केजीएमयू: विश्व सेप्सिस दिवस पर यूं हुआ कार्यक्रम का समापन, जल्द मिलेगी फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा

लखनऊ। प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में शुमार राजधानी स्थित किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने विश्व सेप्सिस दिवस के अवसर पर दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी की। इस आयोजन का मकसद स्वास्थ्य देखभाल, पेशेवरों के बीच सेप्सिस प्रबंधन में जागरूकता बढ़ाना और सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना बताया गया।

विश्व सेप्सिस दिवस पर आयोजित सफल शैक्षणिक कार्यक्रमों के बाद शनिवार को केजीएमयू के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने सेप्सिस कंसोर्टियम-2024 के हिस्से के रूप में एक अत्यधिक विशिष्ट कार्यशाला की मेजबानी की। केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश के विशेषज्ञ मार्गदर्शन में आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्देश्य सेप्सिस हस्तक्षेप पर विशेष ध्यान देने के साथ महत्वपूर्ण देखभाल प्रबंधन में व्यावहारिक कौशल को बढ़ाना था।

केन्द्र से मंजूरी के बाद शुरू होगी फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा

वहीं इससे पहले यहां शुक्रवार को कार्यक्रम के शुभारंभ पर सूबे के डिप्टी सीएम एवं हेल्थ मिनिस्टर ब्रजेश पाठक बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि फेफड़े की गंभीर बीमारी से पीडि़तों को प्रदेश में बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए जल्द ही फेफड़ा प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध करवाई जायेगी। अभी प्रदेश में फेफड़ा प्रत्यारोपण नहीं हो रहा है। इसके लिए केन्द्र सरकार से संपर्क स्थापित किया गया है।

जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। कार्यक्रम में कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद, पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, गेस्ट्रोमेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा, नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विश्वजीत सिंह, पीजीआई नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।

अधिक एंटीबायोटिक लेने से खून में हो जाता है संक्रमण

प्रो.(डॉ.) वेद प्रकाश ने कहा कि गलत या अधिक एंटीबायोटिक लेने से खून में संक्रमण हो जाता है। जो सैप्सिस का कारण बन जाता है। सैप्सिस को सेप्टीसीमिया भी कहते हैं। इससे शरीर के अन्य अंग प्रभावित है। समय पर पहचान न होने से मरीज की मौत तक हो सकती है।

खून की जांच कर सैप्सिस का पता लगाया जा सकता है। पता लगने पर सटीक इलाज संभव है। डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि सैप्सिस से बचाव के लिए बेवजह एंटीबायोटिक दवा खाने से बचें। केवल डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक लें।

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