नई दिल्ली। एक जुलाई 2024 इस बार ऐतिहासिक है,क्योंकि आज से अंग्रेजों के बनाए कानून को खत्म करके नए आपराधिक कानून को लागू किया गया। आज से पुलिस की कार्यप्रणाली बदल जाएगी, नए कानून में कई बड़े बदलाव हुए है, जिसके तहत अपराधियों को अब सख्त सजा मिलेगी वहीं अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अब थानों के चक्कर नहीं काटने होंगे। अब देश में आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) को लागू कर दिया जाएगा। यह तीनों ही पिछले साल संसद में पास होकर कानून का रूप ले चुके हैं।
यह थी आईपीसी में कमियां
अंग्रेजों के बनाए आईपीसी की बात करें तो इसमें आतंकवाद को लेकर कोई परिभाषा नहीं दी गई थी। कौन सा अपराध आतंकवाद की श्रेणी में आएगा इसका भी जिक्र नहीं किया गया था। नए कानून के तहत आतंकवाद को विस्तार से परिभाषित किया गया है। अब जो भी भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है उसे आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है। बीएनएस की धारा-113 में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। देश के बाहर भारत की किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना भी अब आतंकवादी कृत्य माना जाएगा।
इस अपराध के लिए इतनी सजा
- आतंकी गतिविधि से मौत होने पर मौत की सजा के अलावा उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान।
- आतंकी साजिश रचने, कोशिश करने या आतंकी की मदद करने पर पांच साल से लेकर उम्रकैद की सजा और जुर्माना।
- आतंकी संगठन से जुड़ने पर उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान।
- आतंकी को जानबूझकर छिपाने पर तीन साल से उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान
अपराध एवं दंड को किया गया परिभाषित और पुनर्परिभाषित… - छीनाझपटी एक संज्ञेय, गैर जमानती और गैर शमनीय अपराध (बीएनएस धारा-304)
- आतंकवादी कृत्य की परिभाषा: इसमें ऐसे कृत्य शामिल हैं जो भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं या किसी समूह में आतंक फैलाते हैं (बीएनएस धारा-113)
- राजद्रोह में परिवर्तन: राजद्रोह के अपराध को समाप्त कर दिया गया है तथा भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को दंडित करने के लिए देशद्रोह शब्द का इस्तेमाल किया है (बीएनएस धारा-152)
- मॉब लिंचिंग को एक ऐसे अपराध के रूप में शामिल किया गया जिसके लिए अधिकतम मृत्युदंड है (बीएनएस धारा 103-(2))
- संगठित अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है (बीएनएस धारा-111)
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इस तरह लगेंगी अब धाराएं
- अपराध आईपीसी बीएनएस
- हत्या धारा 302 धारा 103
- हत्या का प्रयास धारा 307 धारा 109
- गैर इरादतन हत्या धारा 304 धारा 105
- दहेज हत्या धारा 304बी धारा 80
- चोरी धारा 379 धारा 303
- दुष्कर्म धारा 376 धारा 64
- छेड़छाड़ धारा 354 धारा 74
- धोखाधड़ी धारा 420 धारा 318
- पति द्वारा क्रूरता का शिकार महिलाएं धारा 498ए धारा 85
- लापरवाही से मौत धारा 304ए धारा 106
- आपराधिक षडयंत्र के लिए सजा धारा 120बी धारा 61
- देश के खिलाफ युद्ध धारा 121, 121ए धारा 147, 148
- मानहानि धारा 499, 500 धारा 356
- लूट धारा 392 धारा 309
- डकैती धारा 395 धारा 310
बीएनएस में मुख्य परिवर्तन
- आईपीसी में धाराओं की संख्या 511 से घटाकर बीएनएस में 358 कर दी गई हैं।
- 20 नए अपराधों को जोड़ा गया है।
- कई अपराधों के लिए अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है।
- छह छोटे अपराधों के लिए सामूदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है।
- कई अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है।
- कई अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ाया गया है।
- भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस) की कुछ विशेषताएं…
- महिला और बच्चों के खिलाफ अपराधों को एक अध्याय में समेकित किया गया है।
- धारा 69 झूठे वादे पर यौन संबंध बनाने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
- धारा 70 (2) सामूहिक दुष्कर्म के मामले में मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है।
आम लोगों के लिए यह बदलेगा
- छोटी सी छोटी शिकायत दर्ज कराने के लिए थानों के चक्कर लगाने या पुलिसकर्मियों को रिश्वत देने का दौर खत्म हो जाएगा।
- हत्या, लूट, दुष्कर्म की भी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज होगी।
- एक जिले में हुए अपराध की जीरो एफआईआर दूसरे जिले में कराई जा सकेगी। थाना क्षेत्र का हवाला देकर पुलिस टरका नहीं सकेगी।
- केस दर्ज कराने के बाद जांच से लेकर आगे की कार्रवाई तक सारी सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये फरियादी को दी जाएगी।
महिला अपराधों के प्रति बढ़ी संवेदनशीलता
दुष्कर्म के मामलों में अधिकतम फांसी की सजा महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कानून ज्यादा संवेदनशील बनाए गए हैं। अब पीड़िता जहां चाहेगी, पुलिस को वहां बयान दर्ज करना होगा। दुष्कर्म के मामलों में न्यूनतम 10 साल से लेकर अधिकतम फांसी, जबकि सामूहिक दुष्कर्म में 20 साल से फांसी तक का प्रावधान। हालांकि फांसी का प्रावधान नाबालिग से दुष्कर्म के मामलों में ही होगा।
नोट— कंटेट हिंदी न्यूज पोर्टल अमर उजाला के अनुसार
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