दादा स्वतंत्रता सेनानी तो नाना थे ब्रिगेडियर,जरायम की दुनिया से लगाव ने खानदान की इज्जत को ​खाक में मिलाया

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Grandfather was a freedom fighter and maternal grandfather was a Brigadier, Jarayam's attachment to the world ruined the honor of the family.
18 साल छह माह जेल में रहने के बाद सलाखों के पीछे ही गुरुवार रात वह दुनिया से रूखस्त हो गया।

गाजीपुर। मुख्तार अंसारी के दादा और नाना काफी इज्जतदार और बड़े ओहदे पर उसके नाना ब्रिगेडियर तो चाचा उपराष्ट्रपति रहे, पिता भी राजनीति पार्टी से जुड़े और चेयरमैन का चुनाव जीता था। मुख्तार अंसारी के शुरूआती जीवन को देखे तो वह अच्छे छात्र के साथ ही एक अच्छा क्रिकेट का खिलाड़ी था, लेकिन दबंग स्वभाऔ, बुरी संगत अपराध की दुनिया में नाम कमाने के शौक ने पूरे खानदान की इज्जत को खाक में मिला दिया।

जिस परिवार को लोग एक स्वत्रंतता सेनानी और पूर्व उपराष्ट्रपति के खानदान के नाम से जानते से उसे उसने माफिया का परिवार बना दिया।गुंडई के बल पर बनाई गई सियासी जमीन पर मुख्तार अंसारी लगातार पांच बार विधायक चुना गया। तकरीबन 18 साल छह माह जेल में रहने के बाद सलाखों के पीछे ही गुरुवार रात वह दुनिया से रूखस्त हो गया। भले ही उसे अपने कर्मों की सजा मिली हो, लेकिन उसने परिवार की इज्जत को खाक में मिला गया।

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पूर्व चेयरमैन के घर हुआ था जन्म

मुख्तार अंसारी का जन्म 20 जून 1963 को नगर पालिका परिषद मुहम्मदाबाद के पूर्व चेयरमैन सुबहानुल्लाह अंसारी के घर हुआ था। कॉलेज के बाद ही वह 1980 के दशक में साधु-मकनू गैंग से जुड़ा। साधु और मकनू को अपना गुरु मानकर अपराध की दुनिया में अपना पैर जमाता गया और एक दिन पूरे प्रदेश को अपनी अंगुली पर नचाने का मादा रखने लगा। उसकी राह में जो भी आता उसे सरेआम गोलियों से भुनवा देता था।

एक समय जब ठेकेदारी करने के लिए बाहुबली होना जरूरी था। मुख्तार ने ठेकेदारी और माफियागिरी को अपना पेशा बना लिया, फिर एक समय वह आया जब उसकी मर्जी से ही ठेके होने लगे। उसी की राह पर उसके परिवार के अन्य सदस्य भी चलने लगे, जिसका नतीजा यह है कि बड़ा-बेटा और बहू जेल की हवा खा रहे है और छोटा बेटा जमानत पर है तो पत्नी फरार है।

दादा स्वतंत्रता सेनानी, पिता वामपंथी

मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे 1926-1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और फिर मुस्लिम लीग अध्यक्ष भी रहे। कहा जाता है कि डॉ. अंसारी महात्मा गांधी के काफी करीबी थे। देश के बंटवारे के समय उनके परिवार के कई सदस्य पाकिस्तान चले गए। डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी के बेटे सुब्हानउल्लाह अंसारी देश के बड़े वामपंथी नेता थे। सुब्हानउल्लाह ने बेगम राबिया के साथ शादी की थी। दोनों से तीन बेटे हुए। सिबकतुल्लाह अंसारी, अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी।

15 साल की उम्र में बना अपराधी

मुख्तार अंसारी का अपराध से जुड़ाव 1978 में ही शुरू हो गया था, जब अंसारी सिर्फ 15 साल का था, कानून के साथ उनकी पहली मुठभेड़ तब हुई जब उन पर गाजीपुर के सैदपुर पुलिस स्टेशन में आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया गया। 1986 तक वह ठेका माफिया का एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुका था। इसके बाद उसने ठेकेदारी और राजनीति के लिए अनगिनत अपराध किए। उस पर कुल 65 मुकदमे दर्ज यहां तक 18 माह में उसे कोर्ट ने 8 बार सजा सुनाया।

मुख्तार का राजनीति करियर

मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बसपा के टिकट पर विधायक चुना गया, इसके बाद 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय चुनाव जीता। 2012 में, कौमी एकता दल (क्यूईडी) लॉन्च किया और मऊ से फिर से जीत हासिल की। 2017 में वह फिर से मऊ से जीत हासिल की। 2022 में उन्होंने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए सीट खाली कर दी, जो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर इस सीट से चुनाव जीता। 2005 से अपनी मौत तक अंसारी यूपी और पंजाब की अलग-अलग जेलों में बंद था। मौजूद समय पर उस पर अलग-अलग मामलों 21 मुकदमे लंबित है।

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