बदायूं। यूपी के बदायूं जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे पढ़कर आपके मन में खाकी प्रति इज्जत जरूर बढ़ जाएगी। यहां पुलिस कर्मी ने आगे बढ़कर जो संदेश दिया है, वह पूरे समाज के लिए अनुकरणीय हैं। दरअसल यहां एक महिला अपने पति की हत्या के जुर्म में जब जेल गई तो उसकी एकलौती बच्ची बेसहारा हो गई। ऐसे में पुलिस के सामने कई रास्ते थे, चाहे उसे किसी अनाथआलय भेज देती या उसके हाल पर छोड़ देती, लेकिन यहां तैनात इंस्पेक्टर हरेंद्र सिंह ने दंपती की बेटी रिचा की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है। संत श्रीहरिदास बाबा शिशु मंदिर स्कूल में नर्सरी कक्षा में दाखिला कराने के साथ पूरे साल की फीस भी जमा कर दी है। साथ ही अभिभावक के तौर पर अपना नाम और मोबाइल नंबर भी दर्ज करा दिया है।
हत्या के बाद किया था गुमराह
बता दें कि बदायूं एक मोहल्ला के रहने वाले महेश की हत्या 23 मई की रात उनके ही घर में सोते समय सिर कुचलकर कर दी गई थी। उनकी पत्नी ममता ने लूटपाट के दौरान बदमाशों के हाथों महेश की हत्या करने की बात कहकर पुलिस को गुमराह किया था। पुलिस जांच में हत्या का शक ममता पर गया। सख्ती पर वह टूट गई और पति की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया। पूछताछ से पता चला कि ब्याज पर रुपये उधार देने वाले महेश से ममता खफा रहती थी, क्योंकि वह ममता को खर्चे के लिए रुपये नहीं देते थे। ममता को 26 मई को गिरफ्तार करने के बाद अगले दिन जेल भेज दिया गया था।
मां के जेल जाने के बाद बच्चों का संभाला
पति के जेल जाने के बाद एसआई हरेंद्र सिंह ने आगे बढ़कर ममता के बेटे साजन (8) और बेटी रिचा (4) को संभाला। दोनों बच्चों की देखरेख का जिम्मा संभालना तय किया। दोनों बच्चों को कपड़े दिलाए और राशन का इंतजाम किया। साजन पहले से संत श्रीहरिदास बाबा शिशु मंदिर स्कूल में कक्षा तीन का छात्र है। रिचा नहीं पढ़ती थी, उसका भी दाखिला इसी स्कूल में करा दिया। रिचा को किताबें, नई ड्रेस, जूते-मोजे भी दिलाए। हरेंद्र सिंह ने रामपुर के स्वार थाने में तैनाती के दौरान भी सात साल की गुनगुन को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली थी। वह सड़क किनारे मिट्टी के बर्तन बेचा करती थी, उसका परिवार पढ़ाई का खर्चा उठाने में सक्षम नहीं था तो उसके जीवन को संभालने के लिए आगे आए थे।
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