लखनऊ।Waqf Amendment Act को लेकर देश की राजनीति दो भागों में बंटी हुई है। एक पक्ष संसद में वक्फ बोर्ड एक्ट को पास कराने में जुटा है तो दूसरा पक्ष इस इसे रोकने के लिए एड़ी चोटी का जोड़ लगा रहा है। दरअसल देश में भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास ही है। इस समय 8 लाख एकड़ से अधिक संपत्तियों के साथ वक्फ बोर्ड तीसरा बड़ा जमींदार संस्था है। वहीं राज्यों के हिसाब से देखा जाए तो वक्फ की संपत्तियों के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूपी का राजभवन भी वक्फ की जमीन पर बना हुआ है। इसके अलावा मथुरा की शाही ईदगाह, बनारस में ज्ञानवापी, लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह भी वक्फ की संपत्ति पर है। प्रदेश में शिया वक्फ बोर्ड के पास तो महज 15 हजार 386 ही संपत्तियां हैं, लेकिन सुन्नी बोर्ड के पास 2 लाख 10 हजार 239 से भी अधिक संपत्तियां हैं। वक्फ की काफी संपत्तियां संभल, रामपुर, मुरादाबाद और अमरोहा जिले में बताई जा रही हैं।
यह होती है वक्फ संपत्ति
मुस्लिम समुदाय से संबंध रखने वाले किसी व्यक्ति की कोई औलाद नहीं होती तो उसके निधन के बाद उसकी संपत्ति वक्फ की हो जाती है। इसी प्रकार कुछ लोग जिंदा रहते अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को दान कर देते हैं। दरअसल वक्फ शब्द अरबी भाषा के वकूफा से बना है, इसका अर्थ अल्लाह के नाम होता है। इस हिसाब से वक्फ की संपत्तियों का मालिक अल्लाह होता है और इन संपत्तियों का इस्तेमाल अल्लाह के काम में लिया जाता है। इस संपत्ति पर मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, ईदगाह और मजार आदि बनाए जा सकते हैं।
1954 में आया था वक्फ अधिनियम
आजादी के बाद देश में पहली बार 1954 में वक्फ अधिनियम लाया गया था, इसका उद्देश्य वक्फ की जमीनों पर नियंत्रण रखना और उनका गलत इस्तेमाल रोकना था। कई बार विवाद सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार ने दो साल पहले गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराया था, इसी क्रम में वक्फ में दर्ज सार्वजनिक सपंत्तियों की समीक्षा कराई जा रही है। वहीं अब केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन कानून तैयार कर लिया है और जल्द ही संबंधित बिल सदन में पेश किया है, जिस पर बुधवार को वोटिंग होनी है।
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