नईदिल्ली। मोदी सरकार ने बेहद ही सराहनीय कार्य किया है, खाड़ी देश कतर में आठ पूर्व सैनिकों को मौत की सजा से माफी दिलाने के जो कूटनीतिक रुप से चाल चली वह सफल हो गई। आखिरकार कतर सरकार ने आठ पूर्व भारतीय सैनिकों को रिहा कर दिया। भारत सरकार ने कतर सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार आठ में से सात भारतीय वापस भारत लौट आए हैं।
अगस्त 2022 में पकड़े गए थे
आठाें पूर्व नौसैनिक दोहा स्थित अल दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजिज में काम करते थे। इन्हें अगस्त, 2022 में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, आरोप कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। सूत्रों का कहना है कि सभी पर पनडुब्बी परियोजना की जासूसी करने का आरोप था। अल दाहरा ग्लोबल कंपनी कतर के सैन्य बलों व अन्य सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण व अन्य सेवाएं मुहैया कराती है। एक साल से अधिक जेल में रहने के बाद पूर्व नौसैनिकों को कतर की निचली अदालत ने अक्तूबर में मौत की सजा सुनाई थी। केंद्र सरकार इससे हैरान रह गई थी क्योंकि कतर ने पहले इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी थी। भारत ने फैसले के खिलाफ अपील की। कतर प्राकृतिक गैस का भारत को बड़ा आपूर्तिकर्ता है। वहां करीब आठ लाख भारतीय काम करते हैं। दोनों देशों के बीच हमेशा से बेहतर रिश्ते रहे हैं।
लोग कहते थे मोदी को विदेश नीति की समझ नहीं है और आज उसी विदेश नीति और कूटनीति का जलवा है कि जिन 8 भारतीयों को कतर में मौत की सज़ा सुनाई गई थी वो सारे भारत वापस आ गए हैं..अपने घर।
ये है नए भारत की ताकत ????
pic.twitter.com/EeWh5Na205— Sushant Sinha (@SushantBSinha) February 12, 2024
फांसी की सजा हो गई थी माफ
हाल में ही भारत को एक कूटनीतिक कामयाबी मिली थी, जब कतर ने आठों अधिकारियों की मौत की सजा खत्म कर दी थी। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी थी। बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी के बीच दुबई में कॉप-28 सम्मेलन से इतर हुई मुलाकात के चार सप्ताह के अंदर सुनाया गया था। एक दिसंबर को हुई भेंट के बाद पीएम मोदी ने कहा था कि उन्होंने कतर में रह रहे भारतीय समुदाय के बारे में अमीर से बात की थी। माना जाता है कि इसी दौरान नौसैनिकों का मुद्दा भी उठाया गया होगा।
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