लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती का तानाशाही रवैया जारी है, उनका पार्टी के सांसदों से संवाद न करना, बैठकों में न बुलाना भारी पड़ रहा हैं। यहीं वजह है कि एक के बाद एक सांसद का पार्टी से मोहभंग होता जा रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल के सपा से टिकट मिलने के बाद अंबेडकरनगर के सांसद रितेश पांडेय ने पार्टी से इस्तीफा देकर रविवार रात को बीजेपी में शामिल हो गए। वहीं आजमगढ़ सांसद संगीता आजाद भी पार्टी छोड़ सकती है। अमरोहा के सांसद कुंवर दानिश अली और जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर खुद को पार्टी से अलग करने का संकेत दे दिया है।
टिकट कटने का डर
सांसदों का दूसरे दलों में जाना बसपा के लिए बड़ा झटका है। इसकी वजह बसपा का गठबंधन में शामिल नहीं होना बताया जा रहा है।बसपा प्रमुख मायावती ने छोटे दलों से गठबंधन करने का विकल्प छोड़ रखा है, लेकिन उनके लिए भी बसपा के बजाय इंडिया गठबंधन ज्यादा मुफीद बना हुआ है। वहीं बचे हुए कई सांसदों को भरोसा नहीं है कि पार्टी उनको दोबारा प्रत्याशी बनाएगी, उन्हें टिकट नहीं मिलने का डर सता रहा है।
रविवार को पार्टी सुप्रीमो ने सांसदों को आईना दिखाने का बयान देकर उनकी बेचैनी को बढ़ा दिया है। बसपा के एक सांसद बताते हैं कि पिछला चुनाव सपा के साथ गठबंधन करके लड़ने से पार्टी को अप्रत्याशित सफलता मिली थी। इस बार किसी भी दल से गठबंधन न होेने से चुनौती बढ़ती लग रही है। अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लेने का नुकसान पार्टी उठा चुकी है और केवल एक ही विधायक से संतोष करना पड़ा। इन हालात में सभी अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रखने के लिए फैसला लेने को स्वतंत्र हैं। सहारनपुर के सांसद हाजी फजलुर्रहमान को भी ऐसे ही हालातों का सामना करना पड़ रहा है। सहारनपुर की सीट कांग्रेस के पाले में जा चुकी है। कांग्रेस इमरान मसूद को प्रत्याशी बनाएगी, इसे लेकर अभी संशय बना हुआ है। इमरान की सियासी डोर कमजोर हुई तो कांग्रेस हाजी फजलुर्रहमान पर दांव आजमा सकती है।
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