अयोध्या। सपा की पहचान परिवार वाद की परंपरा विधानसभा के उपचुनाव में स्पष्ट नजर आ रही हैं।मिल्कीपुर विधानसभा के मैदान में इस बार यहां से विधायक रहे अवधेश प्रसाद जो अब सांसद बन गए है के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा।दरअसल यहां से कई पुराने कार्यकर्ता टिकट की आस लगाए बैठे थे, लेकिन अखिलेश यादव ने परिवार वाद की परंपरा को इटावा से बाहर निकालकर अयोध्या में स्थापित करने की पहले से सोच लिया था।अखिलेश के इस फैसले से कई पुराने सपाइयों के अरमानों पर पानी फिर गया।
मिल्कीपुर विधायक रहे अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद इस सीट पर उपचुनाव होना है। सुरक्षित सीट पर पार्टी ने पहले से ही सांसद पुत्र अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाने के संकेत दिए थे, फिर भी दो अन्य नेता भी दावेदारी कर रहे थे। प्रत्याशी पर अंतिम निर्णय लेने के लिए रविवार को सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लखनऊ कार्यालय पर पार्टी के सभी पूर्व विधायकों, पदाधिकारियों, बूथ व सेक्टर एजेंटों समेत लगभग 700 लोगों के साथ बैठक की और प्रत्याशी को लेकर चर्चा की। सभी से सुझाव मांगे। इस दौरान सभी ने अजीत प्रसाद के प्रत्याशी होने पर सहमति जताई तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सभी को आपसी मतभेद भुलाकर प्रत्याशी जिताने पर जुटने का निर्देश दिया। सूत्रों के अनुसार इस बार सपा को भीतरघात से जूझना पड़ सकता है।
आनंदसेन भी आए साथ, चुनाव जिताने का दावा
लोकसभा चुनाव से नाराज चल रहे पूर्व विधायक आनंदसेन यादव मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे हैं। उनके पिता व पूर्व सांसद के समय से मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र उनका गढ़ माना जाता रहा है। ऐसे में उनकी नाराजगी के बीच सपा के लिए इस सीट पर पार पाना आसान नहीं था। इस बीच रविवार को आनंदसेन यादव भी बैठक में शामिल हुए और कई अटकलों और संभावनाओं को नकारते हुए उन्होंने भी अजीत प्रसाद का खुलकर समर्थन करते हुए चुनाव जिताने का दावा किया।