लखनऊ। पिछले सप्ताह वरिष्ठ कांग्रेस नेता रहे आचार्य प्रमोद कृष्णन ने कहा था, कि इंडिया गठबंधन का बिहार के सीएम ने गया में पिंडदान कर दिया, अब उसके मौत में ज्यादा समय नहीं बचा हैं। उनकी भविष्यवाणी स्पष्ट होती नजर आ रही है। नीतीश कुमार के बाद कई बड़े राजनीतिक दलों ने कांग्रेस से हाथ छुड़ाते हुए अकेले चलने की राह बना ली। अब केवल यूपी और महाराष्ट्र में एलान होना बाकी है, क्योंकि आप कांग्रेस को दिल्ली पंजाब में मृत प्राय बता चुकी है, उसे एक सीट का भी हकदार नहीं मानती।
रहीं बात यूपी की तो यहां पर अखिलेश यादव की चाल के आगे कांग्रेसी बेबस है, क्योंकि जिन सीटों की कांग्रेस को दरकार थी, उन पर अखिलेश यादव पहले ही प्रत्याशी उतार चुके है। कांग्रेस के लिए 17 सीटें छोड़ने का दावा कर रहे वह बेहद ही कमजोर है, जहां कांग्रेस को कोई भविष्य नजर नहीं आता। सपा मुखिया अखिलेश यादव एक कदम आगे बढ़ते हुए बयान दे दिया है कि हमने उनके लिए 17 सीटों का आफर दिया है, उनकी मर्जी है अब गठबंधन रखे या नहीं।
एकला चलो की राह पर सपा
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की न्याय यात्रा का निमंत्रण स्वीकार किया तो किया पर उनकी यात्रा में शामिल नहीं हुए। अखिलेश ने सोमवार को ही स्पष्ट कर दिया था कि सीटों का बंटवारा फाइनल होने से पहले वे इस यात्रा में शामिल नहीं होंगे। इसके साथ ही उन 17 सीटों की सूची भी कांग्रेस नेतृत्व को भेज दी गई है। सपा नेतृत्व ने मंगलवार को बातचीत में शामिल दिल्ली के कांग्रेस नेताओं को यह संदेश भिजवा दिया कि सपा को जो सीटें देनी थीं, दे दी गई हैं। अब फैसला कांग्रेस का है कि गठबंधन करना है या नहीं। मंगलवार की शाम तक कांग्रेस की ओर से इसके सिवाय कोई जवाब नहीं आया कि हमारी बातचीत (सपा व कांग्रेस) जारी है। इसके बाद सपा ने अपनी पांच प्रत्याशियों की तीसरी सूची जारी की, जिसमें वाराणसी भी शामिल है।
सपा की साइकिल पंक्चर करेंगे स्वामी
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अलग राह अपनाई है, वह अब इस चुनाव में साइकिल को पंक्चर करने के सिवाय कुछ नहीं करेंगे। दरअसल स्वामी प्रसाद ने अपनी नई पार्टी का एलान किया हैं। उनके समर्थक कई सीटों पर मैदान में उतरकर सपा की जाति आधारित राजनतीति की नैया डूबो सकते है, जैसे बरेली के आंवला में अगम मौर्य मैदान में उतरकर सपा का खेला खराब कर सकते है। उसकी प्रकार बदायूं से लगातार सांसद रहे सलीम शेरवानी भी सपा के अनमानों पर पानी फेर सकते है। अगर कांग्रेस और सपा का गठबंधन टूटता है तो दोनों दल हर सीट पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे, वही बसपा प्रमुख भी अकेले चुनाव लड़ती नजर आ रही है। ऐसे में मुकाबला एक बार फिर बहुकोणीय होता नजर आ रहा है।
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