया। डाक्टर ने उन्हें मृत घोषित किया परन्तु उनके परिजन तुरंत उन्हें लेकर निजी अस्पताल ले गये जहां पर डाक्टर ने पुनः उनकी मुत्यु की पुष्टि किया तत्पश्चात उन्हें उनके अलीगंज, लखनऊ स्थित आवास पर लाया गया।

छत्र जीवन से थे सक्रिय
रामकिशाेर के परिवार में उनकी पत्नी मधु श्रीवास्तव, पुत्र अमित किशोर और दो पुत्रियां है। रामकिशोर छात्र जीवन से ही सामाजिक आंदोलन और समाजवादी विचारकों जैसे आचार्य नरेंद्र देव, जयप्रकाश नारायण, लोहिया, मधु लिमए, सुरेंद्र मोहन आदि से संपर्क था। वे स्वाधीनता आंदोलन की क्रांतिकारी धारा से प्रभावित थे । बिस्मिल, अशफाक, भगत सिंह, आजाद आदि के संघर्ष से उन्हें प्रेरणा मिली। वे उप्र फारवर्ड ब्लाॅक के अध्यक्ष व उप्र यूपी वर्किंग जर्नालिस्ट यूनियन के उपाध्यक्ष भी रहे।
राम किशोर ने अनेक किताबें लिखीं जैसे- ‘पोटा-एक काला कानून’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’, ‘सोशलिस्ट चिंतक विचारक श्री मधु लिमये’, ‘धर्म निरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता’, ‘जब्तशुदा कहानियां’, ‘फांसी के तख्ते से’, ‘प्रेरक प्रसंग’, ‘डॉ राही मासूम राजा की कहानियां’। विभिन्न समाचार-पत्रों व पत्र-पत्रिका में बड़ी संख्या में लेख लिखे। राम किशोर जी लखनऊ के सामाजिक राजनीतिक गतिविधियों की धुरी थे और अपने अंतिम समय तक पूरी तरह सक्रिय एवं उत्साह से भरे थे। अपने उत्साह से वे सभी के जीवन में उत्साह की ज्योति जलाए रखते थे।
भाईचारे के लिए किया आजीवन काम
सांप्रदायिक भाईचारा, मानव अधिकार, लोकतंत्र और दक्षिण एशिया के देशों की एकता के लिए वे आजीवन काम करते रहे। मौजूदा दौर के शासकों की नीतियों के घोर आलोचक थे। उनका कहना था कि मौजूदा सरकार की नीतियां देश की एकता और लोकतंत्र को कमजोर कर रहीं हैं और हम सभी को इसके खिलाफ आवाज उठाना होगा। उनका मिशन था कि आजादी की लड़ाई के क्रांतिकारियों, शहीदों के विचारों, कार्यों को समाज में हर व्यक्ति तक पहुंचाया जाय ताकि लोग हर तरह के अन्याय के खिलाफ खड़े हों। डा. राही मासूम रज़ा साहित्य अकादमी, सोशलिस्ट फाउंडेशन, पी यू सी एल , पीपुल्स यूनिटी सेंटर, सिटीजंस फार डेमोक्रेसी, आदि संस्थाओं के जरिए वे निरंतर कार्यरत रहे। उनका निधन हम सभी के लिए दुखदाई है और यह एक अपूर्णीय क्षति है।उनके निधन की सूचना मिलते ही पूरे देशभर के तमाम लोगों ने अपनी स्मृतियां व अपनी श्रध्दांजलि सोशल मीडिया पर व्यक्त किया तथा बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पर पहुंच कर अन्तिम दर्शन किये।

उनका अन्तिम संस्कार लखनऊ स्थित शवदाहगृह पर किया गया। उनके अन्तिम संस्कार में बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता व अन्य शामिल हुए। जिनमें ओ. पी. सिन्हा, एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी, के. के. शुक्ला, कौशल किशोर, वन्दना मिश्रा, डा. अतुल श्रीवास्तव, प्रभात कुमार, देवेंद्र वर्मा, जयप्रकाश मौर्य, उग्रनाथ नागरिक, अशोक वर्मा, देवेन्द्र कुमार, राजेन्द्र वर्मा, राकेश, वीरेंद्र यादव, मो. खालिद, हफीज किदवई, आशीष यादव, नवीन तिवारी, सी. एम. शुक्ला, होमेन्द्र मिश्रा, ज्योति राय, हरिनाथ यादव, विजय श्रीवास्तव, उदयनाथ सिंह, अजय शर्मा, यादवेंद्र पाल, रामकृष्ण श्रीवास्तव, असगर मेंहदी, अखिलेश श्रीवास्तव चमन, के के वत्स, सुरेंद्र राजपूत, सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
वीरेन्द्र त्रिपाठी, एडवोकेट संयोजक , पीपुल्स यूनिटी फोरम
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