ठंड में बढ़ जाता है हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा, यूं प्राकृतिक रूप से रखें दिल का ख्याल

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विश्वस्तर पर हर साल 20 करोड़ से भी ज्यादा लोगों में दिल की किसी न किसी बीमारी की पहचान होती है और अब तक 2 करोड़ लोगों की जान जा चुकी है जिसके अनुसार इस बीमारी की मृत्युदर 10% है। वहीं हर साल 6 करोड़ मरीजों के साथ दुनिया भर के देशों की तुलना में भारत में दिल के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, जो लगातार बढ़ रही है।

लखनऊ। जबसे कोरोना की महामारी की शुरुआत हुई, तबसे दिल की बीमारियों से लोगों का ध्यान हट गया है। हालांकि विश्वस्तर पर हार्ट अटैक के कारण मृत्युदर और बीमारी की दर को अक्सर अनदेखा किया जाता है लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे देश हैं जिन्हें इसके मृत्युदर के प्रकोप का आज भी सामना करना पड़ रहा है। यह बातें दी गई जानकारी में डॉक्टर बिमल छाजड़, निदेशक, साओल हार्ट सेंटर ने बताई। दी गई जानकारी में बताया गया कि विश्वस्तर पर, हर साल 20 करोड़ से भी ज्यादा लोगों में दिल की किसी न किसी बीमारी की पहचान होती है और अबतक 2 करोड़ लोगों की जान जा चुकी है जिसके अनुसार इस बीमारी की मृत्युदर 10% है। वहीं हर साल 6 करोड़ मरीजों के साथ दुनिया भर के देशों की तुलना में भारत में दिल के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, जो लगातार बढ़ रही है।

आंकड़ों के अनुसार हर रोज लगभग 9000 मरीजों की मौत हो जाती है। बताया गया कि भारत में लगभग 8-10 करोड़ मरीज दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत के अस्पतालों में हर साल लगभग 2 लाख मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है, जिसकी संख्या प्रति वर्ष 25% की दर से बढ़ रही है। लेकिन इतने प्रयासों के बावजूद हार्ट अटैक के मामलों में कमी नहीं आई है। वर्तमान में सभी डॉक्टर बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी, दवाइयों और इमरजेंसी ट्रीटमेंट पर ज्यादा जोर देते हैं, जिसके कारण वे हार्ट अटैक और हृदय रोगों के मूल कारण को नहीं समझ पाते हैं। चूंकि, बीमारी के इलाज की प्रक्रिया में खून का बहाव होता है जिससे संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसे में यदि किसी मरीज को प्राकृतिक रूप से ठीक किया जा सकता है तो ऐसी खतरनाक प्रक्रियाओं को अनदेखा करना ही बेहतर है।

प्राकृतिक रूप से करें दिल की बीमारियों की रोकथाम

ईसीपी, जिसे प्राकृतिक बाईपास तकनीक के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जो बाईपास या स्टेम सेल थेरेपी की तरह ही शरीर को नई रक्त वाहिकाओं को बढ़ाने के लिए सक्षम बनाती है। इसकी मदद से मरीज जल्दी और देर तक चल सकते हैं। मरीजों का जीवन बेहतर हो जाता है जबकी टेस्ट की मदद से दिल के स्वास्थ्य का पता चलता रहता है। जीवनशैली में बदलाव जरूरी ऑप्टिमम मेडिकल मैनेजमेंट के साथ योग और डाइट आधारित जीवनशैली की मदद से हृदय रोगों में कमी लाई जा सकती है। ये न सिर्फ दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं बल्कि बाईपास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी की जरूरत को भी खत्म करते हैं।

बताया गया कि साओल (साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग) पिछले 25 सालों से दिल के मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज करता आ रहा है। हार्ट अटैक से बचाव के लिए मरीजों के लिए जीवनशैली ट्रेनिंग और एलोपैथिक दवाइयां लेना जरूरी है। बताया गया कि लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियां होने के नाते हृदय रोगों का इलाज भी लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। चूंकि, हृदय रोग देश के करोड़ों लोगों और इकोनॉमी को प्रभावित करते हुए भारतीय समाज पर एक बोझ की तरह बढ़ रहा है, इसलिए इसे जड़ से खत्म करना आवश्यक हो गया है।

बिना तेल का खाना

बताया गया कि ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का तेल होता है, जो धमनियों को ब्लॉक करके विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों का कारण बनता है। इसका यह अर्थ है कि हम हर रोज चाहे कितना भी कम तेल वाला खाना खाते हों, लॉग रन के हिसाब से हम खुद को एक बड़ी मुश्किल में डाल रहे हैं। हालांकि, अधिकतर लोग खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए तेल का उपयोग करते हैं, लेकिन सच यह है कि तेल में कोई स्वाद या फ्लेवर नहीं होता है। यदि इस बात पर यकीन न हो तो आप खुद एक चम्मच तेल को पीकर यह जांच सकते हैं।

तेल का उपयोग सिर्फ मसाले और खाने को पकाने के लिए किया जाता है, जिससे खाने का स्वाद बढ़ जाता है। लेकिन क्या किसी को पता है कि बिना तेल के इस्तेमाल के भी खाने का स्वाद बढ़ाया जा सकता है? दी गई जानकारी में बताया गया कि हमने 1000 से भी ज्यादा रेसिपी तैयारी की हैं जो न सिर्फ बिना तेल के बनाई जा सकती हैं बल्कि उनमें स्वाद की भी कोई कमी नहीं है। हमारे शरीर को जितनी मात्रा में वसा की जरूरत होती है, वह चावल, सब्जियां, फल, गेंहू और दाल आदि से पूरी हो जाती है।

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