लखनऊ। 2024 का लोकसभा चुनाव बसपा प्रमुख मायावती के दो फैसलों के लिए जाना जाएगा। एक आकाश आनंद को फर्श से उठाकर आकाश पर बैठाने और बेकाबू होने पर उन्हें फिर फर्श पर लाकर पटकने के लिए। दरअसल जब मायावती ने चुनाव से पहले आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी देकर मैदान में उतारा तो यह अनुमान लगाया गया कि वह बसपा की राजनीति को युवा पीढ़ी को आगे लाने के लिए काम करेंगे, बसपा के खोए जनाधार को वापस लाने के लिए काम करेंगे। लेकिन उन्होंने जमीनी संघर्ष करने के बजाय रातोंरात सुपरस्टार बनने का रास्ता चुना।
एक तरफ वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव के प्रति नरम रूख अपनाए हुए थे, वहीं दूसरी ओर वह भाजपा नेताओं के लिए अभद्र और आक्रामक भाषा का प्रयोग करने लगे। इस वजह से उनके साथ कई बसपा प्रत्याशियों पर रिपोर्ट दर्ज हो गई, यह बसपा प्रमुख मायावती को रास नहीं आई और उन्हें जमीन पर लाकर पटक दिया।
आक्रामक शैली का विरोध
बसपा प्रखुम मायावती अपने प्रतिद्वंदियों के लिए भी शालीन भाषा का उपयोग करती है, लेकिन आकाश आनंद उस परंपरा को तोड़ते हुए उस भाषा को चुना जो मायावती को रास नहीं आती । इसके अलावा मायावती अपने भतीजे पर कार्रवाई करके यह संदेश दिया कि बसपा में अनुशासन से सबसे आगे,अनुशासनहीनता कतई बर्दाष्त नहीं की जाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मायावती ने फिलहाल आकाश आनंद को हटाकर उनके सियासी भविष्य को सुरक्षित रखने की कवायद की है। इस फैसले से उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। उन्होंने परिवार के सदस्य पर कार्रवाई कर बसपा कॉडर को भी संदेश दिया है।
पार्टी में भी हुआ विरोध
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सीतापुर में दिए गए भाषण के बाद आकाश का पार्टी में भी विरोध शुरू हो गया था। कई प्रत्याशियों के मुकदमे में नामजद होने से बसपा सुप्रीमो के पास आकाश को हटाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा था। इस तरह उन्होंने पार्टी के साथ भाजपा नेताओं की नाराजगी को भी कम करने की कवायद की है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद आकाश की बहाली भी हो सकती है।
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