हाथरस। यूपी के हाथरस जिले में मंगलवार को एक दिल दहलाने वाला हादसा सामने आया, यहां भोले बाबा के सत्संग के बाद भगदड़मच गई, इस हादसे में शाम पांच बजे तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हुई, मौत का आंकड़ा और बढ़ने की आशंका जताई जा रही हैं। भगदड़ में बड़ी संख्या में लाेग दबकर घायल हो गए। यह हादसा हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव में मंगलवार को बड़ा हादसा हो गया। यहां भोले बाबा का सत्संग चल रहा था। बताया गया है कि सत्संग समाप्त होने के बाद यहां से जैसे भी भीड़ निकलना शुरू हुई तो भगदड़मच गई।
भगदड़ में महिलाएं और बच्चे बुरी तरह कुचलते चले गए। मौके पर चीख-पुकार मच गई। हादसे में कई लोगों की मौत होने की आशंका है। घायलों को मेडिकल कॉलेज एटा भेजा गया है, अब तक 122 लोगों की मौत की खबर है। एटा के एसएसपी राजेश कुमार सिंह के मुताबिक जिस वक्त भगदड़ हुई उस समय हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे में धार्मिक आयोजन चल रहा था।
एटा अस्पताल में अब तक 27 शव आ चुके हैं, जिनमें 23 महिलाएं, तीन बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं। अभी घायल अस्पताल नहीं पहुंचे हैं। आगे की जांच की जा रही है। इन 27 शवों की पहचान की जा रही है। वहीं इस हादसे पर सीएम योगी ने दुख जताया और हताहतों को तत्काल राहत पहुंचाने की अपील अधिकारियों से की।
पीएम ने जताया हादसे पर शोक
लोकसभा में भाषण के दौरान पीएम मोदी ने यूपी के हाथरस में हुए हादसे पर दुख जाहिर किया। उन्होंने कहा कि यूपी के हाथरस में जो भगदड़ हुई उसमें अनेकों लोगों की दुखद मृत्यु की जानकारी मिली है। इस हादसे में जिनकी भी जान गई उनके प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। इसके साथ ही जो घायल हुए हैं उनके जल्द ही स्वस्थ होने की कामना करता हूं। मैं इस सदन के माध्यम से सभी को भरोसा देता हूं कि सभी पीड़ितों की मदद की जाएगी।
अब तक हुए बड़े हादसे
हरिद्वार में हर की पौड़ी पर 8 नवंबर 2011 को भगदड़ मच गई थी. इस भगदड़ में 22 लोगों की जान चली गई. बड़ी संख्या में श्रद्धालु घायल भी हो गए थे.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में 4 मार्च, 2010 को राम-जानकी मंदिर में भगदड़ मचने से 63 लोगों की मौत हो गई.
100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. धार्मिक गुरु कृपालु महाराज की पत्नी की पुण्यतिथि के मौके पर कपड़े और खाना बांटे जाने के दौरान भगदड़ मची थी. उस समय वहां करीब 10 हजार लोगों की भीड़ बताई जा रही थी.
कोलकाता के पास जनवरी, 2010 में गंगासागर मेले में मची भगदड़ से कम से कम सात तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी.
गुजरात में दिसंबर, 2009 में धौराजी के श्रीनाथजी मंदिर में भगदड़ मचने से नौ लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में 15 से अधिक दर्शनार्थी घायल हो गए थे.
राजस्थान के चामुंडा मंदिर में सितंबर, 2008 में मची भगदड़ में 224 लोगों की मौत हो गई थी.
हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में अगस्त, 2008 में भूस्खलन की अफ़वाह के बाद भगदड़ मच गई. इसमें 145 लोगों की मौत हो गई थी.
उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में नवंबर, 2006 में हुए हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी और 18 घायल हो गए थे. वहां मौजूद लोगों के मुताबिक अधिकारियों ने मंदिर का दरवाजा खोलने में देर कर दी. इसके कारण वहां भगदड़ मच गई थी.
महाराष्ट्र के दूरवर्ती मंढारा देवी मंदिर में जनवरी, 2005 में भगदड़ मचने से 265 लोग मारे गए थे. संकड़ा रास्ता होने के कारण हताहतों की संख्या बढ़ गई थी. मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की थी.
नासिक में कुंभ मेले के दौरान अगस्त, 2003 में मची भगदड़ में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थे.
हरिद्वार में साल 1986 में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई थी.
इलाहाबाद में साल 1954 में भी कुंभ मेले के दौरान भगदड़ का भयानक मंजर सामने आया था. उस हादसे में लगभग 800 श्रद्धालुओं की जान गई थी.