आगरा के पेठा कारोबारी ने बेटी का किया दान, पिंडदान के बाद बनेगी साध्वी

Daughter's donation

अब 13 साल की जिंदा लड़की का पिंडदान कराया जाएगा, इसके बाद वह साध्वी बन जाएगी।

प्रयागराज। संगमनगरी प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने को भले ही अभी कुछ दिन बचे हो, लेकिन देश के कोने —कोने से संतों महात्माओं का आना जारी है। इस बीच एक हैरान करने वाली खबर सामने आई यहां एक दंपती ने अपनी 13 साल की बेटी को धर्म के लिए दान कर दिया। अब 13 साल की जिंदा लड़की का पिंडदान कराया जाएगा, इसके बाद वह साध्वी बन जाएगी।

साध्वी बनना चाहती है राखी

आगरा में थाना बमरौली कटारा क्षेत्र के गांव तर्र्कपुर के रहने वाले संदीप सिंह पेठा व्यापारी हैं। उनकी पत्नी रीमा गृहणी हैं। दोनों की दो बेटियां हैं राखी और निक्की! राखी बड़ी बेटी हैं, जिसकी उम्र 13 साल है और स्प्रिंग फील्ड इंटर कॉलेज में कक्षा नौ की छात्रा है। माता-पिता ने राखी को जूना अखाड़े को दान कर दिया है।

मां रीमा के अनुसार, गुरु की सेवा में करीब चार साल से जुड़े हैं। कौशल गिरि ने उनके मोहल्ले में भागवत कथा कराई थी, उसी समय से मन में भक्ति जागृत हुई। 26 दिसंबर को दोनों बेटियों के साथ परिवार महाकुंभ मेला क्षेत्र में गया और गुरु के सान्निध्य में शिविर सेवा में लगा हुआ है। यहीं पर राखी ने साध्वी बनने की इच्छा जताई थी, उसकी इच्छा पूरी करते हुए कौशल गिरि के माध्यम से सेक्टर 20 में शिविर प्रवेश कराया गया है।दंपत्ति ने संगम की रेती पर अपनी 13 वर्षीय बेटी राखी सिंह ढाकरे को जूना अखाड़े को दान कर दिया।

नया नाम मिला गौरी

गंगा स्नान के बाद गुरुग्राम से आए जूना अखाड़ा के संत कौशल गिरि ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राखी को शिविर प्रवेश कराया और नामकरण किया। अब राखी का नाम ‘गौरी’ रख दिया गया है। गौरी का पिंडदान 19 जनवरी को शिविर में होगा। सभी धार्मिक संस्कार कराए जाएंगे, उसके बाद से बेटी, गुरु के परिवार का हिस्सा हो जाएगी और उसका मूल परिवार उससे छूट जाएगा।

राखी एक मेधावी छात्रा रही है। पढ़ने में अव्वल रहा करती थी। पढ़ने के साथ साथ पूजा अर्चना पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देती है। नवरात्रि के दौरान राखी घर से स्कूल तक बिना जूते, चप्पल पहने पैदल चलकर आती थी। आध्यात्मिक विषयों पर राखी स्कूल की छात्राओं से बिलकुल अलग थी।जूना अखाड़ा के संत संत कौशल गिरी ने कहा कि यह सनातन धर्म का प्रचार है और दंपति ने जो काम किया है वह हर कोई नहीं कर पाता है।

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