लखनऊ। एसजीपीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग में आठवां नेशनल एनेस्थीसिया एवं ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजिस्ट दिवस मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक पदमश्री प्रो. राधा कृष्ण धीमन ने एनस्थीसिया तथा ओ टी टेकनीशियनस् के द्वारा किए गए कार्यों एवं भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि किसी भी अस्पताल में मरीज़ के छोटे से छोटे एवं बड़े से बड़े आपरेशन को सही तरह से अंजाम देने में इस विभाग का सबसे अहम योगदान रहता है।
टेक्नीशियनस् की भूमिका अहम
इस विभाग तथा विभाग में कार्यरत टेक्नीशियनस् की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस मौके पर विभागाध्यक्ष एनेस्थीसिया प्रो. प्रभात तिवारी, सीएमएस प्रो. संजय धीराज तथा मेडिकल सुपरीटेंडेंट प्रो. वीके पालीवाल, प्रो. देवेंद्र गुप्ता, डाॅ आशीष कनौजिया, डाॅ सुजीत सिंह गौतम, डाॅ अमित रस्तोगी और डाॅ. रुद्राशीष हलदार, के अध्यक्ष श्री के.के. कौल एवं मेड टेक एसोशियेशन के महामंत्री सरोज वर्मा उपस्थित रहे।
वर्क कल्चर व ओरिएंटेशन कोर्स के बारे में बताया
प्रो. प्रभात तिवारी ने ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया के चिकित्सको द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ट्रांस इसोफगल ईको उपकरण की रखरखाव में तकनीकी दक्षता के बारे में बताया। वहीं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजय धीराज ने ऑपरेशन थिएटर असिस्टेंट के वर्क कल्चर व
ओरिएंटेशन कोर्स के महत्व के बारे में बताया
चिकित्सा अधीक्षक प्रो. वी के पालीवाल ने एनेसथीसिया और ओ टी तकनीशियनों द्वारा परदे के पीछे रहकर किये जाने वाले तकनीकी योगदान की प्रशंसा की। सचिव राजीव सक्सेना ने एनेस्थीसिया टेक्नीशियन के द्वारा किए जाने वाले क्रियाकलापों, मशीनों के रखाव संबंधित और सर्जरी के दौरान उनकी भूमिका के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में विभाग की श्रद्धा, रुचि, प्रिया, शिवानी, मीनू सिंह, प्रमिला, धीरज सिंह, चंद्रेश कश्यप तथा आयुषी ने भी भाग लिया।
65 वर्षीय महिला की यूं हुईं सफ़ल रोबोटिक्स सर्जरी
वाराणसी से लायी गई 65 वर्षीय महिला का सफ़ल रोबोटिक्स सर्जरी हुआ। एसजीपीजीआई के यूरोलॉजी और गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग ने बाएं गुर्दे के कैंसर के लिए दुर्लभ और अत्यंत जटिल रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक कर इतिहास रच दिया। ट्यूमर हृदय के स्तर के ठीक नीचे इन्फीरियर वीना कावा (आईवीसी) तक फैला हुआ था। यह अग्रणी सर्जरी, जो विश्वभर में कुछ ही केंद्रों में की गई है, राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित एसजीपीजीआई के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
असाधारण कौशल और समन्वय की आवश्यकता
सटीकता और परिणामों को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक रोबोटिक तकनीक का उपयोग इस जटिल प्रक्रिया के लिए प्रो. डॉ. उदय प्रताप सिंह तथा उनकी टीम द्वारा अंजाम दिया गया। विशेष रूप से कैंसर के आईवीसी में फैलाव के कारण सर्जरी में असाधारण कौशल और समन्वय की आवश्यकता थी। सर्जरी के दौरान प्रभावी आईवीसी निगरानी आवश्यक है ताकि थ्रोम्बस के टूट जाने से रोका जा सके, जो गंभीर जटिलताओं जैसे कि पल्मोनरी एम्बोलिज्म या मृत्यु का कारण बन सकता है। उन्नत इमेजिंग तकनीकों का उपयोग और नवीन दिशानिर्देशों का पालन मरीज की सुरक्षा और सर्वोत्तम परिणाम सुनिश्चित करता है।
इन्होंने निभाई अहम भूमिका
ऑपरेशन का एक महत्वपूर्ण पहलू लिवर का कन्ट्रोल था, जिसे गैस्ट्रो सर्जरी के प्रो. डॉ. रजनीश कुमार सिंह ने किया। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. संजय धीराज और डॉ. अमित रस्तोगी ने सर्जरी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आईवीसी के भीतर थ्रोम्बस की स्थिति की वास्तविक समय में निगरानी के लिए इंट्रा-इसोफेगल अल्ट्रासाउंड (यूएसजी) का उपयोग किया। मरीज की जल्द स्वास्थय लाभ की वजह से सर्जरी के चार दिन बाद छुट्टी दे दी गई।
निदेशक प्रो. डॉ. आरके धीमान ने की सराहना
डॉ. उदय ने बताया कि रोबोटिक्स के उपयोग ने हमें सर्जिकल चीरे, रक्तस्राव को कम करने, रिकवरी के समय को कम करने और मरीज़ के परिणामों में सुधार करने में सहायक होता है। वहीं संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. आरके धीमान ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि यह तकनीकि नयी और उच्च जोखिम वाली चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए पीजीआई की स्थिति को एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करती है।
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