राज्यसभा चुनाव: अखिलेश की एक चूक ने बढ़ाई टेंशन एक के बाद एक साथी छोड़ रहे साथ

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Rajya Sabha elections: Akhilesh's one mistake increased the tension, one after the other his friends are leaving him.
भेजे त्यागपत्र में उन्होंने कहा है कि वे पीडीए को महत्व नहीं दे रहे हैं।

लखनऊ। सपा मुखिया अखिलेश यादव की एक चूक ने उनकी बोलती बंद हो गई। एक के बाद एक दमदार नेता साइकिल की सवारी छोड़ रहे हैं। वहीं पार्टी नाराज लोगों को मनाने की कवायद में जुटी हैं। दरअसल सपा पीडीपी के सहारे लोकसभा चुनाव में नैया पार करने की कवायद में थे, लेकिन राज्यसभा चुनाव में एक साथ दो कायस्थ प्रत्याशी उतारकर अपने ही सहयोगी के निशाने पर आ गए। पहले स्वामी प्रसाद मौर्या और उनके समर्थक उसके पल्लवी पटेल अब सलीम इकबाल शेरवानी ने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना त्याग पत्र सपा सुप्रीमो अखिलेश को त्याग पत्र भेज दिया। भेजे त्यागपत्र में उन्होंने कहा है कि वे पीडीए को महत्व नहीं दे रहे हैं। इससे सवाल उठता है कि वह भाजपा से अलग कैसे हैं।

दो महासचिव ने छोड़ा साथ

राज्यसभा के प्रत्याशी घोषित होने के बाद सलीम इस्तीफा देने वाले दूसरे राष्ट्रीय महासचिव हैं। इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य भी पिछड़ों, दलितों व अल्पसंख्यकों (पीडीए) की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे चुके हैं। सलीम ने कहा कि उन्होंने पार्टी की परंपरा के अनुसार बार-बार मुस्लिम समाज के लिए एक राज्यसभा सीट देने का अनुरोध किया था। भले ही मेरे नाम पर विचार नहीं किया जाता, लेकिन पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशियों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है। इससे पता चलता है कि आप (अखिलेश) खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं।

दिखावटी है धर्मनिरपेक्षता

सलीम ने कहा कि एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है। कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है। ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की गलत नीतियों से लड़ने की तुलना में एक दूसरे से लड़ने में अधिक रुचि रखता है। धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है। मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा, लेकिन पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है।

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