रायबरेली। यूपी में कांग्रेस के गढ़ के रूप में अमेठी और रायबरेली को जाना जाता हैं,जिस पर गांधी परिवार लगाचार चुनाव लड़ते आ रहा है। अमेठी में पिछला चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी वहां से दूरी बना ली। कुल मिलाजुलाकर रायबरेली कांग्रेस का आखिरी किला बचा है, जिसे बचाए रखने के लिए पूरी कांग्रेस संघर्ष कर रही है। वहीं कांग्रेस की आखिरी सीट पर कब्जा करने के लिए बीजेपी के रणनीतिकार पासे फेंक रहे है। एक तरफ कांग्रेस जहां आखिरी समय अपने पत्ते खोल पाई वहीं, बीजेपी लंबे समय से इस सीट को जीतने के लिए सियासी गोंटिया फेंक रही है। वहीं बीएसपी ने यादव प्रत्याशी उतारकर मामले को पेंचिदा बना दिया हे।
दोनों दलों के दिग्गज जमे
राहुल गांधी की पहचान जहां पलायन करने वाले नेता के रूप में बन रही है, भाजपा के दिनेश की पहचान संघर्ष करने वाले नेता के रूप में बनाई जा रही है। इसे जीतने के लिए दोनों दल इसे नाक की लड़ाई बना चुके है। दोनों दलों के दिग्गज नेता रायबरेली को मथने में जुटे है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जहां हर मतदाता से चुनाव से पहले तीन बार मिलने का लक्ष्य तय किया है, वहीं को युवराज भावनात्मक भाषण देकर अपनी विरासत में पर कब्जा बरकरार रखना चाहते है।
अमित शाह ने भरा जोश
दो दिन पहले रायबरेली पहुंचे बीजेपी के चाणक्य के रूप में जाने जाने वाले अमित शाह ने जनसभा में कहा, ‘यदि एक सीट जीतकर 400 पार का मतलब पूरा हो जाए तो वह करना चाहिए या नहीं..।’ भीड़ से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिलने पर उन्होंने कहा, ‘रायबरेली में कमल खिला दो, चार सौ पार अपने आप हो जाएगा। इसके बाद अमित शाह कांग्रेस का आखिरी किला जीतने के लिए क्षेत्र के ब्राह्मणों का वोट हासिल करने के लिए सपा विधायक मनोज पांडेय के घर पहुंचकर उनका समर्थन मांगा। राहुल गांधी ने मंगलवार को दिए अपने भावनात्मक भाषण से जनता से अपना रिश्ता जोड़ने की कोशिश की, वह कितना सफल होंगे यह तो समय ही बताएगा।
कांग्रेस को सपा पर भरोसा
रायबरेली जीतने के लिए इस बार कांग्रेस को अपने परंपरागत वोट के साथ सपा के वोटरों पर भरोसा है। इसके साथ ही बसपा के वोटरों को भी अपनी तरफ करने के लिए लगातार दावे चले जा रहे है। सपा कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि प्रियंका गांधी वाड्रा अपने भाषण में अखिलेश यादव का नाम तक नहीं लेती हैं। लेकिन, हाईकमान का संदेश है कि पूरी ईमानदारी से लगना है, तो हम दिन रात किए लगे हैं। यादव, पासी, मुस्लिम बिल्कुल एकजुट हैं, ब्राह्मण भी साथ हैं, ऐसे में सीट जिताकर देंगे। बता दें कि इस बार रायबरेली सीटा को त्रिकोणीय बनाने के लिए बसपा ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है यादव प्रत्याशी उतारकर सपा के यादव वोट को अपनी तरफ करने की जो चाल चली है वह कितना सफल होगी वह तो 4 जून को तय होगा।
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