नईदिल्ली। देश में दिमाग खाने वाला अमीमा तेजी से फैल रहा है, अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है।विशेषज्ञयों के अनुसार अभी तक इस रोग का इलाज नहीं फिर भी डॉक्टरों ने कोशि करके 7 लोगों की जान बचाई जा चुकी है। ताजा मामला केरल के कोझिकोड में सामने आया, यहां दिमाग खाने वाले अमीबा ने एक 14 साल के बच्चे की जान ले ली। मृदुल नाम का यह किशोर एक छोटे तालाब में नहाने गया जिसके बाद वह संक्रमित हुआ।
इस बीमारी को अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) नाम से जानते हैं जो नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा की वजह से होती है। जब पानी के जरिये यह अमीबा शरीर में पहुंचता है जो सिर्फ चार दिन में यह इंसान के नर्वस सिस्टम यानी दिमाग पर वार करना शुरू कर देता है।
14 दिन में जीवन खत्म
डॉक्टरों के अनुसार जिसके भी दिमाग में यह अमीबा घुसता वह मात्र 14 दिन में उसके जीवन को खत्म कर देता है। इस साल केरल में इस बीमारी से यह तीसरी मौत है। इससे पहले भी देश के विभिन्न अस्पतालों में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बीमारी के मामले सामने आते रहे हैं। केंद्र सरकार के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम
आईडीएसपी) के मुताबिक, अब तक केरल से लेकर हरियाणा और चंडीगढ़ तक 22 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से छह मौत 2021 के बाद दर्ज की गईं। केरल में पहला मामला 2016 में सामने आया तब से अब तक यहां आठ मरीज मिले हैं और सभी की मौत हुई। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, साल 2019 तक देश में इस बीमारी के 17 मामले सामने आए लेकिन कोरोना महामारी के बाद कई तरह के संक्रमणों में उछाल देखने को मिला है। इसलिए शायद अचानक से बढ़ी इस बीमारी के पीछे यह एक कारण हो सकता है। 26 मई 2019 को हरियाणा में एक आठ माह की बच्ची में यह बीमारी सामने आई।
पूरी दुनिया इसकी चपेट में
एक अध्ययन के मुताबिक इस संक्रमण की दुर्लभता के बावजूद दुनिया भर में 400 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। 1968 से 2019 तक अकेले अमेरिका में 143 मरीज मिले, जिनमें 139 की मौत हुई। पाकिस्तान में 2008 से 2019 तक 147 मरीज मिले। वहीं यूरोप में 24 और ऑस्ट्रेलिया में 19 मामले मिले हैं। अगर एशिया की बात करें तो अकेले सबसे ज्यादा मामले पाकिस्तान, भारत और थाईलैंड में मिले हैं।साल 2015 में पहली बार नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने यह पता लगाया कि उत्तर भारत की मिट्टी में कई तरह का अमीबा मौजूद है जिनमें से नेगलेरिया फाउलेरी है जो अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बीमारी का कारण है। डॉक्टरों ने साल 2012 से 2013 के बीच हरियाणा के रोहतक और झज्जर के 107 जलाशयों की जांच में इसका पता लगाया। 107 पानी के नमूनों में से 43 (40%) नमूनों में अमीबा मिला।
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