प्रयागराज: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मौतों का आंकड़ा कुछ घंटे तक ना बताए जाने पर अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि सीएम योगी समेत सभी सरकारी सोशल मीडिया अकाउंट पर घटना की सही जानकारी नहीं देकर लोगों से सिर्फ अफवाहों पर ध्यान नहीं दिए जाने की अपील की जा रही थी. ऐसे में उनके जैसे धर्माचार्य को इस घटना की जानकारी ही नहीं हुई।उन्होंने कहा कि सही समय पर घटना की जानकारी मिलती तो वह लोग परंपराओं का पालन करते हुए मृतक आत्माओं को श्रद्धांजलि देते और एक दिन का उपवास रखते।
बड़े हादसे से लोगों को बचाया
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भावुकता में भले ही इस बिन्दु पर अपनी नाराज़गी व्यक्त कर दी किंतु मौत का आकड़ा देर से बताने की मंशा के पीछे करोड़ों श्रद्धालुओं के जीवन की रक्षा करनी थी। सुबह ही प्रयागराज में दस करोड़ की भीड़ के अलग-अलग समूहों तक भगदड़ में मौतों की खबर या तस्वीरें पहुंच जाती तो ये खबर लोगों को पैनिक कर सकती थी। और एक नई भगदड़ दूसरे हादसे को दावत दे सकती थी।भगदड़ में मौत की सूचनाओं को कुछ घंटे रोका नहीं जाता तो अनर्थ हो सकता था। स्नान के लिए जा रही और स्नान करके लौट रही भीड़ तक ये खबर त्वरित पहुंच जाती तो घबराहट होने और बदहवासी में करोड़ों की भीड़ पैनिक हो जाती।
वीडियो- फोटो फैलने से रोका
पत्रकारिता का सिद्धांत है कि कभी कभी कुछ खबरों को एक समय सीमा तक रोक देना जरुरी होता है। हांलांकि ये काम बहुत जटिल होता है। मसलन साम्प्रदायिक दंगों की आग लगी हो तो पत्रकारिता के संस्कार कहते हैं कि इस सच को रोका जाए कि किस समुदाए ने हमला किया और किस समुदाय के कितने लोग मर गए। संवेदनशील और नाजुक समय में जज्बात भड़काने वाले सच को भी रोकना पत्रकारिता की नैतिकता कहलाती है।इसी तरह यदि किसी स्थान पर लाखों-करोड़ों की भीड़ इकट्ठा हो और किसी हादसे में कुछ लोग घायल हो जाएं या मर जाएं तो इस बात को फिलहाल उस समय फैलाना मुनासिब नहीं है। भगदड़ की तस्वीरें,घायलों और मृतकों की विभत्स हृदयविदारक वीडियो भीड़ तक पहुंचने से बदहवासी और अफरातफरी का माहौल पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है। जो बेहद घातक होता है।
भीड़ में भगदड़ किसी बड़े हमले या भीषण हादसे से भी खतरनाक होती है। भगदड़ का कारण बेहद छोटा होता है, कोई अफवाह या पैनिक खबर भगदड़ पैदा करके लाशे बिछा सकती है।मौनी अमावस्या का पावन भोर होने को था, करोड़ों श्रद्धालु अमृत स्नान करने जा रहे थे या स्नान करके लौट ही रहे थे। जरा सी बात में थोड़ी भगदड़ हुई और कई श्रद्धालु घायल हो गये और कई को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। चंद मिनटों में स्थितियों को काबू कर लिया गया। भीड़ कम होने तक मौत की खबरों को रोकने के लिए मौत का आधाकारिक आकड़ा कुछ घंटे तक नहीं दिया गया। ताकि ये खबर भीड़ में घबराहट ना पैदा कर दे।मृत्यु का आंकड़ा देर से बताने को लेकर नाराज शंकराचार्य जी को जब इस उक्त तर्क से अवगत किया जाएगा तो वो निश्चित तौर पर अपनी नाराज़गी पर विचार करेंगे।
-नवेद शिकोह
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