अलीगढ़।भोले बाबा के सत्संग मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत में पुलिस जांच में बड़ा खुलासा हुआ। सूत्रों के अनुसार जब भगदड़ मची तो सेवादारों ने भीड़ को काबू करने के लिए लाठियां चलाई थी। जब हादसे में लोगों की मौत होने लगे तो मुख्य सेवादार मधुकर अपने खास साथियों के साथ वहां से भाग लिया,अपने मोबाइल के साथ ही सबके मोबाइल बंद करा दिया, इसके साथ ही अपने परिवार वालों को भी घर से भगा दिया।
पुलिस कर्मियों को नहीं घुसने दिया पंडाल में
पुलिस का कहना है कि सत्संग के दौरान जब पुलिस कर्मी पंडाल में जाने को हुए तो उन्हें रोक दिया गया। इतना ही नहीं वीडियोग्राफी जब करने की कोशिश की गई तो सेवादार पुलिस की टीम से भिड़ गए थे। इन लोगों ने न तो खुद व्यवस्था संभाली और न ही पुलिस को संभालने दी। देवप्रकाश मधुकर ने एसडीएम सिकंदराराऊ के समक्ष सत्संग की अनुमति के लिए जो आवेदन किया था, उसमें 80 हजार लोगों के आने की उम्मीद जताई थी। लेकिन आयोजकों ने यहां डेढ़ लाख से भी अधिक की भीड़ इकट्ठा कर ली।भीड़ में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। पंडाल में जितने लोग बैठे थे उससे ज्यादा पंडाल के बाहर थे। पुलिस का कहना है कि भगदड़ में मरने वाले सभी 121 लोग पंडाल के बाहर ही बैठे थे। पंडाल वाले लोग तो उस वक्त तक बाहर आ ही नहीं आ सके थे।
70 लाख से ज्यादा का चंदा जुटाया था
हाथरस जिले के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में सत्संग के आयोजन के लिए पिछले एक महीने से चंदा हो रहा था। तीस से ज्यादा लोगों की टीम गांव-गांव जाकर अपने समाज के लोगों से पैसा इकट्ठा कर रही थी। आयोजन के लिए ही 70 लाख से ज्यादा का चंदा तो हाथरस क्षेत्र के लोगों से ही हो चुका था। जबकि एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी है, जो आनलाइन पैसा भेज रहे थे। चंदे की 30 फीसदी रकम इकट्ठा करने वाले रख लेते हैं, जबकि 70 फीसदी पैसा ट्रस्ट में जमा कर दिया जाता है। इसकी कोई रसीद नहीं दी जाती बल्कि डायरी में लिख लिया जाता है।
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