फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद जिले के जसराना क्षेत्र के दिहुली गांव में 44 साल पहले हुई 24 दलितों की सामूहिक हत्या में मंगलवार को कोर्ट ने तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही दो दोषियों पर दो-दो लाख और एक दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। कोर्ट से आदेश होने के बाद पुलिस तीनों आरोपियों को जिला कारागार मैनपुरी ले गई। फैसला सुनते ही तीनों आरोपी फूट- फूटकर रोने लगे, तीनों रहम की भीख मांगने लगे।
एडीजे विशेष डकैती इंदिरा सिंह की अदालत में सुबह 11.30 बजे दोषी कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को भारी सुरक्षा के बीच लाकर पेश किया गया। इनकी पेशी के बाद 12.30 बजे करीब फिर से इनको दीवानी की अदालत में भेज दिया गया। दोपहर 3:00 बजे तीनों दोषियों को फिर से पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। कोर्ट में अभियोजन की ओर से रोहित शुक्ला ने तमाम दलीलें पेश करते हुए नरसंहार के साक्ष्यों और गवाही का हवाला देते हुए फांसी की मांग की। कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाही के आधार पर नरसंहार के दोषी कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को फांसी की सजा सुनाई। कप्तान सिंह, रामसेवक को दो-दो लाख और रामपाल को एक लाख रुपये के जुर्माने से भी दंडित किया गया।
सजा सुनते ही तीनों रोने लगे
जज के सजा सुनाए जाने के बाद तीनों आरोपी रोने लगे, कोर्ट के बाहर इनके परिजन भी रोने लगे। इसके बाद पुलिस ने इन्हें जेल ले जाकर दाखिल कर दिया। फांसी की सजा पाने वाले अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए फांसी की सजा के खिलाफ 30 दिन के भीतर हाईकोर्ट में अपील भी कर सकते हैं। हाईकोर्ट सेशन कोर्ट के फैसले की समीक्षा के बाद अपना निर्णय लेकर फांसी की सजा को बरकरार रख सकती है या फिर सजा में संशोधन भी किया जा सकता है। अब तीनों दोषियों को पहले 14 दिन के लिए क्वारंटीन बैरक में रखा जाएगा। मंगलवार शाम जेल पहुंचते ही उनको इस बैरक में भेज दिया गया। यहां उनकी नियमित निगरानी होगी। जांचा जाएगा कि वह समय से खाना-पीना ले रहे हैं या नहीं, सो रहा है या नहीं। 14 दिन के बाद उसको नियमित बैरक में भेजा जाएगा।
कोर्ट ने नरसंहार को बेहद जघन्य माना
जज ने अपने फैसले में लिखा कि हत्यारों को तब तक फांसी के फंदे से तब तक लटकाया जाए जब इनकी मौत न हो जाए। तीनों दोषियों की उम्र 75 से 80 साल है। इस हत्याकांड से जुड़े 4 आरोपी अभी फरार चल रहे हैं। इस हत्याकांड में पुलिस ने 20 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल किया था। जिसमें 13 लोगों की पहले ही मौत हो चुकी है। वहीं फरार चल रहे चारों आरोपियों के खिलाफ स्थायी वारंट जारी है।
हिल गई थी इंदिरा सरकार
dihulee hatyaakaand में 44 साल पहले हुए इस हत्याकांड से केंद्र और राज्य की सरकारें हिल गईं थी। घटना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मुख्यमंत्री एनडी तिवारी, विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेई दिहुली गांव पीड़ितों का दर्द बांटने पहुंचे थे। फिरोजाबाद जनपद क्षेत्र के थाना जसराना क्षेत्र का गांव दिहुली में जब 18 नवंबर 1982 को संतोष सिंह उर्फ संतोषा और राधेश्याम उर्फ राधे के गिरोह ने दलित समाज के लोगों के ऊपर हमला कर सामूहिक नरसंहार के जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। उसे समय वह क्षेत्र मैनपुरी का हिस्सा हुआ करता था। इस हत्याकांड से इंदिरा गांधी की सरकार हिल गई थी।
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