गाजीपुर की राजनीति में 26 साल के युवा की इंट्री, पीडीएम ने सूबेदार बिंद को उतारा मैदान में

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Entry of 26 year old youth in Ghazipur politics, PDM fields Subedar Bind
बिंद का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य आदि में किसी तरह का वर्गीकरण या भेदभाव नहीं होना चाहिए।

गाजीपुर। लोकसभा चुनाव में गाजीपुर सीट एक हॉट सीट बनी हुई है। यहां से माफिया मुख्तार अंसारी के भाई के खिलाफ पल्लवी पटेल ने एक 26 साल के युवा प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। यहां वोटरों में​ विखराव से हवा किसी भी तरफ मुड़ सकता है। पीडीएम की दूसरी सूची में यूपी के सात जिलों पर प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। गाजीपुर से सूबेदार बिंद को उम्मीदवार बनाया गया है। आइए जानते हैं कौन हैं बिंद, जिन पर पल्लवी पटेल और असदुद्दीन ओवैसी ने भरोसा जताकर पीडीएम ने हॉट सीट पर अपना प्रत्याशी उतारा है। बता दें ​यहां से भाजपा ने मनोज सिंहा के करीबी पारसनाथ राय को मैदान में उतारा है।

पांच साल से राजनीति में बिंद

बता दें कि सूबेदार ने 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद आईटीआई की है। सूबेदार की उम्र 26 साल है। उन्होंने बताया कि वह प्रेमचंद बिंदकी ओर से स्थापित राजनीतिक पार्टी से लंबे समय से जुड़े हैं। प्रेमचंद की प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से वह साल 2019 में जुड़े थे और तब से वह निरंतर इसी राजनीतिक दल के बैनर तले तमाम राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। उन्होंने बताया कि वह बिंद समाज के उत्थान के लिए राजनीति के जरिए लंबे समय से प्रयासरत रहे है। वर्तमान में उन्हें मोर्चा ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है। वह मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। चुनाव आदि में आने वाले खर्च में बिंद समाज के लोग उनका सहयोग करेंगे। अपने समाज के दम पर ही वह सियासी मैदान में उतरे हैं।

मुस्लमानों की उपेक्षा का आरोप

सूबेदार ग्राम चौखनिया, पोस्ट बेलवा के निवासी हैं। उनके पिता फौजदार बिंद है। सूबेदार ने बताया कि उनके पिता बीडीसी के सदस्य भी रह चुके हैं। उन्होंने आगे बताया कि उन्हें पीडीएम मोर्चा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। पीडीएम के अर्थ से ही पार्टी का उद्देश्य कुछ हद तक साफ हो जाता है। पिछड़ा, दलित और मुसलमान इन सभी की अपेक्षा राजनीतिक दलों ने की है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा मुस्लमानों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रही है। उन्होंने ताया कि उनकी पार्टी समाज के सभी लोगों के प्रति मानवतावादी सोच रखती है। शिक्षा और स्वास्थ्य आदि में किसी तरह का वर्गीकरण या भेदभाव नहीं होना चाहिए।

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