आगरा। सभी लोग देशी घी बाजार से खरीदकर लाते है कि उसे खाने से शरीर स्वस्थ्य रहेगा और बीमारियां दूर रहेगी। शायद यह खबर पढ़कर घी खाने वालों की संख्या कम हो जाएगी, क्योंकि यूपी के आगरा शहर में एक ही स्थान पर देश की 18 मशहूर घी कंपनियों का नकली माल तैयार किया जा रहा है। जिस ब्रांड का आर्डर उसे पैक करके भेज दिया। यानि हर ब्रांड में एक ही नकली आइटम वो भी घी नहीं पूरी तरह से जहर।
पुलिस ने गुरुवार को आगरा के ऐसे ही एक संस्थान का भंडाफोड़ किया है, जहां पर नकली घी धड़ल्ले से बनाया जा रहा है। पुलिस और एसओजी की टीम ने छापा मारकर अमूल, मधुसूदन, पतंजलि सहित 18 मशहूर ब्रांडों के नाम की पैकिंग में नकली देसी घी जब्त किया है। इसमें रिफाइंड व अन्य केमिकल की मिलावट की जा रही थी। फैक्टरी के मैनेजर सहित पांच लोग गिरफ्तार किए हैं।
जिस ब्रांड की मांग, उसे पैक किया
पुलिस ने बताया कि मारुति सिटी रोड पर मारुति प्रभासम कॉलोनी में राजेश अग्रवाल नामक व्यक्ति के प्लॉट में टिनशेड डालकर फैक्टरी संचालित की जा रही थी। प्लॉट किराए पर ले रखा था। पूछताछ में बताया गया कि ग्वालियर निवासी बृजेश अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, नीरज अग्रवाल का प्योर इट के नाम से देसी घी का ब्रांड है। उन्होंने करीब 6 माह पहले फैक्टरी खोली थी। कॉलोनी के राजेश भारद्वाज को मैनेजर बनाया था। बाजार से जिस ब्रांड की डिमांड मिलती थी, उसी ब्रांड के स्टीकर लगाकर टिन और डिब्बों में पैक कर दिया जाता था।
करोड़ों का माल बरामद
फैक्टरी में भारी मात्रा में बना हुआ घी, कच्चा माल, कई कंपनियों के स्टीकर, प्रयोग की जाने वालीं मशीनें, पैकिंग मशीन आदि बरामद की गई हैं। बरामद माल की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। पुलिस फैक्टरी के संचालक और कर्मचारियों के विरुद्ध अपनी तरफ से मुकदमा दर्ज कर रही है। एफएसडीए की टीम को भी कार्रवाई के लिए बुलाया गया है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने बताया कि छापे से कुछ देर पहले ही नकली देसी घी के 50 टिन की खेप मेरठ भेजी गई थी। इस माल की बरामदगी के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस ने बताया कि नकली देसी घी प्रदेश के अलावा आसपास के राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था।
ऐसे तैयार करते थे नकली घी
पुलिस ने बताया कि फैक्टरी में पॉम आयल, रिफाइंड, वनस्पति और एसेंस से नकली घी तैयार किया जाता है। इस वजह से इसमें असली घी जैसी खूशबू आती है, दाने भी रवेदार, एकबारगी तो पुलिस टीम को भी असली घी का भ्रम हुआ। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि वह खुद मौके पर पहुंचे। सबसे पहला सवाल यह किया कि घी कैसे बनाते थे। आरोपियों ने बताया कि देसी घी की लोगों को पहचान नहीं है। कोई खुशबू देखता है तो कोई दाने। वो लोग पॉम ऑयल, रिफाइंड, वनस्पति घी, केमिकल को मिलाकर देसी घी तैयार किया करते थे। उसमें एसेंस मिलाते थे। ताकि खुशबू आए। एक्सपाइरी डेट का रिफाइंड भी मिला। पुलिस ने आरोपियों से पूछा कि इसको क्यों खरीदा। मजदूरों ने बताया कि एक्सपाइरी डेट का माल सस्ता मिलता है। जब वे देसी घी बनाते थे तो इस रिफाइंड का भी प्रयोग करते थे।
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