लोकसभा चुनाव: जानिए क्यों कांग्रेस अभी तक अपने गढ़ में नहीं उतार सकी प्रत्याशी

लखनऊ। कांग्रेस कभी यूपी में सबसे मजबूत पार्टी हुआ करती थी, अमेठी, रायबरेली और सुलतानपुर, प्रयागराज समेत कई सीटें कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। धीरे—धीरे वह इतनी कमजोर हो गई कि वह अपने सबसे मजबूत किले में प्रत्याशी तय करने में सफल नहीं हो पाई। कांग्रेस के इतिहास पर अगर नजर डाले तो आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव को छोड़ दें तो कांग्रेस कभी भी इतने बुरे दौर से नहीं गुजरी।

नेहरू-गांधी परिवार ने जब भी यूपी से दावेदारी की, जनता ने उसका पूरा साथ दिया। साल 2019 में अमेठी में राहुल गांधी की हार जरूर अपवाद रही लेकिन इस बार यूपी में गांधी परिवार के लिए ‘सुरक्षित’ सीट के लाले हैं। बता दें कि पहले के चुनावों में जहां हर बार यह तय रहता था कि यहां से गांधी— परिवार का ही उम्मीदवार होना माना जाता था, लेकिन इस बार अभी तक यहां अमेठी-रायबरेली सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा यह तय नहीं हो पाया। दरअसल बदले हुए हालात के बाद कांग्रेस से कोई भी यहां लड़ने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।

नहीं मिल रहा उम्मीदवार

1999 में सोनिया गांधी अमेठी से पहली बार मैदान में उतरी और चुनाव जीतीं। 2004 में उन्होंने रायबरेली से पर्चा भरा व अमेठी की विरासत बेटे राहुल गांधी को सौंप दी। तबसे हर चुनाव में इन दोनों सीटों पर कांग्रेस का चेहरा पहले से तय माना जाता था। लेकिन 2019 में गढ़ टूटा तो गणित व रणनीति दोनों ही कमजोर पड़ गई है। सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। वह राजस्थान से राज्यसभा पहुंच चुकी हैं। अमेठी में मिली हार के बाद राहुल गांधी की दावेदारी भी संशय में है। भाजपा की राजनीति कर रहे इंदिरा गांधी के बड़े बेटे के परिवार को झटका लगा है। मेनका गांधी को तो फिर सुलतानपुर से टिकट मिला है लेकिन बेटे वरुण गांधी का पीलीभीत से टिकट कट गया है।

इसे भी पढ़ें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Launch of Rasha from Azad ठंड में सर्दी -खांसी से बचाता है संतरा आंवला एक फायदे अनेक Ginger tea protects from cold Struggle is necessary to survive Hina