लखनऊ।लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने के विपक्षी पार्टियों ने इंडिया नामक गठबंधन बनाया हैं, जो चुनाव के एलान से पहले ही बिखरने की कगार पर पहुंच गया। जिन दलों ने इस गठबंधन की नींव रखी थी वहीं सबसे पहले किनारे हो गए। नीतीश ममता और आप के बाद अब यूपी में तोड़फोड़ जारी है। जयंत चौधरी के साथ छोड़ने के बाद अब सपा की सहयोगी अपना दल पल्लवी पटेल का धरा साथ छोड़ने की तैयारी में है। वहीं कांग्रेस और सपा में सीटों को लेकर फंसा पेंच सुलझने का नाम नहीं ले रहा हैं, क्योंकि सपा कांग्रेस को अपने मन से कमजोर सीट दे रही है।
कांग्रेस अपनी वरियता वाली सीटों की मांग कर रही है। जबकि सपा इन सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है। ऐसे में गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है। हालांकि दोनों पार्टी के नेता जल्द ही सीट का मसला सुलझाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने हालात विपरीत है।
कांग्रेस ने तीन श्रेणी में सीटों का बांटा
प्रदेश की 80 सीटों को कांग्रेस ने वरीयता के आधार पर तीन श्रेणी में बांटा है। पहली प्राथमिकता में उन सीटों को रखा है, जिसमें 2009 और 2014 में कांग्रेस विजेता रही है। साथ ही पिछले वर्ष नगर निकाय के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली सीटों को भी वह अपनी प्राथमिकता में शामिल कर रही है। इस तरह पहली प्राथमिकता की 30 सीटों पर दावा किया।
इन सीटों में हरी झंडी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सपा की ओर से कांग्रेस को अमेठी, रायबरेली, कानपुर के अलावा जालौन, बांसगांव, बरेली, सीतापुर, गाजियाबाद, बुलंदशहर आदि सीटें देने की पहल की गई है, लेकिन कांग्रेस इन सीटों को लेने को तैयार नहीं है। कांग्रेस की पहली प्राथमिकता में फर्रुखाबाद, लखीमपुर खीरी आदि सीटें हैं, लेकिन इन सीटों पर सपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इसी तरह सहारनपुर सीट भी सपा नहीं देना चाहती है, जबकि कांग्रेस इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में दोनों दलों के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है।
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि जनाधार के आधार पर सीटों पर बातचीत चल रही है, जल्द ही इस मसले को सुलझा लिया जाएगा। दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी का कहना है कि कांग्रेस ने पहली प्राथमिकता वाली सीटों पर लंबे समय से तैयारी की है। ऐसे में उन्हें छोड़ना भविष्य की सियासत के लिहाज से ठीक नहीं होगा।
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