- योगी के सूचनातंत्र ने करोड़ों की भीड़ को पैनिक होने से बचाया
प्रयागराज में अमृत स्नान के दौरान हुआ हादसा दुखद है ,लेकिन सुखद ये है कि अफवाहें या पैनिक करने वाली सूचनाएं काबू कर ली गई। नहीं तो अनर्थ हो जाता। घबराहट,बौखलाहट और बदहवासी में करोड़ों की भीड़ पैनिक हो जाती। भगदड़ तेज हो जाती और सैकड़ों हजारों लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाता। पत्रकारिता का सिद्धांत है कि कभी कभी कुछ खबरों को वक्ती तोर पर रोक देना जरुरी होता है। हांलांकि ये काम बहुत जटिल होता है। मसलन साम्प्रदायिक दंगों की आग लगी हो तो पत्रकारिता के संस्कार कहते हैं कि इस सच को रोका जाए कि किस समुदाए ने हमला किया और किस समुदाय के कितने लोग मर गए। संवेदनशील और नाजुक समय में जज्बात भड़काने वाले सच को भी रोकना पत्रकारिता की नैतिकता कहलाती है।इसी तरह यदि किसी स्थान पर लाखों-करोड़ों की भीड़ इकट्ठा हो और किसी हादसे में कुछ लोग घायल हो जाएं या मर जाएं तो इस बात को फिलहाल उस समय फैलाना मुनासिब नहीं है। भगदड़ की तस्वीरें,घायलों और मृतकों की विभत्स हृदयविदारक वीडियो भीड़ तक पहुंचने से बदहवासी और अफरातफरी का माहौल पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है। जो बेहद घातक होता है।
अफवाह बम से भी खतरनाक
भीड़ में भगदड़ किसी बड़े हमले या भीषण हादसे से भी खतरनाक होती है। भगदड़ का कारण बेहद छोटा होता है, कोई अफवाह भी भगदड़ पैदा करके लाशे बिछा देती है। अफवाह या झूठी अथवा पैनिक खबर बम और ए के 47 जैसे असलहे से भी खतरनाक होती है। अफवाह मतलब झूठी खबरें। ये फैल जाएं तो आग,बम,बारूद या बिजली करंट से भी घातक या भीषण होती है। मौनी अमावस्या का पावन भोर होने को था, करोड़ों श्रद्धालु अमृत स्नान करने जा रहे थे या स्नान करके लौट ही रहे थे। जरा सी बात में थोड़ी भगदड़ हुई और कई श्रद्धालु घायल हो गये और कुछ को अपनी जान तक गवानी पड़ी। चंद मिनटों में स्थितियों को काबू कर लिया गया, नहीं तो भगदड़ में सैकड़ों-हजारों की मौत हो सकती थी।
योगी के सूचनातंत्र की सराहना
प्रयागराज में देर रात और भोर के दरम्यान अफवाहों या पैनिक खबरों को नहीं रोका जाता तो लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता था।
मेला स्थल पर मौजूद वालेंटियर की माने तो एक सीमित स्थान पर हुए हादसे की खबर बीसियों किलोमीटर में फैली श्रद्धालुओं की भीड़ तक मोबाइल फोन के जरिए पहुंच जाती और लोग भागने की कोशिश करते तो अनर्थ हो जाता। योगी सरकार के सुरक्षा मॉडल के साथ सूचनातंत्र की सराहना करनी ही होगी। टीवी चैनलों, डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर उस नाजुक घड़ी में मौत की खबरें और तस्वीरें भीड़ तक नहीं पहुंचीं। मेन स्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया ने कर्तव्य बखूबी धर्म निभाया।प्रमुख सचिव सूचना, मुख्यमंत्री के सलाहकार मृत्यंजय सिंह, रहीस सिंह खासकर निदेशक सूचना शिशिर उनके सहयोगी अंशुमान त्रिपाठी इत्यादि में पैनिक खबरों और अफवाहों को रोकने की दक्षता नहीं होती तो ये हादसा वृहद रूप ले सकता था। महाकुंभ की पल-पल की लाइव खबरें दिखाने वाली टीवी मीडिया के पत्रकारों से सूचना निदेशक शिशिर का बेहतर सामंजस्य काम आ गया। नाजुक वक्त में मौत की खबरों और भगदड़ की तस्वीरों को कुछ क्षण के लिए रोक लिया गया। नहीं तो ये खबरें और वीडियो सोशल मीडिया के जरिए करोड़ों के क्राउड तक पहुंच कर काल बन सकती थीं।
साधू संतों ने बनाए रखा धैर्य
तारीफ लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं, साधू संतों,नागा बाबाओं और तमाम उन वालेंटियर्स की भी करनी होगी, जिन्होंने धैर्य और संयम बनाए रखा। घटना के बाद भी लोग डरे नहीं,भागे नहीं और घबराए नहीं। लोग पूरी आस्था और विश्वास के साथ डटे रहे। लाखों लोगों ने पूरी श्रद्धा,आस्था, परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ संगम पर अमृत स्नान किया। भोर हो रही थी, पूरी रात से लेकर सुबह और फिर दिन भर सुरक्षा कर्मी साए की तरह हर किसी की सुरक्षा में लगे थे। घटना के बाद भी पूरे उत्साह और ऊर्जा के साथ श्रद्धालुओं के काफिले अमृत स्नान के लिए घाटों की ओर बढ़ रहे थे। कुछ लोग महामृत्यंजय मंत्र का उच्चारण कर रहे थे। मृत्युंजय और शिशिर मीडिया से कॉर्डीनेशन बनाए थे। प्रमुख सचिव गृह/सूचना संजय प्रसाद, डीजीपी और तमाम पुलिस अफसर और सुरक्षा कर्मी कर्तव्य परायण का धर्म निभा रहे थे। विघ्न का राक्षस आस्था की रफ्तार को जरा भी नहीं रोक सका।सनातन का कारवां आगे बढ़ता गया। अमृत स्नान करने वालों की संख्या ने रिकार्ड कायम कर लिया।
-नवेद शिकोह
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