बिजनेस डेस्क। भारत की डिजिटल क्रांति के मद्देनज़र अगले कुछ वर्षों में 1 अरब यूपीआई लेन-देन होने की संभावना है। फिलहाल, दुनिया के कुल डिजिटल भुगतानों में से 46 प्रतिशत भुगतान भारत में होता है और इसके साथ यह डिजिटल भुगतान में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व के रूप में उभर रहा है। भारत की तेज़ी बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में व्यवसायों के लिए डिजिटल भुगतान ऐसी रणनीति है, जिसका लाभ उठाना अनिवार्य है। हालांकि, डिजिटल भुगतान में वृद्धि के कारण ऑनलाइन फ्रॉड भी बढ़ा है। पिछले तीन साल में ही, ऑनलाइन घोटालों से 1.25 लाख करोड़ रुपये का सामूहिक नुकसान हुआ है। इससे लड़ने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लोगों और व्यवसायों की सुरक्षा पर केंद्रित विभिन्न समितियों का गठन किया है, और वित्तीय क्षेत्र इन खतरों से निपटने के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।
इनोवेशन का लाभ उठाए
टेक्नोलॉजी विभिन्न व्यवसायों को ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, साथ ही उन्हें देश की विस्तृत होती डिजिटल अर्थव्यवस्था से लाभ उठाने में भी मदद करती है। कैशफ्री पेमेंट्स के सीईओ और सह-संस्थापक आकाश सिन्हा ने कहा, “आज के डिजिटल परिदृश्य में, फ्रॉड वाले लेनदेन से सुरक्षा को प्राथमिकता देना, व्यवसायों के लिए वित्तीय नुकसान से बचने और अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण है। एआई और एमएल एल्गोरिदम का उपयोग करने वाले टेक्नोलॉजी आधारित इनोवेशन का लाभ उठाने से फ्रॉड से काफी हद तक सुरक्षित हुआ जा सकता है। ये उन्नत समाधान भारत में ऑनलाइन लेन-देन के लिए सुरक्षा ढांचे को बदल रहे हैं और कारोबारियों को बेजोड़ सुरक्षा तथा मन की शांति प्रदान कर रहे हैं।”
इसे भी पढ़ें…