लोक कलाकारों की स्मृतियों का करें दस्तावेजीकरण: डॉ. धनंजय चोपड़ा

  • योग हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग: कुलपति
  • मन को नियंत्रित करने के लिए योग करें: जय सिंह
  • भारतीय संस्कृति और योग एवं लोक कलाओं का संरक्षण सत्रों का हुआ आयोजन

जौनपुर। कल्चरल क्लब एवं वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से पांच दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को भारतीय संस्कृति और योग एवं लोक कलाओं और संस्कृति का संरक्षण विषयक सत्रों का आयोजन किया। संस्कृति विभाग उप्र के सहयोग से हो रही कार्यशाला संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन, प्रदर्शन, दस्तावेजीकरण पर आधारित है।

Document the memories of folk artists: Dr. Dhananjay Chopra
प्रो. मनोज मिश्र ने विविध लोक कलाओं पर विस्तार से अपनी बात रखी और लोकगीतों को भी सुनाया।

संस्कृति संरक्षण के लिए जागरूकता जरूरीः प्रो.सीमा सिंह

प्रशिक्षण सत्र में बतौर मुख्य वक्ता ख्यातिलब्ध लेखक और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कहा कि लोक संस्कृति मानव मूल्यों पर आधारित है, अगर आपके जीवन में मूल्य नहीं है तो जीवन व्यर्थ है। उन्होंने कहा न्यू मीडिया के दौर में लोक कलाओं और किताबों से जुड़े रहे तभी रच पाएंगें, उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों के पास जो स्मृतियां है उसका दस्तावेजीकरण करें।

गांव के लोग बहुत सृजनधर्मीं होने के चलते लोकगीतों की रचना करते है, रिकॉर्डर के माध्यम इसे सुरक्षित कर लेखन करे। उन्होंने विभिन्न लोक कलाओं के बारे में विस्तार से बताया, इसके साथ उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों ने सिर्फ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि चेक गणराज्य में सत्ता के खिलाफ आवाज भी कठपुतलियों ने उठाई है।

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प्रो. वंदना सिंह कुलपति वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय

योग हमारी संस्कृति का अंग

योग एवं भारतीय संस्कृति सत्र में संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि योग हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है. विद्यार्थी अपनी दिनचर्या में इसे शामिल कर तन और मन को शुद्ध रख सकते है. उन्होंने कहा कि भारत के ऋषियों ने भी योग के महत्व को बखूबी समझा है। योगाचार्य जय सिंह ने प्रतिभागियों को योग, ध्यान और प्राणायाम कराया। उन्होंने कहा कि मन को नियंत्रित करने के लिए योग करें. भगवान अवधूत राम पीजी कॉलेज अनपरा सोनभद्र के प्राचार्य डॉ अजय विक्रम सिंह ने युवाओं को भारत के महापुरुषों के बारे में बताया।

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योगाचार्य जय सिंह

जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. मनोज मिश्र ने विविध लोक कलाओं पर विस्तार से अपनी बात रखी और लोकगीतों को भी सुनाया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी लोकगीतों की मिठास को समझे. कार्यशाला के संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने अतिथियों का स्वागत एवं आयोजन सचिव डॉ. सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डॉ. राज कुमार सोनी, डॉ सुधाकर शुक्ल, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. चन्दन सिंह, डॉ. सुरेन्द्र यादव, सोनम विश्वकर्मा, अमित मिश्रा समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।

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