मेरठ। यूपी में जब- जब एकाउंटर होते है राजनीति करने वाले कुर्सी भूखे भेड़िए राजनेता हमेशा पुलिस वालों को पानी पी—पीकर कोसते हैं। ऐसे राजनेताओं को इंस्पेक्टर सुनील की बहादुरी के बारे में जरूर पढ़ने चाहिए कैसे उन्हें इन शांति के पुजारियों ने गोलियों से छलनी कर दिया और मां भारती का वीर जवान किस तरह यमराज से लड़ता रहा। शायद यह पढ़कर एकाउंटर पर सवाल उठाने वालों की आंखें खुल जाए।
‘मेरे सीने में लगी गोली चाकू से निकाल दो, मेरी जान बच जाएगी’। यह बात तीन गोली लगने के बाद भी इंस्पेक्टर सुनील कुमार अपने साथियों से लगातार कहते रहे। उन्होंने घायल होने के बावजूद बदमाशों का डटकर मुकाबला किया और अपने साथियों से लगातार बातचीत करते रहे। साथी बार-बार उन्हें समझाते रहे कि अस्पताल पहुंच गए और डॉक्टर जल्दी ही गोली निकाल देंगे। यह बात याद करके मुठभेड़ में शामिल एसटीएफ के सदस्य रोते रहे।
आधा घंटे चली मुठभेड़
पुलिस के अनुसार सोमवार रात 11 से 11:30 बजे तक मुठभेड़ चली। सफेद रंग की ब्रेजा कार में बदमाश हरियाणा की तरफ से शामली में आ रहे थे। एसटीएफ के सदस्यों ने टार्च दिखाकर कार रुकने का इशारा किया, लेकिन वो नहीं रुके थे और चौसाना गांव की तरफ भागने लगे। उदपुर गांव स्थित ईंट भट्ठे के पास बदमाशों की घेराबंदी कर ली। ललकारा और गिरफ्तार होने की बात कही। तभी बदमाशों ने एसटीएफ टीम पर गोलियां चला दीं। जिसमें तीन गोली इंस्पेक्टर सुनील को लगी। जवाबी कार्रवाई में गोली एसटीएफ ने भी चलाई। कार चालक बदमाश सतीश गोलियां चलाते हुए भागने लगा। जिसका पीछा हेड कांस्टेबल आकाश दीप और अंकित ने किया।
बदमाशों की तरफ से गोलियां चलना बंद हो गई, तभी एसटीएफ के सदस्य उनकी कार के पास पहुंचे। जहां पर 3 बदमाश कार में और एक बदमाश सड़क पर घायल अवस्था पड़ा था। घायल इंस्पेक्टर को दरोगा जयवीर सिंह और हेड कांस्टेबल विकास करनाल स्थित एक अस्पताल लेकर पहुंचे। तीन गोली लगने के बाद भी उनके चेहरे पर खौफ नहीं था। वह कहते रहे कि बदमाश बचने नहीं चाहिए। ऑपरेशन थियेटर में भी सुनील बोलते रहे, जिससे एसटीएफ के सदस्यों को अंदेशा था कि सुनील की जान बच जाएगी, लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गए।
सुनील के लीवर में घुस गई थी गोली
बदमाशों की दो गोलियां फिर से जांबाज इंस्पेक्टर को लगीं। तीसरी गोली सुनील के लीवर में घुस गई थी। जवाबी फायरिंग में चारों बदमाश मारे गए। एसटीएफ एसपी बृजेश सिंह ने बताया कि बदमाशों को पकड़ने के लिए दो टीम बनाई थीं। एक टीम को इंस्पेक्टर सुनील कुमार लीड कर रहे थे। गोली लगने के बाद भी उन्होंने हौसला नहीं खोया और बदमाशों पर जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलाते रहे।
मसूरी गांव निवासी एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार (52) के दम तोड़ने की सूचना पर गांव में शोक व्याप्त हो गया। उनके घर सांत्वना देने वालों की भीड़ लग गई। सुनील कुमार जून 1990 में यूपी पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए थे। वर्ष 1997 में हरियाणा के मानेसर स्थित अकादमी से उन्होंने कमांडो का प्रशिक्षण लिया था। 2009 में एसटीएफ में उनकी तैनाती हुई। उनकी तैनाती लखनऊ, नोएडा, मेरठ सहित अन्य एसटीएफ केंद्रों पर रही। लगातार बेहतर कार्य के बल पर पदोन्नति पाते रहे। बता दें इससे पहले आईएसआई एजेंट कलीम को गिरफ्तार कराने में सुनील ने अहम भूमिका निभाई थी।
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